सोशल मीडिया पर एक ग्राफिक काफी वायरल है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश में आतंकी हमले से कोई मौत नहीं हुई.
आतंकी हमलों में हुई नागरिकों की हत्या को लेकर, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में बताया था कि 2018 से 2022 के बीच 177 लोगों की मौत हुई.
हमने ये सच कैसे पता लगाया ? : टीम वेबकूफ ने इस संबंध में लोकसभा में पूछे गए सवालों के रिकॉर्ड खंगालने शुरू किए. हमें एक सवाल मिला, जहां पिछले पांच सालों में देश में हुए आतंकी हमले और उनसे हुई मौतों के आंकड़े मांगे गए थे.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्य सभा में 9 अगस्त 2023 को इस सवाल का जवाब दिया था.
डेटा के मुताबिक 2018 में देश के भीतरी इलाकों में 3 आम लोगों ने आतंकी हमलों में अपनी जान गंवाई.
वहीं करीब 174 नागरिकों ने जम्मू और कश्मीर में 2018 से 2022 में हुए आतंकी हमलों में अपनी जान गंवाई.
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जम्मू-कश्मीर में नागरिकों की मौत : हमें लोकसभा में नित्यानंद राय की तरफ से दिया गया एक और सवाल का जवाब मिला. जहां पूछा गया था कि सरकार की तरफ से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए गृह मंत्रालय ने क्या प्रयास किए.
राय ने अपने जवाब में बताया कि सरकार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस (कोई कोताही ना बरतने) का रुख अपना रही है. उन्होंने अपने जवाब में एक टेबल भी प्रस्तुत किया जिसमें साल 2018 और साल 2023 में हुई आम लोगों की मौत से जुड़े आंकड़ों की तुलना है.
इस डेटा के मुताबिक जम्मू और कश्मीर में साल 2018 में 55 और साल 2023 में 13 आम लोगों की मौत हुई. (30 नवंबर तक)
2014-18 का डेटा : PIB की तरफ से 5 फरवरी 2019 को जारी प्रेस रिलीज में साल 2014 से 18 के बीच देश में हुई आतंकी/विद्रोही/अतिवादियों से जुड़ी घटनाओं की जानकारी दी गई है.
डेटा के मुताबिक 11 आम लोग देश के आंतरिक हिस्सों में और 138 नागरिक जम्मू-कश्मीर में मारे गए.
उत्तर पूर्वी (नॉर्थ ईस्ट) इलाके में मारे गए लोगों की संख्या 366 थी.
तकरीबन 967 आम लोग वाम उग्रवाद के चलते हुई घटनाओं में मारे गए.
निष्कर्ष : मतलब साफ है, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ग्राफिक में किया गया ये दावा सच नहीं है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में आतंकी हमले से कोई भी मौत नहीं हुई.
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