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  • हाल ही में पश्चिम बंगाल में संपन्न हुये चुनावों के परिणाम आने के बाद से ही बंगाल से हिंसा की कई खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे में कई पुराने व असम्बंधित वीडियो व तस्वीरों को बंगाल का बता वायरल किया जा रहा है। फैक्ट क्रेसेंडो ने ऐसे कई वीडियो व तस्वीरों का अनुसंधान कर उनकी प्रमाणिता अपने पाठकों तक पहुंचाई है। वर्तमान में ऐसा ही एक वीडियो इंटरनेट पर काफी वायरल हो रहा है जिसमें आप कुछ लोगों को हिंसा करते हुए देख सकते है। वीडियो के साथ जो दावा वायरल हो रहा है उसके मुताबिक वीडियो में दिख रहे दृश्य वर्तमान बंगाल में हो रही हिंसा के हैं। वायरल हो रहे वीडियो के शीर्षक में लिखा है, “बंगाल के हिंदुओं ने पलटवार करना शुरू कर दिया है। अभी देखना लोकतंत्र खतरे में आ जाएगा। बंगाल के हिंदुओं ने पलटवार करना शुरू कर दिया है।“ इस वीडियो को इंटरनेट पर काफी तेज़ी से साझा किया जा रहा है। अनुसंधान से पता चलता है कि… फैक्ट क्रेसेंडो ने जाँच के दौरान पाया कि वायरल हो रहा वीडियो पांच अलग व असम्बंधित वीडियो का संकलन है। इस संकलन में से कोई भी वीडियो वर्तमान पश्चिम बंगाल में हो रहे हिंसा से सम्बंधित नहीं है। जाँच की शुरुवात हमने वायरल हो रहे वीडियो को गौर से देखकर की, हमने पाया कि वीडियो का कुछ भाग पूर्व में भी इंटरनेट पर वायरल हुआ था, व वीडियो को बारीकी से देखने पर वीडियो अलग अलग जगहों से प्रतीत होता है जिस से ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वायरल हो रहा वीडियो अलग-अलग वीडियो का संकलन है। - पहला भाग- (00.00-0.23 सेकंड तक) सबसे पहले हमने वायरल हो रहे वीडियो के कमेंट अनुभाग को खंगाल कर की, परिणाम में हमें वहाँ एक उपभोक्ता द्वारा किया गया कमेंट दिखा जिसमें उसने लिखा है कि, यह वीडियो पुराना है व पंजाब के गुरदासपुर का है। इसके पश्चात हमने यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च किया तो हमें एक यूट्यूब चैनल पर यही वीडियो 13 दिसंबर 2018 को प्रकाशित किया हुआ मिला। इस वीडियो के शीर्षक में लिखा है, “शिवसेना और मुस्लिम समुदाय के लोगों में झड़प।” जब हमने इस वीडियो का विस्तारित संस्करण देखा तो हमें समझ आया कि वायरल हो रहे वीडियो में इस वीडियो को सिर्फ 0.23 मिनट तक दिखाया गया है। इसके बाद वायरल हो रहे वीडियो में दिखाये गये भाग के विस्तारित संस्करण में हमें निखिल कलेक्शन नामक एक दुकान का बोर्ड दिखा, जिसके पश्चात हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च किया पाया कि यह दुकान पंजाब के फुगवाड़ा में स्थित है। गूगल पर दुकान के बोर्ड की तस्वीरें उपरोक्त वीडियो से मिलती-जुलती है। आप नीचे वीडियो में दिख रही दुकान व गूगल से प्राप्त की गई दुकान की तस्वीर का तुलनात्मक विश्लेषण देख सकतें हैं। इसके बाद हमने इस दुकान को गूगल मैप्स में देखा व उसके पास ही हमें कपिल कलेक्शन नामक दुकान मिली, जो वायरल हो रहे वीडियो में दिख रही हैं। इसके पश्चात गूगल पर इस सम्बन्ध में और अधिक कीवर्ड सर्च करने पर हमें इंडियन एक्प्रेस द्वारा प्रकाशित किया हुआ एक समाचार लेख मिला जो 23 जुलाई 2016 को प्रकाशित किया गया था, जिसमें वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहे दृश्य से मिलती-जुलती तस्वीरें प्रकाशित की गयी है। इस लेख के मुताबिक पंजाब के फुगवाड़ा में शिवसेना के नेता और मुस्लिम समुदाय के लोग आपस में भिड़ गए थे। जम्मू और कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के व्यवधान के बाद, शिवसेना नेता स्थानीय मुसलमानों को निशाना बना रहे थे और पाकिस्तान विरोधी नारे लगा रहे थे। - दूसरा भाग – (0.23-0.31 सेकंड तक) 0.२३ से 0.३१ सेकंड वायरल हो रहे वीडियो का दूसरा भाग है। इस भाग की जाँच करने के लिये हमने वायरल हो रहे वीडियो के कमेंट अनुभाग को खंगाला तो वहाँ एक उपभोक्ता ने लिखा है कि यह वीडियो राम नवमी के दिन हुई हिंसा का है। इसके पश्चात इस जानकारी को ध्यान में रखते हुये हमने यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च किया, परिणाम में हमें 15 अप्रैल 2019 को एन.डी.टी.वी द्वारा प्रसारित एक वीडियो मिला, जिसके शीर्षक में लिखा है, “बंगाल की रामनवमी रैली में हिंसा, पुलिस को निशाना बनाया”, और उसके नीचे दी गयी जानकारी में लिखा है, “कोलकाता से लगभग 200 किलोमीटर दूर बंगाल के आसनसोल में राम नवमी के जुलूस में शामिल एक समूह पुलिस से भिड़ गया। सूत्रों ने कहा कि पुलिस वाहनों पर पत्थर फेंके गए और मोटरसाइकिलों में आग लगा दी गई। यह ज्ञात नहीं है कि कोई हताहत हुआ था या नहीं। झड़प मुख्य रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के आबादी वाले क्षेत्र बाराकर स्टेशन रोड पर हुई थी।“ इस वीडियो में आप वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहे दृश्य से मिलते- जुलते दृश्य को 0.13 मिनट पर देख सकते है। - तीसरा भाग (00:31-00:40 सेकंड तक) वारयरल हो रहे वीडियो में आप उसका तीसरा भाग 0.३१ से लेकर 0.४० सेकंड तक देख सकते है। इस भाग को देखने पर हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च किया तो हमें फेसबुक पर यही वीडियो एक उपभोक्ता द्वारा 16 जून 2018 को प्रसारित किया हुआ मिला। वीडियो के शीर्षक के मुताबिक इसमें दिख रहा दृश्य उत्तर प्रदेश के करौली गांव का है। इस वीडियो के शीर्षक में लिखा है, “हिंदुस्तान की तस्वीर उत्तर प्रदेश के करौली गाँव में हिन्दू वादी लोगों ने मुस्लिम मस्जिद की तोड़ फोड़ पत्थर बाजी करते हुए की। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी क्या यही है सब का साथ सब का विकास। आखिर कब तक हिंदू मुस्लिम आपस में लड़ते रहेंगे।“ इस वीडियो का बंगाल चुनाव के पूर्व से ही इन्टरनेट पर होने से ये स्पष्ट होता है कि वायरल हो रहे वीडियो का ये भाग वर्तमान में बंगाल में हुई हिंसा से नहीं है क्योंकि ये वीडियो बंगाल चुनाव से बहुत पहले से ही इन्टरनेट पर मौजूद है। - चौथा भाग (00:40-00:48 तक) वायरल हो रहे वीडियो में आप चौथा भाग 0.४० से लेकर 0.४८ सेकंड तक देख सकते है। इस वीडियो का फैक्टचेक फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा २३ मार्च २०१९ को किया गया था, उस समय यह वीडियो एक सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल हुआ था, आप हमारे द्वारा किये गए फैक्ट चेक को नीचे पढ़ सकते हैं क्या गुरुग्राम में मुस्लिम परिवार पर हमला करने वाले लोग संघी, आतंकी है? एन.डी.टी.वी द्वारा भी 23 मार्च 2019 को इस प्रकरण से सम्बंधित ख़बर प्रकाशित हुई थी - पांचवा भाग (00:48 – वीडियो के आखिरी तक) वायरल हो रहे वीडियो का पांचवा भाग आप 0.४८ से लेकर वीडियो के आखिर तक देख सकते है। इस वीडियो की जाँच के दौरान हमने यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च किया और वायरल हो रहे वीडियो के इस भाग में दिख रहा दृश्य हमें यूट्यूब पर एक उपभोक्ता द्वारा 18 सितंबर 2019 को प्रसारित किया हुआ मिला। इस वीडियो के शीर्षक में लिखा है, “कवी, राजस्थान, यू.पी, झारखंड द्वारा 600 चर्च नष्ट किये जा रहे है, कृपया प्रर्थना करें।“ इस वीडियो का बंगाल चुनाव के पूर्व से ही इन्टरनेट पर होने से ये स्पष्ट होता है कि वायरल हो रहे वीडियो का ये भाग वर्तमान में बंगाल में हुई हिंसा से नहीं है क्योंकि ये वीडियो बंगाल चुनाव से बहुत पहले से ही इन्टरनेट पर मौजूद है। निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया कि उपरोक्त दावा गलत है। वायरल हो रहा वीडियो पांच अलग व असम्बंधित वीडियो का संकलन है। इनमें से कोई भी वीडियो वर्तमान पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा से सम्बंधित नहीं है। फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा किये गये अन्य फैक्ट चेक पढ़ने के लिए क्लिक करें : १. गोबर से बने दो उपलों के साथ १० ग्राम घी को जलाने से ऑक्सीन नहीं बनती है, ये दावे सरासर गलत व भ्रामक हैं। २. केंद्र सरकार द्वारा अमेरिका से प्राप्त हुई मदद को वापस भेजने की ख़बरें फर्जी व भ्रामक हैं। ३. कोरोना की पुष्टि/ अपुष्टि मात्र सांस रोकने के परीक्षण से नहीं होती है| Title:पुराने व असम्बंधित वीडियो के संकलन को वर्तमान पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं के पलटवार का बता भ्रामकता फैलाई जा रही है।Fact Check By: Rashi Jain Result: False
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