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| - Last Updated on अगस्त 17, 2023 by Neelam Singh
सारांश
फेसबुक पर एक वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि आई-फ्लू कोरोना से भी ज़्यादा खतरनाक है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा गलत है।
दावा
फेसबुक पर एक वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि आई-फ्लू कोरोना से भी ज़्यादा खतरनाक है।
तथ्य जाँच
आई-फ्लू क्या है?
आई-फ्लू आंखों में होने वाला संक्रमण है। इसे Conjunctivitis या Pink- Eye भी कहा जाता है। आमतौर पर यह बारिश के मौसम में पनपनता है क्योंकि इस दौरान वातावरण में जीवाणु एवं विषाणु की संख्या बढ़ जाती है। इसके अलावा साफ-सफाई का ध्यान ना रखना, गंदे कपड़े या तौलिये से आंखों को पोंछना या हाथ से रगड़ने के कारण भी आंखों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हस्तांतरित भी हो सकता है।
आई-फ्लू क्यों होता है?
आई-फ्लू होने के निम्नलिखित कारण होते हैं-
- विषाणु संक्रमण – एडेनोवायरस और एंटरोवायरस कंजंक्टिवा (आंख के सामने के हिस्से को ढकने वाली एक पतली झिल्ली) में प्रवेश कर सकते हैं और आंखों में संक्रमण पैदा कर सकते हैं। वे आंखों में खुजली, अत्यधिक आंसू आना और लालिमा उत्पन्न कर सकते हैं। ये वायरस संक्रामक हैं इसलिए भीड़-भाड़ वाली जगहों या जिन्हें आई-फ्लू हुआ है, उनसे नियमित दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
- जीवाणु संक्रमण – आई-फ्लू के लक्षण जीवाणु संक्रमण से भी उत्पन्न होते हैं। स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा और स्टैफिलोकोकस ऑरियस जैसे बैक्टीरिया आसानी से कंजंक्टिवा पर आक्रमण कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप संक्रमण हो सकता है।
- संक्रमण – संक्रमण के कारण आंखों में पानी आना, आंखों का लाल हो जाना और लगातार खुजली होती है। धूल के कण, पालतू जानवरों की बाल, कुछ सौंदर्य प्रसाधन और परागकण जैसे कारक प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ संपर्क करते हैं, जिससे आई-फ्लू होने की संभावना में वृद्धि होती है।
आई-फ्लू के लक्षण क्या हैं?
आई-फ्लू के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं-
- आंखों में जलन
- आंखों का लाल हो जाना
- पानी आना
- रौशनी की ओर देखने में दिक्कत होना
- आंखों में सूजन
- पलक झपकाने में दिक्कत होना
- हमेशा ऐसा महसूस होना मानो आंखों में कुछ चला गया हो
कोरोना क्या है?
कोरोना या कोविड-19 एक ऐसी त्रासदी थी, जिसे कोई नहीं भूला सकता है। कोविड-19 वायरस, Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS) से जुड़ा हुआ एक नया वायरस है। यह वायरस किसी पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने से सांस के कणों/बूंदों के सीधे संपर्क में आने से या वायरस से संक्रमित सतह को छूने से फैलता है। कोविड-19 वायरस कुछ घंटों तक अपनी सतह पर जीवित रहता है।
कोरोना के लक्षण क्या हैं?
कोरोना के निम्नलिखित लक्षण हैं-
- बुखार
- थकान
- सुखी खांसी
- नाक का बंद होना
- गले की खराश
- सांस लेने में कठिनाई
- शरीर में दर्द
- स्वाद का खत्म हो जाना
- सुंघने की शक्ति खत्म हो जाना
- छाती में दर्द
कोरोना के बचाव के तरीके क्या हैं?
कोरोना से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं-
- निरंतर अपना हाथ साबुन या अल्कोहल आधारित हैंडवॉश से साफ़ करें।
- खांसते या छींकते समय टिश्यू या कोहनी को मोड़ कर अपने मुंह और नाक को ढंक लें और इस्तेमाल के बाद टिश्यू को नष्ट कर दें।
- सर्दी-जुकाम या फ्लू के लक्षणों वाले किसी भी व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
- अगर लंबे वक्त तक बुखार, खांसी या सांस की तकलीफ हो तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
क्या आई-फ्लू कोरोना से भी ज़्यादा खतरनाक है?
नहीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार कोरोना के अब तक 769,774,646 केस मिल चुके हैं, जिसमें से 6,955,141 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है। वहीं आई-फ्लू के लिए ऐसा कोई अधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है। इन आंकड़ों की मदद से कोरोना की विभीषिका का अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं आई-फ्लू के रिकवरी रेट की बात करें, तो शोध के अनुसार इसे ठीक होने में 10-14 दिन लगते हैं और अगर सही समय पर इलाज ना किया जाए, तो इसे ठीक होने में 30 दिन भी लग सकते हैं। हालांकि आई-फ्लू के कारण मौत का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
डॉ. आदित्य सेठी, Ophthalmologist, Arunodaya Deseret Eye Hospital (ADEH) at Gurgaon, बताते हैं, “आई फ्लू, जिसे Conjunctivitis के रूप में भी जाना जाता है, आमतौर पर घातक नहीं होता है। इसकी तुलना कोविड-19 से नहीं की जा सकती क्योंकि कोविड-19 बीमारी की गंभीरता और प्रभाव काफी अलग है। आई फ्लू असुविधा का कारण बन सकता है पर जीवन-घातक नहीं। वहीं कोविड-19 एक श्वसन वायरस (respiratory virus) है, जिसका स्वास्थ्य पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। आई-फ्लू जैसे संक्रमणों से बचने के लिए जरूरी है कि साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जाए और चिकित्सक की सलाह ली जाए।”
नेत्र सर्जन डॉ. आफताब आलम बताते हैं, “आई-फ्लू रोगी के जीवन को खतरे में डालने वाली बीमारी नहीं है बल्कि यह मुख्य रूप से आंखों से जुड़ा एक स्वतः ठीक होने वाला संक्रमण है, जो कोरोना वायरस जितना गंभीर नहीं है। आई-फ्लू को रोकने के लिए संक्रमित व्यक्ति से उचित दूरी, साफ-सफाई और चिकित्सीय सलाह महत्वपूर्ण है।”
उपरोक्त दावों और चिकित्सकों के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि आई-फ्लू कोरोना जितनी गंभीर या जानलेवा संक्रमण नहीं है इसलिए वीडियो में दिखाया जा रहा दावा गलत है। आई-फ्लू से जुड़ी किसी भ्रामक खबर पर भरोसा ना करें और उचित नियमों का पालन करें।
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