About: http://data.cimple.eu/claim-review/5760bf25ac15b6373ce796c65c7a975ff1a76f53185c3157673dd630     Goto   Sponge   NotDistinct   Permalink

An Entity of Type : schema:ClaimReview, within Data Space : data.cimple.eu associated with source document(s)

AttributesValues
rdf:type
http://data.cimple...lizedReviewRating
schema:url
schema:text
  • Fact Check: नए कानून के तहत गंभीर अपराध में बिना वारंट के पुलिस कर सकती है गिरफ्तार, CrPC में भी था यह प्रावधान भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत पुलिस संज्ञेय अपराध में बिना वारंट के किसी संदिग्ध को गिरफ्तार कर सकती है या हिरासत में ले सकती है। लेकिन गैरसंज्ञेय अपराध के मामलों में बिना वारंट के किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। - By: Sharad Prakash Asthana - Published: Jul 2, 2024 at 04:55 PM नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। 1 जुलाई से देश में इंडियन पीनल कोड (IPC), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 की जगह तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारत साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू हो गए हैं। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर इसको लेकर कुछ पोस्ट वायरल हो रही हैं। इसी तरह की एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि अब पुलिस किसी भी व्यक्ति को बिना कोई कारण बताए 24 घंटे तक गिरफ्तार कर सकती है। इसे शेयर कर यूजर्स वर्तमान सरकार पर निशाना साध रहे हैं। विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि संज्ञेय या गंभीर अपराधों के मामलों में पुलिस बिना वारंट के किसी को गिरफ्तार या हिरासत में ले सकती है। सभी मामलों में यह लागू नहीं होता है। गैरसंज्ञेय (नॉन कॉग्निजेबल) अपराध में पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है। सीआरपीसी में भी इस तरह प्रावधान था कि संज्ञेय अपराध के मामलों में पुलिस बिना वारंट के किसी को गिरफ्तार या हिरासत में ले सकती थी। सोशल मीडिया पर वायरल दावा भ्रामक है। क्या है वायरल पोस्ट फेसबुक यूजर Mehta Surya Prakash (आर्काइव लिंक) ने 1 जुलाई को एनडीटीवी की ब्रेकिंग प्लेट शेयर करते हुए पोस्ट किया, “आज से पुलिस किसी भी व्यक्ति को बिना कोई स्पष्टीकरण दिए 24 घंटे तक गिरफ्तार कर सकेगी। लोकतंत्र के लिए ‘काला दिवस‘” एनडीटीवी की ब्रेकिंग प्लेट पर लिखा है, नए आपराधिक कानून के अंतर्गत पहला मुकदमा, दिल्ली के रेहड़ी वाले के खिलाफ नए कानून के तहत केस दर्ज। पड़ताल वायरल दावे की जांच के लिए हमने प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की वेबसाइट पर 1 जुलाई को अपलोड प्रेस रिलीज को चेक किया। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में लिखा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन नए आपराधिक कानूनों को लेकर नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि 1 जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। नए कानूनों में सजा की जगह न्याय को प्राथमिकता दी जाएगी, देरी की जगह त्वरित सुनवाई और त्वरित न्याय को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही पीड़ितों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि नए कानून में जीरो-एफआईआर, ई-एफआईआर और चार्जशीट सब डिजिटल होंगे। इसमें सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने की समय सीमा भी तय है। उन्होंने यह भी कहा कि एफआईआर दर्ज होने के तीन साल में सुप्रीम कोर्ट तक न्याय मिल सकता है। यूपी पुलिस की वेबसाइट पर अपलोड बीएनएसएस 2023 की कॉपी के अनुसार, संज्ञेय अपराध (कॉग्निेजेबल ऑफेंस) के मामलों में पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकता है, जबकि गैरसंज्ञेय अपराध में पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी के गिरफ्तारी नहीं कर सकती है। बीएनएसएस की धारा 170 (1) के अनुसार, कोई पुलिस अधिकारी अगर किसी संज्ञेय अपराध को अंजाम देने की योजना के बारे में जानता है और उसे लगता है कि अपराध के घटित होने को रोका नहीं जा सकता तो मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना और वारंट के बिना संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है। इसके सेक्शन 2 में लिखा है कि उप-धारा (1) के तहत गिरफ्तार किए गए किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक हिरासत में नहीं रखा जाएगा, जब तब कि उसकी आगे हिरासत की जरूरत न हो या इस संहिता के अंतर्गत किसी अन्य प्रावधान के तहत अधिकृत न हो या उस समय प्रभावी किसी अन्य कानून के तहत न हो। 1 जुलाई को पीआईबी हिंदी के एक्स हैंडल से पोस्ट कर जानकारी दी गई है कि बीएनएसएस की धारा 170 में प्रावधान है कि जब पुलिस किसी संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए गिरफ्तारी करती है तो हिरासत अवधि 24 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए। गिरफ्तार व्यक्ति को किसी भी मजिस्ट्रेट के समझ पेश किया जा सकता है, चाहे उसका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो। पुलिस बिना कारण बताए 24 घंटे से अधिक हिरासत में नहीं रख सकती है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्वनी दुबे का कहना है, गंभीर अपराधिक मामलों में पुलिस किसी को बिना वारंट के हिरासत में ले सकती है या गिरफ्तार कर सकत है। जैसे- पुलिस को पता चलता है कि कहीं पर दंगा या बवाल होने की आशंका है तो उस हिंसा को रोकने के लिए किसी को हिरासत में ले सकती है। यह सभी मामलों पर लागू नहीं होता है। इसे प्रीवेंटिव डिटेक्शन कहते हैं। यह प्रावधान नया नहीं है। यह पहले सीआरपीसी की धारा 149 में भी था। centurylawfirm नाम के पोर्टल पर दी गई जानकारी के मुताबिक, सीआरपीसी की धारा 149 विशेष रूप से संज्ञेय अपराधों को रोकने में पुलिस अधिकारियों की शक्तियों और जिम्मेदारियों से संबंधित है। धारा 149 अपराध की रोकथाम में पुलिस की सक्रिय भूमिका पर जोर देती है। यह अनिवार्य करता है कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी को संज्ञेय अपराधों को रोकने के उद्देश्य से हस्तक्षेप करने का अधिकार है। संज्ञेय अपराध वे होते हैं, जिनके लिए कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकता है। गोवा पुलिस की वेबसाइट पर दिया गया है कि संज्ञेय अपराध आमतौर पर गंभीर प्रकृति के होते हैं, जबकि गैरसंज्ञेय अपराध संज्ञेय अपराध के जितने गंभीर नहीं होते हैं। इससे साफ होता है कि संज्ञेय अपराध के मामले में पुलिस बिना वारंट के किसी संदिग्ध को गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन सभी मामलों में ऐसा नहीं है। गैरसंज्ञेय अपराध में गिरफ्तारी के लिए पुलिस को वारंट की जरूरत पड़ती है। डीके बसु और स्टेट ऑफ बंगाल के केस में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी को दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसके अनुसार, – व्यक्ति को गिरफ्तार करने या हिरासत में लेने वाली पुलिस को नाम और पहचान जाहिर होने वाली नेम प्लेट व वर्दी होनी चाहिए। – गिरफ्तारी के दौरान बने अरेस्ट मेमो पर एक गवाह के हस्ताक्षर होने चाहिए, जो गिरफ्तार किए गए शख्स का रिश्तेदार हो या उस क्षेत्र का सम्मानित व्यक्ति भी हो सकता है। उस पर गिरफ्तार किए गए शख्स के साइन भी तारीख और समय के साथ होने चाहिए। – गिरफ्तार किए गए शख्स के एक दोस्त या रिश्तेदार को उसकी गिरफ्तारी या हिरासत के बारे में जल्द से जल्द से जानकारी दी जाएगी। – अगर व्यक्ति मेडिकल जांच कराने की बात करता है तो पुलिस उसका मेडिकल जांच कराएगी। – गिरफ्तार किए गए शख्स की हर 48 घंटे में प्रशिक्षित डॉक्टर से मेडिकल जांच करानी चाहिए। – पूछताछ के दौरान शख्स को अपने वकील से मिलने की अनुमति होगी। भ्रामक दावा करने वाला यूजर एक राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ है और दिल्ली में रहता है। निष्कर्ष: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत पुलिस संज्ञेय अपराध में बिना वारंट के किसी संदिग्ध को गिरफ्तार कर सकती है या हिरासत में ले सकती है। लेकिन गैरसंज्ञेय अपराध के मामलों में बिना वारंट के किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। - Claim Review : अब पुलिस किसी भी व्यक्ति को बिना कोई कारण बताए 24 घंटे तक गिरफ्तार कर सकती है। - Claimed By : FB User- Mehta Surya Prakash - Fact Check : भ्रामक पूरा सच जानें... किसी सूचना या अफवाह पर संदेह हो तो हमें बताएं सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी मैसेज या अफवाह पर संदेह है जिसका असर समाज, देश और आप पर हो सकता है तो हमें बताएं। आप हमें नीचे दिए गए किसी भी माध्यम के जरिए जानकारी भेज सकते हैं...
schema:mentions
schema:reviewRating
schema:author
schema:datePublished
schema:inLanguage
  • English
schema:itemReviewed
Faceted Search & Find service v1.16.115 as of Oct 09 2023


Alternative Linked Data Documents: ODE     Content Formats:   [cxml] [csv]     RDF   [text] [turtle] [ld+json] [rdf+json] [rdf+xml]     ODATA   [atom+xml] [odata+json]     Microdata   [microdata+json] [html]    About   
This material is Open Knowledge   W3C Semantic Web Technology [RDF Data] Valid XHTML + RDFa
OpenLink Virtuoso version 07.20.3238 as of Jul 16 2024, on Linux (x86_64-pc-linux-musl), Single-Server Edition (126 GB total memory, 11 GB memory in use)
Data on this page belongs to its respective rights holders.
Virtuoso Faceted Browser Copyright © 2009-2025 OpenLink Software