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  • सोनम वांगचुक ने कश्मीर में जनमत संग्रह की मांग नहीं की, गलत दावे से वीडियो वायरल बूम ने अपने फैक्ट चेक में पाया कि सोनम वांगचुक के मूल बयान को क्रॉप किया गया है. झूठा दावा करने के लिए वीडियो से इसके मूल संदर्भ को हटा दिया गया है. लद्दाख के समाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसको लेकर दावा किया जा रहा कि वह जम्मू-कश्मीर के लिए जनमत संग्रह कराने की मांग कर रहे हैं. बूम ने अपनी जांच में पाया कि दावा झूठा है. मूल वीडियो में सोनम वांगचुक लद्दाख की केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति के बारे में बात कर रहे थे. वीडियो में कहीं पर भी वह कश्मीर के लिए जनमत संग्रह की मांग नहीं कर रहे थे. वायरल वीडियो में वह कह रहे हैं, "कोई भी इलाका खुश होना चाहिए. वे (लोग) जहां जाना चाहते हैं जाना चाहिए. इसलिए आपने referendum or plebiscites (जनमत संग्रह) के बारे में सुना होगा. तो अगर ऐसा सबका विचार है तो फिर कश्मीर में क्यों नहीं?" एक एक्स यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'यह सोनम वांगचुक (मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त) कुछ दिन पूर्व ये पर्यावरण संरक्षण के नाम पे लद्दाख में अनशन कर रहा था, अब कह रहा है कश्मीर में जनमत संग्रह करवाया जाए कि कश्मीर भारत के साथ रहे या पाकिस्तान के साथ रहे.' टीवी न्यूज चैनल TV9 के कार्यकारी संपादक आदित्य राज कौल ने भी एक्स पर वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा, 'पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक को लेह में कश्मीर के लिए जनमत संग्रह कराने की मांग करते हुए देखकर दुख हुआ. मिस्टर वांगचुक, जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा. सबसे बड़ी बाधा अनुच्छेद 370 को भारतीय संसद और सर्वोच्च न्यायालय दोनों ने समाप्त कर दिया था. अलगाववाद को न बढ़ाएं.' फैक्ट चेक बूम ने दावे के फैक्ट चेक के लिए सबसे पहले 'Sonam Wangchuk plebiscite' कीवर्ड्स से गूगल पर सर्च किया. हमें इंडियन एक्सप्रेस में 21 मई 2024 को पब्लिश एक न्यूज रिपोर्ट मिली, जिसमें सोनम वांगचुक ने अपने बयान पर स्पष्टिकरण दिया था. लेख का हिंदी अनुवादित शीर्षक है 'कश्मीर पर कोई बयान नहीं दिया: जनमत संग्रह के दावे पर सोनम वांगचुक'. मूल अंग्रेजी शीर्षक - ''Did not make any statement on Kashmir: Sonam Wangchuk on claims he sought referendum" रिपोर्ट में सोनम वांगचुक के हवाले से लिखा गया कि वायरल दावों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. उन्होंने कश्मीर के बारे में ऐसी कुछ भी बात नहीं की थी. उनके बयान को कोट करते हुए आगे लिखा गया, "कारगिल के एक राजनेता ने कहा कि लद्दाख को कश्मीर में फिर से मिला दिया जाना चाहिए. मैंने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि यह ठीक है अगर यह उनका निजी विचार है. लेकिन अगर कारगिल के सभी लोगों को ऐसा लगता है तो वे ऐसा कर सकते हैं. लेकिन लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश ही बना रहेगा." इसके बाद हमने सोनम वांगचुक के एक्स अकाउंट की पड़ताल की. उन्होंने यहां भी 20 मई 2024 को वीडियो के माध्यम से इसका स्पष्टिकरण जारी किया था. वीडियो में वह वायरल क्लिप को दिखाकर कहते हैं, "हाल ही में मेरा एक छोटा सा एडिटेड वीडियो चलाकर यह दावा किया गया कि मैं लद्दाख के कश्मीर में फिर से विलय करने या कश्मीर के लिए जनमत संग्रह की मांग करने की बात कर रहा हूं. जबकि तथ्य यह है कि मैं इस मुद्दे पर भारत सरकार की वर्तमान स्थिति का समर्थन कर रहा था और यह कह रहा था कि लद्दाख एक केंद्र शासित प्रदेश ही रहेगा." गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्वायत्तता खत्म करने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था. वीडियो में सोनम वांगचुक कहते हैं, "दुर्भाग्य से यह सभी झूठी टिप्पणियां और पोस्ट उन लोगों द्वारा फैलाए गए हैं, जिनके यूजरनेम में 'मोदी का परिवार' लगा हुआ है. मेरे हिसाब से आप मोदीजी को बदनाम कर रहे हैं. आप इतनी मेहनत कर रहे हैं, शायद पैसे भी ले रहे हैं और उसके बाद भी आप उन्हें बदनाम कर रहे हैं." उनके पूरे बयान को यहां से देखा जा सकता है. इस वीडियो में सोनम वांगचुक यह भी बताते हैं कि कुछ दिन पहले कारगिल के एक नेता सज्जाद कारगिली ने ट्वीट कर कहा था कि अगर लद्दाख को राज्य का दर्जा नहीं दिया गया, तो इसे वापस जम्मू और कश्मीर में मिला दिया जाएगा. इस पर सोनम वांगचुक ने बताया कि उन्होंने सज्जाद कारगिली की इस टिप्पणी पर अपनी आपत्ति जताई थी और कहा था कि यह उनके व्यक्तिगत विचार हो सकते हैं लेकिन अगर कारगिल के सभी लोग और नेता यह सोचते हैं तो फिर आप कश्मीर में मिल सकते हैं. यह आपकी खुशी है, खुश रहना चाहिए. लेकिन लेह-लद्दाख एक केंद्र शासित प्रदेश की तरह ही बना रहेगा. इसके बाद हमने इस मूल इंटरव्यू को भी सर्च किया. हमें 'द फोर्थ एस्टेट' नाम के एक यूट्यूब चैनल पर 13 मई 2024 को अपलोड किया यह वीडियो मिला. वीडियो में 13.22 के काउंटर पर सोनम वांगचुक से पूछा जाता है,"पहली बार हमने देखा कि आपके नेतृत्व में लेह और कारगिल एक साथ आए थे और उनकी एक जैसी मांगें थीं. लेकिन जैसे-जैसे चुनाव आए बिखराव दिखना लगा, यह कितना कठिन है?" सोनम वांगचुक जवाब देते हैं, "यह कठिन है लेकिन मुझे लगता है कि हमें आज और कल के नजरिए से नहीं देखना चाहिए. आने वाले वर्षों, महीनों और पीढ़ियों के बारे में सोचना चाहिए. अगर लेह के लोगों को कारगिल के किसी या कारगिल के लोगों में लेह के किसी व्यक्ति में हमारे बच्चों और पोते-पोतियों की खुशी के लिए लद्दाख को समृद्ध बनाने में मदद करने की उम्मीद दिखती है तो उन्हें इसके बारे में सोचना चाहिए, न कि आज और कल के या नफरत और इस तरह की बातों में आकर. इसके बाद 14:24 के काउंटर पर सोनम वांगचुक से सज्जाद कारगिली के ट्वीट के बारे में पूछा जाता है. इस पर सोनम वांगचुक कहते हैं, "ये लोगों के निजी विचार हो सकते हैं. अगर ये विचार पूरी आबादी का है तो हम दुआ करेंगे और इसके लिए मेहनत करेंगे कि ही ऐसा ही हो. दुनिया में कोई भी इलाका खुश होना चाहिए. वे जहां जाना चाहें, जाना चाहिए, तो इसीलिए आपने सुना होगा कि referendum or plebiscites (जनमत संग्रह) होते हैं. तो अगर ऐसा सबका विचार है तो फिर कश्मीर में क्यों नहीं." इसी बयान को संदर्भ से काटकर यह झूठा दावा किया गया कि सोनम वांगचुक ने कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की मांग की थी.
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