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वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने नए मोटर व्हीकल एक्ट से जोड़कर शेयर किया 2018 का वीडियो
Claim
9 सेकेंड का ये वीडियो एक नमूना भर है ..यूपी में कानून का राज स्थापित करने निकले इन ‘कर्मयोगी योद्धाओं’ को देखिए भी और इनकी अमृतवाणी सुनिए भी..जनता नए मोटर कानून वाले चालान भरेगी और ये यूँ ही उड़ान भरते रहेंगे ? ऐसों के लिए क्या सजा होनी चाहिए ?
9 सेकेंड का ये वीडियो एक नमूना भर है ..
यूपी में कानून का राज स्थापित करने निकले इन ‘कर्मयोगी योद्धाओं’
को देखिए भी और इनकी अमृतवाणी सुनिए भी..जनता नए मोटर कानून वाले चालान भरेगी और ये यूँ ही उड़ान भरते रहेंगे ? ऐसों के लिए क्या सजा होनी चाहिए ?@Uppolice @dgpup pic.twitter.com/Mol0UN5U2P
— Ajit Anjum (@ajitanjum) September 4, 2019
Verification
मशहूर पत्रकार एवं टीवी9 भारतवर्ष में बतौर कंसलटेंट एडिटर काम कर रहे अजीत अंजुम ने उत्तर प्रदेश पुलिस और डीजीपी से सवाल करते हुए पूछा है कि क्या जनता नए मोटर कानून बनने के बाद चालान देती रहेगी, पुलिस वाले यूँ ही उड़ान भरते रहेंगे?
चूंकि अजीत अंजुम एक वरिष्ठ पत्रकार हैं तथा विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपनी अलग राय रखने के लिए जाने जाते हैं इसीलिए ट्विटर पर उनके फॉलोवर्स की संख्या लाखों में हैं। उनके इस ट्वीट को भी हजारों लोगों ने लाइक तथा रीट्वीट किया है और इस तरह हमारी नजर इस दावे पर पड़ी।
अपनी पड़ताल की शुरुआत में हमने यह पता लगाने का प्रयास किया कि वीडियो में दिख रहे वर्दीधारी क्या सच में यूपी पुलिस के जवान हैं? इसके लिए हमने ध्यान से वीडियो को देखा और इससे हमें वीडियो के एक फ्रेम में “डॉ भीमराव अम्बेडकर गोमती पार्क” लिखा दिखाई दिया।
अब डॉ भीमराव अम्बेडकर गोमती पार्क के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने “डॉ भीमराव अम्बेडकर गोमती पार्क” जैसे कीवर्ड्स का प्रयोग कर गूगल सर्च किया तो हमें यह पता चला कि ये वीडियो लखनऊ का है। आगे हमने यह जानने का प्रयास किया कि वीडियो कब रिकॉर्ड किया गया है और क्या परिवहन मंत्रालय द्वारा बनाये गए नए कानून से इस वीडियो का कोई संबंध है। हमनें जब विभिन्न कीवर्ड्स की सहायता से गूगल सर्च किया तो हमें इस वीडियो से संबंधित अनेक तस्वीरें और ख़बरें मिली।
इन्ही सर्च परिणामों में हमें Times Of India का एक लेख मिला जिसमे इस घटना के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस लेख में यह भी बताया गया है कि घटना सन 2018 के सितम्बर महीने की है।
अजीत अंजुम के ट्वीट पर ही हमें लखनऊ पुलिस का एक रिप्लाई मिला जिसमे घटना को तीन साल पुराना बताया गया है।
उक्त वीडियों 03 वर्ष पुराना है , जिसमें उचित कार्यवाही की जा चुकी है ।
— LUCKNOW POLICE (@lkopolice) September 4, 2019
हमारी अब तक की पड़ताल में घटना 2018 की प्रतीत हो रही थी लेकिन पुलिस द्वारा घटना को 3 साल पुराना बताए जाने की वजह से हमने अपनी पड़ताल जारी रखी। हमने घटना के संदर्भ में मीडिया रिपोर्ट्स में सुझाये गए तथ्यों को किनारे रखकर एक बार फिर अपनी पड़ताल शुरू की। इसी क्रम में हमने सबसे पहले वीडियो के कुछ कीफ्रेम निकाले
ऐसे ही एक फ्रेम में हमें “देवी अवार्ड्स” का एक पोस्टर दिखा। इस पोस्टर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर लगी हुई थी।
वीडियो की गुणवत्ता बहुत अच्छी ना होने की वजह से निश्चित तौर पर कुछ भी कह पाना थोड़ा मुश्किल था इसलिए हमने अलग-अलग फ्रेम्स को ध्यान से देखना शुरू किया। तब हमें एक अन्य फ्रेम की सहायता से यह पता चला कि देवी अवार्ड्स में योगी आदित्यनाथ के बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के उपलक्ष्य में यह पोस्टर लगाया गया था।
अब हमने “देवी अवार्ड्स” के बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया क्योंकि योगी आदित्यनाथ देवी अवार्ड्स में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे, इसलिए हमारी पड़ताल में यह जानकारी काफी महत्वपूर्ण थी। हमने “yogi in devi awards” कीवर्ड्स की सहायता से गूगल सर्च किया जिसके बाद हमें कार्यक्रम के आयोजक “इवेंट एक्सप्रेस” के यूट्यूब चैनल पर दो वीडियो मिले जिनमें से एक 2017 में आयोजित कार्यक्रम की तथा दूसरी 2018 में आयोजित कार्यक्रम की है।
अब हमनें यह जानने का प्रयास किया कि 2016 में इस कार्यक्रम का मुख्य अतिथि कौन था जिसके लिए हमने “devi awards up 2016 chief guest” कीवर्ड्स की सहायता से गूगल सर्च किया जिसके परिणामस्वरूप हमें कार्यक्रम के आयोजक इवेंट एक्सप्रेस के यूट्यूब चैनल पर अपलोडेड 2016 देवी अवार्ड्स का पूरा वीडियो मिला जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की थी।
अब यह तो स्पष्ट हो चुका था कि लखनऊ पुलिस के दावे के अनुसार वीडियो 3 वर्ष पुराना तो नहीं है क्योंकि वीडियो में दिख रहे पोस्टर के अनुसार योगी आदित्यनाथ ने कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की है। लेकिन जैसा कि आपने ऊपर हमारी पड़ताल में देखा योगी आदित्यनाथ ने 2017 और 2018 दोनों ही वर्ष देवी अवार्ड्स में शिरकत की थी इसलिए हम अब तक वीडियो के समय की जानकारी के बारे में सुनिश्चित नहीं हो पाए थे इसलिए हमने अपनी पड़ताल जारी रखी।
अपनी पड़ताल के दौरान जब हमनें ट्विटर पर एडवांस सर्च में विभिन्न शब्द समूहों की सहायता से खोज की तो हमें इस घटना के संबंध में यूपी पुलिस का एक ट्वीट मिला जिसमे इस वीडियो तथा पूरी घटना का जिक्र है तथा घटना को सितम्बर 2018 का बताया गया है तथा यह भी कहा गया कि तस्वीर में दिख रहे पुलिसवालों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है।
Two Traffic Home Guards & a PRD Jawan were tripling without helmet and abused a person who filmed them. @dgpup took cognisance of the tweet & instructed SSP @lucknowpolice for exemplary action. SSP @lucknowpolice has got an FIR registered against them. #ZeroTolerance #UPPolice pic.twitter.com/vlW0xbdrS7
— UP POLICE (@Uppolice) September 16, 2018
हमारी पड़ताल में यह साबित हो गया कि वीडियो सितम्बर 2018 का है तथा पत्रकार अजीत अंजुम और लखनऊ पुलिस दोनों के द्वारा किये जा रहे दावे भ्रामक हैं।
Tools Used
- Google Search
- Image Search
- InVid
- Awesome Screenshot
- Twitter Advanced Search
- YouTube Search
Result: Misleading
JP Tripathi
July 6, 2019
Rangman Das
August 18, 2023
Arjun Deodia
February 21, 2022