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  • Last Updated on मार्च 22, 2024 by Neelam Singh सारांश एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि आदिवासी Pain Relief Oil के जरिए जोड़ों के दर्द से राहत मिलेगी और जोड़ों का दर्द पूर्णतया खत्म हो जाएगा। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा गलत है। दावा फेसबुक पर जारी एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि आदिवासी Pain Relief Oil के जरिए जोड़ों के दर्द से राहत मिलेगी और जोड़ों का दर्द खत्म हो जाएगा। तथ्य जाँच जोड़ों में दर्द के क्या कारण होते हैं? ऐसे कई कारण हैं, जिनकी वजह से आपको जोड़ों में दर्द का अनुभव हो सकता है। जैसे- - ऑस्टियोआर्थराइटिस: यह गठिया का सबसे आम प्रकार है। यह जोड़ों में उपास्थि यानी कि cartilage में हुई किसी प्रकार की क्षति के कारण होता है। उपास्थि लचीला ऊतक (tissue) है, जो हड्डियों के सिरों को सहारा देने का काम करता है। जब यह खत्म हो जाता है, तो हड्डियां आपस में रगड़ सकती हैं, जिससे दर्द, कठोरता और सूजन हो सकती है। - रुमेटीइड आर्थराइटिस: इसे गठिया भी कहा जाता है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो जोड़ों में सूजन का कारण बनती है। सूजन उपास्थि और हड्डी को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे दर्द, कठोरता और त्वचा लाल हो सकती है। - बर्साइटिस (Bursitis): बर्साइटिस में तरल पदार्थ से भरी थैलियों में सूजन होने लगती है, जो घुटने के आसपास की हड्डियों, टेंडन और मांसपेशियों को सहारा देती है। यह अत्यधिक प्रयोग, चोट या कुछ बीमारियों के कारण हो सकता है। - टेंडिनाइटिस (Tendinitis): यह टेंडन (Tendon) की सूजन है, जो एक कठोर ऊतक है। यह मांसपेशियों को हड्डी से जोड़ने का काम करती है। यह अत्यधिक उपयोग, चोट या कुछ ऑटोइम्यून बीमारियों के कारण हो सकता है। - चोट: मोच, खिंचाव या फ्रैक्चर सभी जोड़ों के दर्द का कारण बन सकते हैं। मोच और खिंचाव में क्रमशः ligaments or tendons पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वहीं फ्रैक्चर में हड्डियां टूट जाती हैं। - गाउट (Gout): यह एक प्रकार का गठिया है, जो एक या अधिक जोड़ों में दर्द और सूजन का कारण बनता है। इस दौरान जोड़ों में यूरिक एसिड क्रिस्टल का निर्माण होता है, जिससे जोड़ों में पीड़ा होती है। - ल्यूपस (Lupus): यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो जोड़ों सहित शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकती है। ल्यूपस जोड़ों में दर्द, कठोरता और सूजन उत्पन्न कर सकता है। - वजन: अधिक वजन या मोटापे के कारण घुटनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे जोड़ों का दर्द हो सकता है। क्या आदिवासी तेल से जोड़ों के दर्द से छुट्टी मिल सकती है? फिलहाल कहा नहीं जा सकता क्योंकि वीडियो में आदिवासी तेल को लेकर केवल दावे ही किए गए हैं। तेल को किन जड़ी-बुटियों से बनाया गया है या किस सामाग्री का इस्तेमाल किया गया है, इसकी जानकारी स्पष्ट तरीके से नहीं दी गई है। हालांकि कैप्शन में किसी अन्य तेल के बारे में लिखा गया है, जिसका नाम ऑर्थो निल पेन ऑयल है। जब हमने इस तेल के नाम के साथ गुगल सर्च किया तो हमें यह तेल विभिन्न ऑनलाइन मार्केटिंग साइट्स पर दिखा मगर किसी में आदिवासी तेल के नाम का जिक्र नहीं था। ऐसे में संभावना है कि इस तेल का प्रचार गलत तरीके से किया जा रहा हो। हम यह बिल्कुल नहीं कह सकते कि वीडियो में जिस तेल की बात की गई है, यह वही तेल है क्योंकि हमने केवल उस तेल के नाम के साथ ही Google पर ढूंढने का प्रयास किया। वहीं आदिवासी तेल के बारे में ढूंढने पर हमें यह वेबसाइट मिली, जो जोड़ों के दर्द से छुटकारा देने का दावा करती है। देखा जाए, तो वीडियो में जिस तेल की बात की गई है और जिस तेल के बारे में कैप्शन में लिखा है, यह दोनों अलग लगते हैं। क्या यह फेसबुक आईडी असली है? नहीं। Dr. Mahi Singh के नाम से बनाई गई, जिस फेसबुक आईडी से इस आदिवासी तेल का प्रचार किया जा रहा है, वो आईडी भी फेक है क्योंकि जब हमने इस आईडी पर मौजूद तस्वीर को Google Reverse Image और Google Lens के जरिए ढूंढा, तो हमें Dr. Mugdha D. Vartak का नाम मिला। फेसबुक पर मौजूद तस्वीर का असली नाम Dr. Mugdha D. Vartak है और वो एक Consultant Obstetrician & Gynaecologist MBBS, DGO, FCPS, DNB(OBS & Gynaec) Obstetrics & Gynaecology है। डॉ. सुशांत श्रीवास्तव, एमबीबीएस, एमएस (ऑर्थोपेडिक्स) एक अनुभवी ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं, जो बाल चिकित्सा ऑर्थोपेडिक्स में विशेषज्ञता रखते हैं। वे वर्तमान में बिहार के किशनगंज में माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज और लायंस सेवा केंद्र अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। इस भ्रामक वीडियो के बारे में वे बताते हैं, “इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए विभिन्न संस्कृतियों में सरसों तेल में घरेलू सामाग्रियों, जैसे- लहसुन, प्याज आदि को मिलाकर लगाया जाता रहा है। इन उल्लिखित चीजों में सूजन-रोधी गुण होते हैं, लेकिन यह समझने की जरूरत है कि इसे साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।” उन्होंने आगे बताया, “वर्तमान चिकित्सा देखभाल साक्ष्य आधारित चिकित्सा पर काम करती है इसलिए ऐसी किसी भी चीज़ का उपयोग करना सही नहीं होगा जो वैज्ञानिक रूप से समर्थित न हो क्योंकि इस तेल की सामग्री को लेकर वीडियो में कोई जानकारी नहीं है। साथ ही यह बात भी ध्यान रखने की जरूरत है कि जोड़ों का दर्द विभिन्न कारणों से हो सकता है। ऐसे में किसी ऐसे तेल पर भरोसा कर लेना और बिना उसके दूरगामी परिणाम जाने, उसका इस्तेमाल करते रहना जोड़ों के दर्द को बढ़ सकता है। ऐसे में जरुरी है कि वक्त रहते अपने चिकित्सक से संपर्क करें।” किसी भी उम्र में जोड़ों से संबंधित दर्द से बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? डॉ. सुशांत आगे बताते हैं कि किसी भी उम्र में घुटनों के दर्द या अन्य जोड़ों से संबंधित दर्द से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं- - स्वस्थ वजन बनाए रखना: वजन के बढ़ने से घुटनों एवं जोड़ों पर अत्याधिक भार का अनुभव होता है, जिससे जोड़ों पर तनाव बढ़ता है। स्वस्थ वजन बनाए रखने से ऑस्टियोआर्थराइटिस (गठिया) होने की संभावना कम हो सकती है। वहीं यदि आपको पहले से ही गठिया है, तब आपको अपने वजन को नियंत्रित रखना चाहिए। किसी व्यक्ति को कितना वजन रखना चाहिए इसका अंदाजा लगाने के लिए ब्रोका इंडेक्स (Broca’s Index) (ऊंचाई सेमी में -100 = आदर्श वजन किलोग्राम में) का उपयोग किया जा सकता है। - शरीर को सक्रिय रखना: देखा जाए, तो नियमित व्यायाम करने से या शारीरिक गतिविधि करते रहने से जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। एरोबिक व्यायाम करना भी फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा तैराकी (swimming) या साइकिलिंग भी अच्छे विकल्प हो सकते हैं। कोई भी ऐसी गतिविधि अपनाई जा सकती है, जो आपके लिए उपयुक्त हो। - उचित तकनीक का उपयोग करना: चाहे कोई व्यायाम हो, भारी वस्तु उठाने का काम हो या कोई दैनिक गतिविधि हो, सही तकनीक का उपयोग करने से जोड़ों को अनावश्यक तनाव से बचाने में मदद मिल सकती है। जैसे- किसी भारी सामान को अचानक ना उठाते हुए, धीरे-धीरे उसके भार को उठाना। - संतुलित आहार का सेवन करना: उचित और पर्याप्त मात्रा में संतुलित आहार का सेवन स्वस्थ जोड़ों को बनाए रखने के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सकता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर कुछ खाद्य पदार्थ (जैसे मछली) जोड़ों के स्वास्थ्य में मदद कर सकते हैं। अपने आहार में सूखे मेवे और कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल कर सकते हैं। - हाइड्रेटेड रहना: Cartilage एक कठोर लेकिन लचीली ऊतक होती है, जो 65-80 प्रतिशत पानी से बनी होती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ cartilage अपनी शक्ति खोने लगती है, जिसके बाद ‘मैट्रिक्स’ इस कार्य को गति देने का काम करता है इसलिए जोड़ों के स्वास्थ्य और कामकाज को बनाए रखने के लिए अच्छी तरह से हाइड्रेटेड (पानी की कमी ना होने देना) रहना महत्वपूर्ण है। - दर्द को नजरअंदाज न करें: अगर आपको जोड़ों में दर्द हो रहा है, तो इसे नजरअंदाज न करें क्योंकि शरीर दर्द के जरिए ही संकेत देने का प्रयास करते हैं कि शरीर में कोई परेशानी उत्पन्न हो रही है। यदि आपको लगातार दर्द या सूजन है, तो चिकित्सीय सलाह लें। - नियमित जांच: नियमित चिकित्सीय जांच से जोड़ों की समस्याओं का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है और सही उपचार तुरंत शुरू किया जा सकता है। याद रखें, ये केवल सामान्य दिशानिर्देश हैं और अलग-अलग ज़रूरतें व्यक्ति-दर-व्यक्ति भिन्न हो सकती हैं। व्यक्तिगत सलाह के लिए हमेशा प्रमाणित स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लें। अतः उपरोक्त शोध पत्रों एवं विश्लेषण से पता चलता है कि यह दावा बिल्कुल गलत है क्योंकि इसका उद्देश्य लोगों को राहत पहुंचाना नहीं बल्कि उन्हें ठगी का शिकार बनाना है। हमने पहले भी इस तरह के दावों की पड़ताल की है, जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं।
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