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  • Last Updated on फ़रवरी 21, 2025 by Neelam Singh सारांश एक सोशल मीडिआ पोस्ट के अनुसार कुछ लोकप्रिय व्यक्तियों द्वारा तेजी से वजन घटाने के लिए लिवर डिटॉक्स का प्रचार किया जा रहा है। जब हमने इस पोस्ट की जाँच की तब पाया कि यह दावा बिल्कुल गलत है। दावा फेसबुक पर जारी एक पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि कुछ मशहूर लोगों ने तेजी से वजन घटाने के लिए लिवर डिटॉक्स का प्रचार किया है। इसमें मोटापे के पुराने तरीकों को गलत ठहराया गया है और ओज़ेम्पिक (Ozempic) दवा की आलोचना करते हुए कहा गया है कि इससे “लाइपेस विस्फोट” (lipase explosions) होता है, जो मेटाबॉलिज्म को बिगाड़ता है और मोटापे का कारण बनता है। पोस्ट में “अमरूद विधि” को 35 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए एक नेचुरल और बिना दवा का वजन घटाने का तरीका बताया गया है, जो तेज़ और स्थायी परिणाम देने का दावा करता है। इस वीडियो में अंजना ओम कश्यप और डॉ. दीपक चोपड़ा शामिल हैं। इस वीडियो में दिखाया गया है कि लीवर में “ब्लॉकेज” से चर्बी बढ़ती है। साथ ही दावा किया गया है कि एक घरेलू उपाय से 17 घंटों में लीवर को डिटॉक्स करके रोजाना 1-2 किलो वजन घटाया जा सकता है। वीडियो में “घरेलू काढ़ा” का ज़िक्र है लेकिन उसकी जानकारी नहीं दी गई। कैप्शन में अधिक जानकारी के लिए एक लिंक दिया गया है। तथ्य जाँच क्या लिवर डिटॉक्स का काढ़ा लिवर की रुकावट दूर करके चर्बी घटा सकता है? नहीं। लिवर डिटॉक्स का उपाय लिवर को अनब्लॉक नहीं कर सकता और ना ही तेजी से चर्बी घटा सकता है। वास्तविकता यह है कि लिवर “ब्लॉक” नहीं होता है क्योंकि यह एक ऐसा अंग है, जो खुद को साफ रखता है और स्वाभाविक रूप से विषाक्त पदार्थों और पोषक तत्वों को प्रोसेस करता है। लिवर को “अनब्लॉक” या “रीसेट” करने के दावे गलत हैं। वसा को पचाने की प्रक्रिया कई चीजों पर निर्भर करती है, जैसे- हार्मोन का संतुलन, भोजन की आदतें और शारीरिक गतिविधियां इत्यादि। लीवर का स्वास्थ्य जरूरी है लेकिन यह अकेले चर्बी घटाने या तेजी से वजन कम करने का काम नहीं कर सकता है। क्या अंजना ओम कश्यप और डॉ दीपक चोपड़ा वाला वीडियो असली है? नहीं। इस वीडियो को Artificial Intelligence (AI) और Deep Fake की मदद से बनाया गया है। वीडियो में पत्रकार अंजना ओम कश्यप और डॉ. दीपक चोपड़ा को दिखाया गया है लेकिन उनकी आवाज और होंठों की हरकतें मेल नहीं खाती हैं, जो यह दिखाता है कि वीडियो को डिजिटल तरीके से बदला गया है। साथ ही उनके द्वारा किया गया हिंदी का उच्चारण भी अप्राकृतिक लगता है। इसके अलावा उनके आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स की जाँच के जरिए पता चलता है कि उन्होंने लिवर डिटॉक्स या वजन घटाने के किसी उपाय का समर्थन नहीं किया है। Deep fake और AI के जरिए वीडियो संपादित करके एकमात्र मकसद दर्शकों को भ्रमित करना और ट्रैफिक बढ़ाना होता है क्योंकि लोग इन मशहूर हस्तियों पर भरोसा कर लेते हैं, जिससे विश्वसनीयता का गलत फायदा उठाया जाता है। हमने इस पोस्ट पर उनकी राय जानने के लिए संपर्क किया है और जवाब मिलते ही इस लेख को अपडेट भी करेंगे। इसके अलावा वीडियो में दर्शकों से ‘नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करने’ को कहा गया है लेकिन लिंक पर क्लिक करने पर यह एक खाली पेज पर ले जाता है, जहां कोई उपयोगी जानकारी नहीं है। पेज पर बस इतना लिखा होता है, जिसका स्क्रीनशॉट संलग्न है- क्या वजन घटाने के दावे तार्किक हैं? नहीं। वजन घटाने को लेकर किए गए दावे भ्रमित करने वाले और अविश्वसनीय होते हैं, जिसका एकमात्र मकसद लोगों को भ्रमित करना होता है। देखा जाए, तो कैप्शन में 14 दिनों में वजन घटाने का वादा किया गया है जबकि वीडियो में हर दिन 1-2 किलो वजन कम करने, 7 दिनों में नतीजे दिखने और कभी-कभी 1-2 दिनों में असर होने की बात कही गई है। ये विरोधाभासी दावे इस पोस्ट की सच्चाई पर सवाल उठाते हैं। असल बात यह है कि स्वस्थ तरीके से वजन कम करना प्रति सप्ताह 0.5-1 किलो की रफ्तार से होना चाहिए। यहां तेजी से चर्बी घटाने का दावा किया गया है, जो ना केवल असंभव है बल्कि खतरनाक भी हो सकता है। इस तरह से वजन घटाने से आमतौर पर वसा के बजाय पानी और मांसपेशियां कम होती हैं, जिससे पोषण की कमी और चयापचय में गड़बड़ी का खतरा बढ़ जाता है। क्या वजन बढ़ना सिर्फ लीवर पर निर्भर करता है? नहीं। वजन बढ़ाने में कई कारक शामिल होते हैं। जैसे- आहार, कैलोरी, गतिविधि स्तर और आनुवंशिकी शामिल हैं लेकिन पोस्ट इन मुख्य कारणों को नजरअंदाज करके वजन बढ़ने का कारण केवल लीवर के काम को बताता है, जो बिल्कुल गलत है। वजन तब बढ़ता है, जब आप जितनी कैलोरी खर्च करते हैं, उससे ज्यादा कैलोरी का सेवन करते हैं। आनुवंशिकी, मेटाबोलिज्म और जीवनशैली (जैसे शारीरिक गतिविधि) सभी शरीर के वजन पर असर डालते हैं। हालांकि लीवर का स्वास्थ्य पोषक तत्वों को ठीक से पचाने के लिए जरूरी है लेकिन खराब आदतें लीवर को नकारात्मक रुप से प्रभावित करती हैं। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और पर्याप्त पानी का सेवन करना किसी भी लीवर डिटॉक्स से ज्यादा प्रभावी तरीके हैं, जो स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद करते हैं। क्या ओज़ेम्पिक “लाइपेस विस्फोट” और मोटापे का कारण बन सकता है? नहीं। ओज़ेम्पिक (सेमाग्लूटाइड) टाइप 2 मधुमेह को नियंत्रित करने और कुछ लोगों में वजन घटाने में मदद करने के लिए FDA द्वारा मंजूर की गई दवा है। यह हार्मोन GLP-1 की नकल करता है, जो रक्त शर्करा के स्तर और भूख को नियंत्रित करता है, जिससे धीरे-धीरे वजन घटाने में मदद मिलती है। इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि ओज़ेम्पिक “लाइपेस विस्फोट” का कारण बनता है या मेटाबॉलिज्म को बिगाड़कर मोटापा बढ़ाता है। लाइपेस एक एंजाइम है, जो वसा को तोड़ने में मदद करता है लेकिन ओज़ेम्पिक इस पर असर नहीं डालता है। ओज़ेम्पिक के सबसे आम दुष्प्रभाव, जो 10 में से 1 से ज्यादा लोगों को होते हैं, उनमें दस्त, मितली और उल्टी जैसी पाचन संबंधी समस्याएं शामिल हैं। ये दुष्प्रभाव आमतौर पर हल्के और अस्थायी होते हैं। कुछ मामलों में ओज़ेम्पिक मधुमेह रेटिनोपैथी की गंभीर स्थिति को भी बढ़ा सकता है, जो 10 में से 1 व्यक्ति को प्रभावित करता है। इस विषय में नवी मुंबई की जनरल फिजिशियन डॉ. अलमास फातमा बताती हैं, “यह कहना कि ओज़ेम्पिक ‘लाइपेस विस्फोट’ का कारण बनता है और मोटापा बढ़ाता है, जो पूरी तरह से गलत है। ओज़ेम्पिक एक अच्छी तरह से शोधित दवा है, जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करती है और कुछ लोगों के लिए वजन कम करने में मदद कर सकती है। यह मेटाबॉलिज्म को नुकसान नहीं पहुंचाती है। ऐसे भ्रामक बयान केवल गलत जानकारी फैलाते हैं। दवाओं के बारे में सही सलाह के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।” वहीं इस विषय पर मुंबई के साई आशीर्वाद अस्पताल के मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. आशीर्वाद पवार बताते हैं, “ओज़ेम्पिक टाइप 2 मधुमेह का इलाज करता है और वजन घटाने में मदद करता है। यह इंसुलिन की प्रतिक्रिया को बेहतर बनाता है और बिना किसी हानिकारक ‘लाइपेस विस्फोट’ के भूख को कम करता है। यह दावा कि यह मोटापा या मेटाबॉलिज्म को बिगाड़ता है, यह बिल्कुल गलत और भ्रमित करने वाला है। सभी दवाओं की तरह ओज़ेम्पिक को डॉक्टर की देखरेख में लिया जाना चाहिए। इसके फायदे आमतौर पर मिथकों से फैलाए गए जोखिमों से कहीं ज्यादा होते हैं।” अतः उपरोक्त तथ्यों एवं विशेषज्ञों के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा बिल्कुल गलत है। इसे केवल लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न करने एवं गलत मंशा से साझा किया गया है। ऐसे में इस तरह के किसी भी वीडियो पर भरोसा करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें। हमने पहले भी इस तरह के दावों की जाँच की है- क्या केवल 14 दिनों में आंखों की रौशनी वापस आ सकती है एवं केंद्र सरकार ने Blood On Call योजना शुरू की है.
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