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  • Last Updated on दिसम्बर 20, 2023 by Neelam Singh सारांश एक वेबसाइट पर प्रकशित लेख में पीले दांतों को सफेद बनाने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे बताये गए हैं। जब हमने इन दावों का तथ्य जाँच किया तब पाया कि दावा ज्यादातर गलत है। दावा एक वेबसाइट पर प्रकशित लेख के जरिये दावा किया जा रहा है कुछ घरेलू नुस्खों का दांत पर रोज इस्तेमाल करने से दांत सफेद हो जाते हैं। तथ्य जाँच दांतों की रंगत किन मानकों पर निर्भर है? शोध के अनुसार दांतों की रंगत दिनचर्या और खराब डेंटल हेल्थ के कारण प्रभावित होती है। फूड ड्रिंक्स जैसे- चाय, कॉफी, शराब, अत्याधिक तैलीय खाद्य पदार्थों के कारण दांतों की रंगत प्रभावित होती है। इसके अलावा तंबाकू और धूम्रपान से भी दांतों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वहीं खराब डेंटल हेल्थ जैसे- समय पर ब्रश ना करना, कुछ चिकित्सीय उपचार जैसे- Radiation और Chemotherapy के कारण दांत खराब हो सकते हैं। साथ ही उम्र के बढ़ने के साथ Enamel (इनेमल) की परत हटने लगती है, जिस कारण पीले रंग की डेंटिन (yellow-coloured dentin) दिखाई देने लगती है और दांत पीले दिखाई देने लगते हैं। Fluoride युक्त पानी का सेवन भी दांतों की पीली रंगत के लिए जिम्मेदार होता है। दांत सफेद करने का अर्थ क्या है? शोध पत्र के अनुसार दांत सफेद करने की प्रक्रिया का मतलब है, दांत की बाहरी परत पर मौजूद धब्बों को दूर करना। हालांकि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि कुछ समय बाद दांत की बाहरी परत अर्थात इनेमल को साफ किया जाना चाहिए क्योंकि धूम्रपान, कैफीन का सेवन और भोजन में मौजूद कृत्रिम रंग दांतों की रंगत को कम कर देते हैं। यही कारण है कि दांतों को साफ करना और उन पर मौजूद धब्बों को कम करना जरुरी हो जाता है। साथ ही इन उपायों को घर पर या किसी दंत विशेषज्ञ की सहायता से भी किया जा सकता है। क्या घर पर दांतों को सुरक्षित रूप से सफेद करने के लिए प्राकृतिक उपचारों का उपयोग किया जा सकता है? नहीं, हमेशा नहीं। दांतों को स्वाभाविक रूप से सफेद करने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इनमें से अधिकतर प्रक्रियाएं दांतों की सतह के दागों को हटाती हैं। हालांकि इन घरेलू विकल्पों की तुलना में अधिकांश दंत चिकित्सक पर्याप्त रूप से अधिक प्रभावी वाइटनिंग प्रक्रियाएं प्रदान करते हैं, जो गंभीर रूप से फीके पड़े दांतों के लिए अधिक प्रभावी हो सकते हैं। यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि दांतों को सफेद करने वाले उत्पादों का अत्यधिक उपयोग आपके दांतों को संवेदनशील बना सकता है। क्या केला, नींबू का रस और नमक दातों को सफेद बनाता है? नहीं, क्योंकि इस विषय में पर्याप्त सबूत नहीं हैं। हालांकि केले में भारी मात्रा में पौटेशियम के साथ-साथ विटामिन ए, बी-6, सी और डी भी होते हैं, जो दांतों के साथ-साथ हृदय, मस्तिष्क और हड्डियों की मजबूती को बढ़ाते हैं। मैग्नीशियम की प्रचुर मात्रा होने के कारण केला रक्त को बहुत अधिक अम्लीय होने से रोकता है, जिससे हड्डियों और दांतों में कैल्शियम की कमी को रोका जा सकता है। वहीं दांतों की सतह से दाग हटाने के लिए केले के छिलके को क्लींजर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। नींबू के रस का अत्यधिक उपयोग दांतों के इनेमल को नष्ट कर देता है। साथ ही यह इनेमल के विकास को भी अवरुद्ध करता है इसलिए नियमित रूप से नींबू का रस लगाने से दांतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। नमक या सोडियम क्लोराइड, एक बहुमुखी चिकित्सीय सामाग्री है, जिसका उपयोग आसानी से टूथपेस्ट के रूप में किया जाता है ताकि प्लाक को बनने से रोका जा सके। नमक का उपयोग मुंह के छालों के दर्द को कम करने में किया जाता है। हालांकि नमक की खुरदुरी प्रकृति के कारण घरेलू पेस्ट में इसका नियमित उपयोग हानिकारक हो सकता है। दांतों को सफेद करने के लिए केले के छिलके का उपयोग करने की संभावना के बारे में डॉ. प्रत्यसा बागची ने बताया, “इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। हालांकि केले के छिलके में फॉस्फोरस, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और सोडियम होते हैं, जो दांतों को मजबूत कर सकते हैं लेकिन इनेमल सतह उन खनिजों को अवशोषित नहीं करती है क्योंकि यह हड्डी जितनी कठोर होती है, इसलिए इस दृष्टिकोण से यह कहना मुश्किल होगा कि केले के छिलके दांतों को सफेद बनाते हैं।” वहीं दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. पूजा भारद्वाज बताती हैं, “दांतों को नींबू, नमक और केले के छिलके के जरिए सफेद बनाने को लेकर कोई प्रमाण मौजूद नहीं है लेकिन नियमित तौर पर सही टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना और दांतों की देखभाल करना दांतों को स्वस्थ्य जरूर बनाए रख सकता है। खट्टे फलों जैसे नींबू में D-limonene होता है, जो एक प्राकृतिक तौर पर दाग हटाने में मदद करता है लेकिन दांतों के दाग या दांतों के पीलेपन को खत्म नहीं कर सकता है।” अतः उपरोक्त दावों और चिकित्सकों के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा ज्यादातर गलत है क्योंकि भले ही बताई गयी सामाग्रियों के सकारात्मक प्रभाव हो लेकिन ये दांतों को हमेशा सफेद नहीं बना सकते। साथ ही कई लोगों को इस प्रकार के मिश्रण के उपयोग से एलर्जी भी हो सकती है, जो उनके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डाल सकता है।
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