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Fact Check
Claim
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने हिंदू संस्कृति को ख़त्म करने के लिए मूर्ति बनाने वाले लोगों के गोदाम को सील कर दिया.
Fact
वायरल दावा फ़र्ज़ी है, मूर्तियों को बनाने में केमिकल्स का इस्तेमाल करने की वजह से जिला प्रशासन ने मूर्तियों को जब्त कर गोदाम सील कर दिया था.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें कुछ महिलाएं और बच्चे पुलिस के सामने रोते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस दौरान वहां भगवान गणेश की मूर्तियां भी नज़र आ रही हैं. साथ ही वीडियो में यह भी देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में मूर्ति वाली जगह को सील किया जा रहा है.
इस वीडियो के जरिए सोशल मीडिया यूजर्स तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके सरकार पर निशाना साध रहे हैं. वायरल दावे में लिखा हुआ है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने हिंदू संस्कृति को ख़त्म करने के लिए मूर्ति बनाने वाले लोगों के गोदाम को सील कर दिया.
क़रीब 4 मिनट 19 सेकेंड वाले इस वीडियो को फ़ेसबुक पर वायरल दावे वाले कैप्शन के साथ शेयर किया गया है. कैप्शन में लिखा हुआ है, “तमिलनाडु में भगवान कि मूर्ति बनाने वाले गरीब मारवाड़ीयो के झोपड पट्टी गोदाम को सील कर के मूर्तियो को बेचने का नोटिस दिया अब गणेश चतुर्थी को आर्डर की गयी मूर्तियों को नहीं दे पायेगें तमिलनाडु के I. ND. I. A मुख्यमंत्री का ऐलान हिन्दू संस्कृति का अंत करने का नया तरीका”.
Newschecker ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले वीडियो को ध्यानपूर्वक देखा तो हमें इसपर तमिल न्यूज़ आउटलेट Polimer News का लोगो दिखाई दिया.
Polimer News के यूट्यूब अकाउंट पर खोजने के दौरान हमें यह वीडियो मिल गया, जिसे चैनल पर 17 सितंबर को अपलोड किया गया है। वीडियो के साथ मौजूद टाइटल और डिस्क्रिप्शन के अनुसार, “गोदाम में रखी गई क़रीब 10 लाख रुपए से ज्यादा कीमत की गणेश मूर्तियों को सील करने के बाद उत्तर भारत से आए वर्कर रो पड़े. मूर्ति बनाने में केमिकल इस्तेमाल करने की वजह से इन गोदामों को सील किया गया. हालांकि, चेन्नई हाईकोर्ट की मदुरै ब्रांच के आदेश के बाद सील को आज हटा दिया जाएगा”.
ज्यादा जानकारी के लिए हमने न्यूजचेकर की तमिल टीम से भी संपर्क किया. उन्होंने बताया कि तमिलनाडु के करूर जिले के सुंगागेट क्षेत्र में राजस्थानी कलाकार सालों से मूर्तियां और खिलौने बनाते हैं. बीते दिनों स्थानीय प्रशासन को केमिकल मिलाकर मूर्ति बनाए जाने की शिकायत मिली थी. चूंकि, न्यायालय के आदेश की वजह से राज्य में मूर्तियों को बनाने में केमिकल का इस्तेमाल किए जाने पर रोक है, इसलिए इन मूर्तियों के गोदाम पर छापेमारी की गई और बंद कर दिया गया.
हमें इस दौरान इससे जुड़ी कुछ रिपोर्ट भी मिली. इन ख़बरों में कहीं भी धार्मिक या जातीय एंगल का ज़िक्र नहीं किया गया है.
कुछ खबरों में यह भी बताया गया है कि जिला प्रशासन द्वारा की गई छापेमारी के बाद कुछ हिंदूवादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किया. लेकिन जब जिला प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण निगम और पुलिस प्रशासन ने गलती बताई तो उन्होंने प्रदर्शन वापस ले लिया. आप इससे जुड़ी रिपोर्ट यहां, यहां और यहां पढ़ सकते हैं.
पड़ताल के दौरान हमने करूर के जिला राजस्व अधिकारी से संपर्क किया. उन्होंने वायरल दावे का खंडन करते हुए कहा कि, “हमने रसायनों के उपयोग और प्रदूषण नियमों का उल्लंघन करने को लेकर कार्रवाई की और गणेश मूर्तियों के इन गोदामों को सील कर दिया. इसमें कोई जातीय एंगल नहीं है”.
जांच में हमें जिला अधिकारी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से किया गया ट्वीट भी मिला. ट्वीट में कुछ डॉक्यूमेंट्स शेयर करते हुए उन्होंने बतौर कैप्शन लिखा है, “यह खबर तथ्यात्मक रूप से अधूरी और तोड़-मरोड़ कर पेश की गई है. सत्य इस प्रकार है – विभिन्न माननीय उच्च न्यायालयों, एनजीटी और सीपीसीबी द्वारा बार-बार निर्देशित किया गया है कि विनायक चतुर्थी के लिए बनाई जाने वाली मूर्तियां पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं से बनी होंगी. पीओपी जैसी सामाग्री सख्त वर्जित है.”
जांच में हमने यह भी पाया कि इस तरह की कार्रवाई साल 2018 में भी की गई थी, जब राज्य में एआईडीएमके की सरकार थी. इससे जुड़ी जानकारी 7 सितंबर 2018 को न्यूज़ 18 तमिल की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई थी.
हमारी जांच में यह स्पष्ट है कि मूर्तियों को बनाने के दौरान केमिकल्स का इस्तेमाल किए जाने के कारण तमिलनाडु के करुर जिला प्रशासन ने गणेश की मूर्तियों को जब्त कर गोदाम को सील कर दिया था. इसमें कोई जातीय या धार्मिक एंगल नहीं है.
Our Sources
Video published by Polymer news on September 17, 2023
News published by Dinamani on September 14, 2023
News published by Dinmalar on September 18, 2023
News published by Vikatan on September 15, 2023
News published by News18 Tamil on September 8, 2018
Tweets made by collector karur
Conversation with DRO Karur
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