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  • Last Updated on जनवरी 30, 2025 by Neelam Singh सारांश सोशल मीडिया पर जारी एक पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि यमुना के पानी में जहर मिलाया जा रहा है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा ज्यादातर गलत है। दावा दावाकर्ता ने अपने पोस्ट के जरिए लिखा है कि दरअसल भाजपा दिल्ली के पानी में जहर मिला कर कोई बड़ा हादसा करवाना चाहती थी। तथ्य जाँच क्या यमुना के पानी में ज़हर मिलाने का दावा सही है? नहीं। यमुना के पानी में ज़हर मिलने के सबूत तो नहीं हैं क्योंकि दिल्ली जल बोर्ड (DJB) की CEO शिल्पा शिंदे ने दिल्ली के मुख्य सचिव (Secretary) को पत्र लिखकर बताया है कि हरियाणा राज्य द्वारा यमुना के पानी में जहर छोड़ने का दावा गलत है। उन्होंने कहा कि ऐसे दावे बिना आधार के हैं। ये लोगों में अनावश्यक चिंता एवं भ्रम की स्थिति उत्पन्न करते हैं। शिल्पा शिंदे ने यह भी कहा कि इस तरह की बातें राज्यों के आपसी संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं। इस पत्र में यह भी लिखा है कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा नियमित रुप से यमुना की मॉनिटरिंग की जाती है। क्या दिल्ली में पानी से जुड़ी कोई असामान्य स्वास्थ्य घटना घटी है? नहीं। फिलहाल इस तरह की कोई घटना सामने नहीं आई है, जो बताती हो कि दिल्ली में यमुना के पानी के कारण कोई असामान्य घटना घटित हुई हो इसलिए इस तरह के दावों को राजनीति से प्रेरित कहा जा सकता है क्योंकि चुनावी माहौल के समय इस तरह की बयानबाजी की जाती है। हालांकि इसका असर लोगों पर नकारात्मक तौर पर पड़ता है। यमुना जल की गुणवत्ता की निगरानी कैसे की जाती है? यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता की जांच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा की जाती है। यह जांच राष्ट्रीय जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (NWMP) के तहत उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ मिलकर की जाती है। आप इसे निम्नलिखित बिंदूओं से बेहतर समझ सकते हैं- गुणवत्ता की जाँच के लिए जिम्मेदार एजेंसी: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) - यमुना की निगरानी कैसे होती है: सबसे पहले नदी के अलग-अलग स्थानों से नियमित रूप से पानी के नमूने लिए जाते हैं। - मापे जाने वाले पैरामीटर: पानी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD), pH स्तर, तापमान, घुली हुई ऑक्सीजन और भारी धातु जैसे रासायनिक प्रदूषक की जाँच की जाती है। - गुणवत्ता जाँच क्यों जरूरी है: यह नदी की सेहत समझने और ज्यादा प्रदूषित इलाकों की पहचान करने में मदद करता है। - यमुना प्रदूषण के वास्तविक कारण क्या हैं? Water Quality Assessment of Yamuna River for Its Impact on Durability of Concrete Structures along the Riverbed के अनुसार अशोधित या आंशिक रूप से उपचारित घरेलू सीवेज (Untreated or partially treated domestic sewage), औद्योगिक कचरा (industrial waste) और कृषि अपशिष्ट (agricultural runoff) यमुना नदी में प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। नदी के किनारे बसे शहर इसमें भारी मात्रा में प्रदूषक छोड़ते हैं। जब यमुना दिल्ली में प्रवेश करती है, तो इसका पानी जीवन को बनाए रखने के लिए उपयुक्त होता है लेकिन दिल्ली में प्रवेश के बाद मानव व औद्योगिक गतिविधियों के कारण यह अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है। CPCB 2010-2012 की रिपोर्ट बताती है कि वजीराबाद से ओखला के बीच का हिस्सा सबसे अधिक प्रदूषित है। इस हिस्से में पानी में जैविक और रोगजनक कारकों (organic and pathogenic contaminants) की उच्च मात्रा पाई जाती है। घुलित ऑक्सीजन (DO) का स्तर भी औसतन 1.85 mg/L है, जो बहुत कम है। वहीं, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD), औसतन 17.1 mg/L है, जो बहुत अधिक है। अगर यह कम होता है, तब इसका मतलब है कि पानी में प्रदूषण का स्तर कम है लेकिन यमुना के केस में यह बहुत ज्यादा है। ये स्तर गंभीर प्रदूषण, ऑक्सीजन की कमी और यूट्रोफिकेशन (Eutrophication) को दर्शाते हैं, जिससे यह पानी स्नान या अन्य उपयोगों के लिए अनुपयुक्त हो जाता है। ये आंकड़े बताते हैं कि इस खंड में पानी की गुणवत्ता स्नान या किसी अन्य उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं है। क्या प्रदूषित यमुना का जल स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है? Water Quality Status of Yamuna River and its Toxic Effects on Humans शोध के अनुसार यमुना के प्रदूषित जल के कारण लोगों पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है, जो निम्नलिखित हैं- 1. जलजनित रोग (Water borne disease) डायरिया: बैक्टीरिया जैसे- E. coli और सैल्मोनेला से डायरिया हो सकता है, जिससे डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) और गंभीर मामलों में मौत हो सकती है। - हैजा: गंदे पानी में मौजूद विब्रियो कोलेरा (vibrio cholerae) बैक्टीरिया के कारण तीव्र गति से डिहाइड्रेशन होता है। - हेपेटाइटिस A: दूषित पानी के कारण लिवर संक्रमण हो सकता है। - टाइफाइड बुखार: यह सैल्मोनेला टाइफी (Salmonella Typhi) बैक्टीरिया के कारण होता है, जो दूषित पानी या खाने के कारण फैलता है। - 2. भारी धातुओं से विषाक्तता (Heavy Metal Poisoning) सीसा (Lead): यह बच्चों के मानसिक विकास में देरी, किडनी की समस्या, उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है। - पारा (Mercury): हाथ कांपना, दिमागी समस्या, किडनी की समस्या और गंभीर मामलों में मौत भी हो सकती है। - कैडमियम (Cadmium): किडनी खराब होना, हड्डियों की बीमारी और कैंसर का कारक बन सकता है। - आर्सेनिक (Arsenic): त्वचा पर घाव, अंदरूनी कैंसर, हृदय रोग और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का कारण बन सकता है। - 3. रासायनिक प्रदूषक (Chemical Contaminants) हार्मोनल असंतुलन: पेस्टीसाइड जैसे रसायन हार्मोन को प्रभावित करते हैं, जिससे प्रजनन, शारीरिक एवं मानसिक विकास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। - कैंसर: लंबे समय तक जहरीले रसायनों के संपर्क में रहने से ल्यूकेमिया और लिवर कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। - 4. त्वचा संक्रमण डर्मेटाइटिस: दूषित पानी के संपर्क से जलन, सूजन और लालिमा हो सकती है, जो त्वचा के लिए बहुत हानिकारक है। - यमुना के जल का लोग किस तरह से प्रयोग करते हैं? शोध बताते हैं कि यमुना नदी के पानी का कई तरह से उपयोग होता है, जिसमें से कुछ निम्नलिखित है- पीने का पानी: यह नदी कई शहरों को पीने का पानी प्रदान करती है। - कृषि: यमुना के पानी का उपयोग कृषि भूमि की सिंचाई के लिए किया जाता है। - धार्मिक कार्य: लोग यमुना के पानी का उपयोग धार्मिक कार्यों के लिए करते हैं। - औद्योगिक उपयोग: उद्योग यमुना के पानी का उपयोग विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए करते हैं। - हालांकि यमुना नदी में प्रदूषण की समस्या है, जिससे इसके उपयोग पर असर पड़ता है। क्या वाकई यमुना का पानी उपयोग करने लायक है? कहा जाता है कि जल है, तो कल है लेकिन जल ही जब प्रदूषित हो जाए, तब अनेक समस्या खड़ी हो सकती है। जैसा कि हमने पाया है कि यमुना का जल स्वच्छ नहीं है। ऐसी कई तस्वीरें सामने भी आई हैं, जहां यमुना को झागयुक्त पाया गया है इसलिए इस बात को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता कि यमुना प्रदूषित नहीं है लेकिन ऐसा नहीं है राजनीतिक कारणों से किसी और राज्य या राजनीतिक दल द्वारा कि इसमें ज़हर मिलाया जा रहा है। यमुना के जल का प्रदुषण सरकार द्वारा उचित कदम न उठाये जाने के कारण अधिक है। देखा जाए, तो जो लोग भी इसे प्रदूषित कर रहे हैं, वे सब इसे जहरीला और अनुपयोगी बना रहे हैं इसलिए यह दावा ज्यादातर गलत है क्योंकि यमुना को स्वच्छ रखना सबकी जिम्मेदारी है। अन्य तथ्य जाँच यहां पढ़ सकते हैं- भारत देश में 21 दिन का लॉक डाउन लगने वाला है एवं केवल 14 दिनों में आंखों की रौशनी वापस आ सकती है.
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