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Fact Check
सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें शेयर कर यह दावा किया गया कि नए कृषि कानूनों के लागू होते ही रिलायंस ग्रुप द्वारा संचालित जिओ ने कृषि उत्पाद लांच कर दिया है.
कृषि कानूनों के लागू होने के बाद से ही अंबानी और अडानी दो ऐसे शब्द बन चुके हैं जो कृषि से संबंधित चर्चाओं के केंद्र में रहते हैं. मुकेश अंबानी और गौतम अडानी देश के दो ऐसे प्रसिद्ध उद्योगपति हैं जो विभिन्न राजनीतिक दलों से अपने नजदीकियों के लिए जाने जाते हैं. अगर आप सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं तो विभिन्न राजनैतिक दलों के समर्थकों द्वारा विरोधी दल के नेताओं के साथ इन उद्योगपतियों की तस्वीर आपके भी टाइमलाइन से गुजरी होगी. प्रदर्शनरत किसानों के एक बड़े तबके का यह मानना है कि नए कृषि कानून इन दो उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए ही लागू किये गए हैं. सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दलों के अतिरिक्त लगभग सभी दल भी सरकार पर नए कृषि कानूनों की आड़ में इन उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं. हाल ही में सोशल मीडिया पर एक कैंपेन के अंतर्गत रिलायंस ग्रुप द्वारा संचालित टेलीकॉम कंपनी जिओ के सिम कार्ड्स पोर्ट कराने की प्रबल मांग उठी थी. कई सोशल मीडिया यूजर्स ने जिओ के सिम कार्ड्स तोड़कर उसकी तस्वीर शेयर करते हुए विरोध दर्ज कराया था. इसी क्रम में सोशल मीडिया पर रिलायंस जिओ के कृषि उत्पादों के नाम पर कई तस्वीरें शेयर कर यह दावा किया गया कि नए कृषि कानूनों के लागू होने के तुरंत बाद रिलायंस ग्रुप ने कृषि उत्पाद बनाना शुरू कर दिया है.
वायरल तस्वीरों की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले इन तस्वीरों को गूगल पर ढूंढा। लेकिन इस प्रक्रिया में हमें कोई ठोस जानकारी प्राप्त नहीं हुई.
इसके बाद हमने कुछ कीवर्ड्स की सहायता से वायरल तस्वीरों को गूगल पर ढूंढा। जहां हमें धनंजय सिंह नामक एक ट्विटर यूजर द्वारा एक ट्वीट के जवाब में शेयर की गई एक तस्वीर प्राप्त हुई. गौरतलब है कि इस तस्वीर में बोरे के ऊपर ‘Jio Agri Products’ लिखा हुआ है.
इसके बाद हमने धनंजय सिंह द्वारा शेयर की गई तस्वीर में दिख रहे बोरे पर लिखे टेक्स्ट ‘Jio Agri Products’ के इस्तेमाल से गूगल सर्च किया। इस दौरान जानकारी मिली कि Jio Agri Products के नाम पर तमाम प्रोडक्ट्स ‘Udaan’ नामक एक B2B प्लेटफार्म पर उपलब्ध हैं.
क्या ‘Jio Agri Products’ रिलायंस ग्रुप का एक हिस्सा है?
पड़ताल में हमने पाया कि ‘Udaan’ नामक उपरोक्त B2B प्लेटफार्म पर ‘Jio Agri Products’ नाम से बेचे जा रहे इन प्रोडक्ट्स को कई अन्य सेलर्स द्वारा बेचा जा रहा है, जिसमे ‘Granary Wholesale Private Limited, Bansilal L Sancheti & Ashish_Traders’ प्रमुख हैं. India Today से बातचीत में रिलायंस ग्रुप ने ‘Jio Agri Products’ के नाम से कोई उत्पाद बनाने से इंकार किया है. साथ ही यह भी जानकारी दी कि सोशल मीडिया में वायरल हो रहे ये उत्पाद Jio के नहीं है.
Jio के नाम पर बिक रहे अन्य अनधिकृत उत्पाद:
IndiaMart नामक एक वेबसाइट पर सर्च करने पर आपको Jio के नाम पर बिक रहे तमाम उत्पाद आसानी से दिख जायेंगे. गौरतलब है कि इन उत्पादों में जूते, चप्पल से लेकर तमाम ऐसे उत्पादों का जिक्र है जिन्हे रिलायंस ग्रुप के अंतर्गत आने वाले Jio द्वारा नहीं बनाया जाता है. बता दें कि स्थानीय बाजारों में Jio के नाम पर जैकेट से लेकर अंडरगारमेंट्स तक बेचे जाते हैं.
Jio के नाम के अनधिकृत प्रयोग के पीछे कारण:
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल स्थित एक स्थानीय बाजार में जब हमने एक विक्रेता से बात की तो उन्होंने बताया कि ना सिर्फ Jio बल्कि तमाम अन्य बड़े ब्रांड्स के नाम पर बनें उत्पादों की विक्री धड़ल्ले से हो रही है. ग्राहक बड़े ब्रांड्स पर भरोसा ज्यादा करते हैं। लेकिन उनके पास बड़े ब्रांड्स के उत्पाद खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं इसी वजह से बड़े ब्रांड्स के नाम पर स्थानीय उत्पाद बनाकर बेचने का यह धंधा जोरों पर है. एक अन्य विक्रेता ने हमें बताया कि Jio ग्रामीण भारत का एक जाना पहचाना नाम है। इसलिए यह जरुरी नहीं है कि स्थानीय उत्पादनकर्ता Jio के नाम का दुरूपयोग करने के इरादे से ही इसके नाम पर उत्पाद बनाते हैं. Jio ब्रांड नेम के दुरूपयोग के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि जिओ नाम ग्रामीण परिदृश्य के अनुसार काफी सरल नाम है और इससे थोक और फुटकर दोनों ही तरह के व्यापारियों को अपना उत्पाद बेचने में आसानी होती है.
रिलायंस जिओ के असल लोगो से वायरल तस्वीरों में दिखाए गए कथित लोगोज की तुलना:
इसके बाद हमने रिलायंस जिओ के नाम पर बेचे जा रहे इन उत्पादों में दिखाए गए लोगो से रिलायंस जिओ के असल लोगो की तुलना की। इस दौरान हमें यह जानकारी मिली कि रिलायंस जिओ के नाम पर बेचे जा रहे इन तमाम उत्पादों में जो लोगो इस्तेमाल किया गया है वह जिओ के असल लोगो से काफी अलग है.
Conclusion
हमारी पड़ताल से यह बात साफ़ हो जाती है कि सोशल मीडिया पर वायरल हुआ दावा भ्रामक है तथा रिलायंस ग्रुप कृषि फसलों से बने उत्पाद नहीं बना रही है। ब्रांड के नाम का गलत प्रयोग कर बनाये गए उत्पादों को Reliance Jio द्वारा निर्मित बताया जा रहा है.
कृषि कानूनों के परिपेक्ष में उद्योगपतियों एवं ब्रांड्स को लेकर वायरल 10 प्रमुख दावे:
सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन से जुड़ी तमाम फेक और भ्रामक जानकारियां वायरल हो रही हैं. हमने एक ट्विटर थ्रेड के माध्यम से इनमे से कुछ भ्रामक जानकारियों पर प्रकाश डाला है.
नए कृषि कानूनों के लागू होने के बाद एक तरफ जहां प्रदर्शनरत किसानों के नाम पर पुराने वीडियोज और तस्वीरें शेयर कर उन्हें खालिस्तान और पाकिस्तान समर्थक बताने का प्रयास किया गया, तो वहीं दूसरी तरफ तमाम भ्रामक तस्वीरें और वीडियोज शेयर कर सरकार और मुकेश अंबानी तथा गौतम अडानी के बीच संबंध दिखाते हुए कृषि कानूनों के लागू होने से उद्योगपतियों को फायदा होने का भी दावा किया गया. सरकार और उद्योगपतियों से जुड़ी ऐसी ही कुछ प्रमुख भ्रामक जानकारियों को लेकर हमारे फैक्ट-चेक रिपोर्ट्स नीचे देखे जा सकते हैं.
1. सोशल मीडिया पर एक पेपर की कटिंग को शेयर करते हुए कहा जा रहा है कि सरकार 65 हजार टॉवर रिलायंस को सौंपने की तैयारी में है। इसी के साथ ये भी कहा जा रहा है कि अब वो दिन दूर नहीं जब भारत का नाम बदल कर अम्बानिस्तान या अडानिस्तान रख दिया जायेगा। यह दावा हमारी पड़ताल में गलत निकला जिसमें 5 साल पुरानी खबर को गलत दावे के साथ शेयर कर केंद्र सरकार और मुकेश अंबानी के बीच घनिष्ठता दिखाया गया था.
2. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, हार्दिक पटेल एवं नगमा समेत कई सोशल मीडिया यूजर्स ने एक वीडियो शेयर कर यह दावा किया कि केंद्र सरकार ने भारतीय रेलवे को अडानी के हाथों बेच दिया है. यह दावा हमारी पड़ताल में भ्रामक निकला. सोशल मीडिया पर जिस वीडियो को केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रेलवे को अडानी के हाथों सौंपने के सबूत के नाम पर प्रस्तुत किया गया वह एक ट्रेन पर प्रकाशित विज्ञापन मात्र था. गौरतलब है कि भारतीय रेलवे कई ब्रांड्स का विज्ञापन भी प्रकाशित करती है.
3. सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एक महिला को झुककर प्रणाम करने की तस्वीर इस दावे के साथ शेयर की गई कि प्रधानमंत्री मोदी उद्योगपति गौतम अडानी की पत्नी को झुककर प्रणाम कर रहे हैं। यह दावा हमारी पड़ताल में भ्रामक निकला। जिस महिला को गौतम अडानी की पत्नी बताया गया वो दरअसल एक एनजीओ चलाने वाली दीपिका मॉन्डल है जो एक समाजसेविका भी हैं.
4- सोशल मीडिया पर गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष अमित चावड़ा द्वारा दावा किया गया कि अहमदाबाद के ‘सरदार वल्लभभाई पटेल’ इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम बदलकर ‘अडानी एयरपोर्ट’ कर दिया गया है। यह दावा हमारी पड़ताल में भ्रामक निकला। अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल एयरपोर्ट का नाम बदलकर अडानी एयरपोर्ट नहीं किया गया है। दरअसल अडानी समूह को देश के कुछ एयरपोर्ट के संचालन का ठेका 50 सालों के लिए दिया गया है।
5. सोशल मीडिया पर एक सड़क के किनारे लगे बोर्ड की तस्वीर शेयर कर दावा गया कि यह ‘अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड’ द्वारा संसद में नए कृषि कानून के पास होने के तुरंत बाद बनाया गया है। यह दावा भी हमारी पड़ताल में भ्रामक निकला. सोशल मीडिया पर वायरल यह तस्वीर हालिया किसान बिल से संबंधित नहीं है तथा ‘अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड’ कोई नई कंपनी नहीं बनाई गई है। असल में यह कंपनी कई वर्षों से भंडारण का काम कर रही है।
6. सोशल मीडिया पर हरियाणा के पत्रकार आकर्षण उप्पल की एक तस्वीर शेयर कर दावा किया गया कि पत्रकार पर लगातार दो दिन तक हमला किया गया है, क्योंकि आकर्षण उप्पल ने अपनी पत्रकारिता के जरिए अडानी ग्रुप का पर्दाफाश करने की कोशिश की थी। यह दावा हमारी पड़ताल में भ्रामक निकला, क्योंकि IBN 24 के पत्रकार आकर्षण पर एक ड्रग्स मामले के खुलासे के बाद हमला हुआ था ना कि उद्योगपति गौतम अडानी पर खबर करने के बाद.
7. सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया गया कि जहां ट्रेनों पर भारतीय रेल लिखा होता था वहां अब मोदी जी के राज में अडानी लिखा हुआ है। क्या यह हम भारतीयों के लिए शर्म और दुख का विषय नहीं है? यह दावा भी हमारी पड़ताल में भ्रामक निकला। वायरल वीडियो अडानी ग्रुप द्वारा संचालित एक कंटेनर का है. गौरतलब है कि अडानी लॉजिस्टिक्स 14 और अन्य निजी कंपनियों के साथ भारतीय रेलवे को कंटेनर सेवा प्रदान कर रहा है।
8. सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर कर यह दावा किया गया कि कि अंबानी के घर पोता हुआ है और मोदी बधाई देने गए हैं लेकिन किसान की एक बार भी सुध नहीं ली। यह दावा हमारी पड़ताल में भ्रामक साबित हुआ. सोशल मीडिया पर वायरल यह तस्वीर साल 2014 की है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई में रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल के उद्घाटन पर पहुंचे थे।
9. सोशल मीडिया पर अडानी ग्रुप द्वारा संचालित कंपनियों की एक लिस्ट शेयर कर यह दावा किया गया कि अडानी की ये सारी कंपनियां नए कृषि बिल के आने से ठीक एक साल पहले 2019 की हैं। इस दावे की पड़ताल के बाद हमें यह जानकारी मिली कि अडानी ग्रुप की जिन कंपनियों को कृषि कानूनों के लागू होने के बाद स्थापित बताया जा रहा है ये सभी कंपनियां 2018 से पहले शुरू की गई हैं।
10. सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर कर यह दावा किया गया कि नए कृषि कानूनों के लागू होने के बाद किसान जिओ का सिम कार्ड जला रहे हैं. यह दावा हमारी पड़ताल में भ्रामक निकला. जिओ सिम कार्ड को जलाने वाले किसान की यह तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं बल्कि 30 सितंबर साल 2020 की है।
Result – Misleading
Sources
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