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| - सर्दियों में त्वचा को सूर्य के प्रकाश से कम अनावृत होने के कारण, विटामिन डी की कमी वाले केसेस में बढ़ोतरी पायी गयी है। सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में विटामिन डी आपके शरीर द्वारा स्वयं संश्लेषित कर लिया जाता है। सर्दियों में अनेक कारणों से त्वचा का सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आना कम हो जाता है। कईं लोग सर्दियों में अपने को ठण्ड से बचाने की कोशिश में घरों से बाहर नहीं निकलते और कईं अन्य लोग पूरी तरह से अपने शरीर को गर्म कपड़ो से ढक देते हैं जिससे उनकी त्वचा सूर्य का प्रकाश ग्रहण नहीं कर पाती।
साथ ही धुंध तथा अन्य मौसम संबंधी परिवर्तनों के कारण सर्दियों में दिन के समय शायद ही कभी धूप निकलती है और सूर्य की किरणें भी उतनी तेज और प्रभावशाली नहीं होती जितनीं की गर्मियों में। इसीलिए मौसमी परिवर्तन के कारण भी आपके शरीर में विटामिन डी का स्तर प्रभावित होता है। सूर्य के प्रकाश से कम अनावृत होने के कारण, आपके शरीर को प्रचुर मात्रा में पराबैंगनी किरणें नहीं छू पाती जिनके साथ त्वचा का अनावरण होना विटामिन डी के बनने के लिए आवश्यक है।
विटामिन डी के उचित स्तर को अपने शरीर में बनाये रखने के लिए आपको प्रतिदिन घर से बाहर सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में कम से कम १५ मिनट की सैर करनी चाहिए और अपने चिकित्सक से परामर्श के बाद विटामिन डी की पूरक दवा का सेवन भी कर सकते हैं। इसके साथ साथ विटामिन डी की प्रचुरता वाले खाद्य पदार्थ जैसे मछिलयों में सालमॅन, मैकेरल, टूना, तथा पनीर, अण्डे, और मशरूम का सेवन भी करना चाहिए। साथ ही विटामिन डी के स्तर की नियमित जांच भी करवानी चाहिए।
विटामिन डी की कमी से ग्रसित लोगों में श्वेतकमेह (एक रोग) से पीड़ित होने का खतरा दुगुना पाया जाता है (अमेरिकन जर्नल ऑफ़ किडनी डिसीसेस के अनुसार)। श्वेतकमेह, एक रोग जिसमे मूत्र में एल्ब्यूमिन नाम के प्रोटीन की उपस्थिति पायी जाती है, गुर्दे के रोगों का एक आरम्भिक लक्षण है। विटामिन डी की कमी से आपके गुर्दे प्रभावित हो सकते हैं।
आपके गुर्दे आपके शरीर में विटामिन डी को उपयोगी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह विटामिन डी को उसके शरीर के लिए उपयोगी सक्रिय रूप में परिवर्तित करता है। विटामिन डी की कमी से ग्रसित लोगों के गुर्दे, विटामिन डी को उसके सक्रीय रूप में नहीं बदल पाते।
क्रोनिक किडनी रोगों से ग्रसित व्यक्तियों में विटामिन डी का स्तर आवश्यकता से काम पाया जाता है। गुर्दे में चोट लगने से गुर्दे की विटामिन डी को इसकी सक्रिय रूप में बदलने की क्षमता समाप्त हो जाती है। विटामिन डी की पूर्ती सूर्य के प्रकाश, विभिन्न खाद्य पदार्थों तथा पूरको द्वारा की जा सकती है।
जी हाँ सनस्क्रीन के उपयोग से आपके शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है क्योंकि सनस्क्रीन आपकी त्वचा को सूर्य की पराबेंगनी किरणों के संपर्क में नहीं आने देते। अमरीकन ऑस्टिओपथिक एसोसिएशन की पत्रिकाओं में प्रकाशित तथ्यों के अनुसार सनस्क्रीन के लम्बे समय तक लगातार उपयोग से आपके शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है।
जहां एक ओर सनस्क्रीन के कईं फायदे हैं जैसे की सनस्क्रीन सनबर्न, त्वचा के कैंसर, तथा समय से पहले वृद्धता को रोकने में मदद करते हैं वहीँ दूसरी ओर सनस्क्रीन आपके शरीर में सूर्य के प्रकाश से विटामिन डी को अवशोषित नहीं होने देते।
इस समस्या को हल करने का एक आसान उपाय यह है कि सनस्क्रीन के उपयोग तथा आपकी त्वचा के सूर्य के प्रकाश से संपर्क की समयावधि के बीच एक संतुलन बनाना आवश्यक है ऑस्टियोपोरोसिस इंटरनेशनल द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार सुबह ग्यारह बजे से दोपहर एक बजे तक का समय सूर्य के प्रकाश को प्राप्त करने का सबसे उचित समय है।
एक स्वस्थ व्यस्क को प्रतिदिन लगभग २० से ३० मिनट तक सूर्य के प्रकाश में रहना आवश्यक है ताकि उसी अपने शरीर के लिए पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिल सके।
विटामिन डी की कमी का सबसे अधिक असर हड्डियों तथा मॉस पेशिओं की कमजोरी के रूप में होता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हुए अध्ययनों के अनुसार पता चला है कि विटामिन डी की कमी के कारण आपके शरीर में उच्च रक्तचाप, ब्लड वेसल्स की स्थाई सूजन तथा कंजेस्टिव हृदयआघात जैसे रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
कुछ अध्ययनों से यह पता चला है कि विटामिन डी के कम स्तर से ह्रदय रोगियों में धमनियों का गाढ़ापन, एंडोथेलिअल डिसफंक्शन तथा गंभीर हृदय आघात की संभावना बढ़ जाती है।
क्लीनिकल एंडोक्रिनोलॉजी तथा उपापचयन से सम्बंधित एक पत्रिका में छपे अध्ययनों के अनुसार खोजकर्ताओं ने यह पाया है कि विटामिन डी की कमी के कारण हृदयाघात तथा अन्य हृदय रोगों से होने वाली मृत्यु की सम्भावना बढ़ जाती है।
विटामिन डी महिलाओं तथा पुरुषों में यौन स्वाथ्य वर्धन में सहायता करता है। क्लीनिकल एंडोक्रिनोलॉजी की पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जिन पुरुषों के शरीर में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में होता है, उनका टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का स्तर, विटामिन डी की कमी वाले पुरुषों की तुलना में अधिक होता है। मूत्रविज्ञान तथा नेफ्रोलॉजी से सम्बंधित एक प्रकाशित अध्यनन के अनुसार जिन महिलाओ में यौनसम्बन्धी विकृति पायी गयी, उनमें विटामिन डी का स्तर काफी कम था। विटामिन डी के स्तर में कमी से महिलाओं तथा पुरुषों, दोनों का स्वास्थय बुरी तरह प्रभावित होता है।
आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन हॉर्मोनो का स्तर न केवल कामावेश को नियंत्रित करता है, बल्कि काम सम्बन्धी मनोदशा को भी प्रभावित करता है। इससे डिप्रेशन तथा चिंता जैसे मानसिक रोग भी हो सकते हैं विटामिन डी का सबसे उत्तम स्त्रोत सूर्य का प्रकाश है, हालांकि विटामिन डी की आपूर्ति कईं पूरक पदार्थों तथा खाद्य पदार्थों जो विटामिन डी को पचुर मात्रा में प्रदान करते हैं, के द्वारा भी की जा सकती है।
महिलाओं में विटामिन डी की कमी की वजह से उनका मासिक धर्म चक्र प्रभावित होता है। अनियमित मासिक धर्म गर्भ धारण करने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है तथा अंडाणु के उत्सर्जन की प्रक्रिया को धीमा करता है। एक रिसर्च के अनुसार, महिलाओ के शरीर में उपस्थित विटामिन डी की मात्रा मासिक धर्म की समयावधि तथा उससे सम्बंधित अंडाणु उत्सर्जन की प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
शरीर में विटामिन डी के पर्याप्त मात्रा को सुनिश्चित करना आपके लिए आवश्यक है। विटामिन डी आपके शरीर को स्वस्थ रखने में सहायत करता है। विटामिन डी मासिक धर्म के समय होने वाली पीड़ा तथा ऐंठन को भी काम करता है।
सूर्य के प्रकाश से प्राप्त होने वाले पराबैंगनी बी विकिरिण, विटामिन डी के अच्छे स्त्रोत हैं। विटामिन डी की आपूर्ति आपके शरीर में पूरक पदार्थों द्वारा या फिर खाद्य पदार्थों के द्वार भी की जा सकती है। वसा युक्त मछलियों जैसे सालमॅन, हेरिंग तथा मैकेरल पराजितों में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
जी हाँ यह कथन सही है कि साँवली त्वचा के लोगों को विटामिन डी की कमी का खतरा अधिक होता है क्योंकि सांवली त्वचा में पाया जाने वाला मेलेनिन नाम का पिग्मेन्ट, गोरी त्वचा की तुलना में बहुत ही कम मात्रा में पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करता है।
जब त्वचा सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आती है, 7-डीहाइड्रो कोलेस्ट्रॉल के पराबैंगनी विकिरणों के साथ क्रिया के फलस्वरूप आपकी त्वचा में विटामिन डी का संश्लेषण होता है। सांवली त्वचा प्राकृतिक रूप से पराबेंगनी विकिरणों से आपके शरीर को सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन इसके साथ ही सांवली त्वचा, विटामिन डी के संश्लेषण में बाधा उत्पन्न करती है इसीलिए सांवली त्वचा वाले व्यक्तियों को गोरी त्वचा के व्यक्तियों की तुलना में उचित मात्रा में विटामिन डी के संश्लेषण के हेतु अधिक समय के लिए सूर्य का प्रकाश ग्रहण करना होगा।
शराब के अधिकाधिक सेवन से मानव शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है। विटामिन डी मानव शरीर में पाया जाने वाला एक पोषक तत्त्व है जो हड्डियों को मज़बूत बनाये रखने में सहायक है।
सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में शरीर में विटामिन डी का संश्लेषण होता है। प्राकृतिक रूप में भी विटामिन डी कुछ खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, लेकिन अधिकाधिक मात्रा में शराब का सेवन मानव शरीर में विटामिन डी के प्राकृतिक अवशोषण की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करता है।
शराब, विटामिन डी (खाद्य पदार्थों से प्राप्त या अंत: उत्पादित विटामिन डी) के सक्रिय उपापचयों में परिवर्तित होने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करता है। परिणामस्वरूप, जो व्यक्ति शराब का अत्यधिक मात्रा में सेवन करते हैं, उनके रक्त में सक्रीय विटामिन डी की मात्रा कम हो जाती है।
अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन करने से शरीर में आंतो की आतंरिक परत की हानि होती है। इस परत का कार्य भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करना हैI यदि शराब का अत्यधिक सेवन करने वाले व्यक्ति पोषक तत्वों से भरपूर भोजन ग्रहण भी करते हैं, फिर भी उन्हें भोजन में उपस्थित विटामिन डी सहित अन्य पोषक तत्वों का पूरा लाभ नहीं मिल पाता।
4 अप्रैल, 2020 को भारत के प्रमुख मीडिया चैनल, ज़ी न्यूज़ द्वारा दिखाई गयी कहानी के अनुसार, एक भारतीय कंपनी, भारत बायोटेक ने कोरोना वायरस के टीके को प्रमोचित किया है| इस टीके का नाम कोरो वाक बताया जा रहा है| यह कहानी हिंदी में प्रकाशित हुई | हमारी आरम्भिक जांच से पता चला है कि यह कहानी गलत है|
दावा :
भारत के एक प्रमुख मीडिया हाउस, ज़ी न्यूज़ के द्वारा एक खबर हिंदी में प्रकाशित की गयी है जिसके अनुसार एक भारतीय कंपनी जिसका नाम भारत बायोटेक है ने कोरोना वायरस के टीके की खोज पहले ही कर ली है| यह बताया गया है कि इस टीके का नाम कोरो वाक है| राष्ट्रीयता से भाव विभोर होकर कुछ लोगों ने यह कहानी सोशल मीडिया वेबसाइट पर भी डाल दी | इस पोस्ट का आर्काइवड वर्जन देखने के लिए यहां क्लिक करें|
फैक्ट चेक :
विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर दिंनाक 5 अप्रैल, २०२० को यह प्रकाशित हुआ कि COVID-19 वैश्विक महामारी के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है| विश्व स्वस्थ्य संगठन की वेबसाइट पर इसका आर्काइवड वर्जन देखा जा सकता है | उसी का स्नैपशॉट भी नीचे दिया गया है |
भारत बायोटेक कंपनी का इस विषय पर क्या कहना है ?
भारत की प्रमुख मेगज़ीन, बिज़नेस टुडे में 3 अप्रैल, 2020 को ज़ी न्यूज़ की कहानी से पहले प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत बायोटेक कंपनी के चेयरमैन ने कहा की यदि इस समस्या को एक राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए तो लगभग आठ महीनो में टीका त्यार हो सकता है| ऐसा बिज़नेस टुडे में प्रकाशित हुआ |
डॉक्टर कृष्णा एला , भारत बायोटेक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ने कहा :-
“भारत बायोटेक और यू एस स्थित फ्लू जन ने विनकोसिन -मैडिसन के अनेक वायरस विशेषज्ञों के साथ मिलकर COVID-19 के टीके पर शोध और टेस्टिंग शुरू कर दी है जिसे कोरो फ्लू का नाम दिया गया है| बिज़नेस टुडे से बात करते हुए उन्होंने बताया की बहुत सी बातें अप्रूवल के प्रक्रिया पर निर्भर करती हैं| अगर सरकार चाहे तो जल्दी काम करके इस राष्ट्रीय आपदा में लगभग आठ महीनों में यह टीका बाज़ार में आ जाएगा |
देश के एक और प्रमुख अखबार, द हिंदू में ३ अप्रैल , 2020 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, “विनकोसिन -मैडिसन में हो रहे प्रयोग जानवरों पर किये जाने वाले शोधों तथा कोरो फ्लू टीके की टेस्टिंग को पूरा होने में लगभग तीन से छह महीने लगेंगे| भारत बायोटेक उसके बाद अधिक मात्रा में इंसानों में उसे टेस्ट करने के उपाय करेगी | 2020 के अंत तक कोरो फ्लू मांनव परीक्षणों में पहुँच जायेगी|
इस बात पर ध्यान दीजिये की बिज़नेस टुडे के अनुसार, भारत बायोटेक द्वारा फ्लू जन के साथ मिलकर बनाये जाने वाले टीके का नाम कोरो फ्लू है ना कि कोरो वाक जैसा कि ज़ी न्यूज़ ने बताया|
रचेस एला, बिज़नेस डेवलपमेंट हेड, भारत बायोटेक ने हमारे सवालों के जवाब दिए और बताया कि “हमारे टीके का नाम कोरो फ्लू है| अभी हम जानवरों पर टीके के असर पर शोध कर रहे हैं | इस टीके का मानव पर असर सम्बन्धी ट्रायल्स लगभग अगले छह माह में शुरू होंगे| अगर सब सुचारु रूप से चलता रहा तो 2021 की तीसरी तिमाही तक यह टीका इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो जायेगा|”
हमने इन सारी बातों की जांच की और निष्कर्ष यह है कि भारत बायोटेक कोरो वाक नाम की किसी दवा या टीके पर काम नहीं कर रहा है|
फेसबुक पर छपी एक खबर के अनुसार, अमेरिका के पास कोरोना वायरस का टीका उपलब्ध है जिसे वे अपने पशुओं में इस्तेमाल करते हैं| इसी वजह से अभी उत्पन्न हुआ संकट असलियत में मीडिया द्वारा बनाया गया है| इस पोस्ट में एक फोटो भी है जिसमे दवा के मौजूद होने का दावा है| हमने जांच की और पता चला की यह दावा गलत है |
फेसबुक पर छपी एक खबर के अनुसार, अमेरिका के पास कोरोना वायरस का टीका उपलब्ध है जिसे वे अपने पशुओं में इस्तेमाल करते हैं | इसी वजह से अभी उत्पन्न हुआ संकट असलियत में मीडिया द्वारा बनाया गया है | इस पोस्ट में एक फोटो भी है जिसमे दवा के होने का दावा है| हमने जांच की और पता चला की यह दावा गलत है |
दावा
फेसबुक यूजर हम्माद चौधरी द्वारा पोस्ट किया गया है कि यदि आप यह जानना चाह्ते हैं कि मीडिया जनता को किस हद तक नियंत्रित कर सकता है, आपको यह बता दू कि अमेरिका में सदियों से पशुओं को कोरोना वायरस का टीका लगाया जा रहा है|
फिर भी आपको यह कहा जा रहा कि यह नया वायरस है जो आपको मार सकता है इसीलिए जा कर मास्क खरीदो | इस पोस्ट में एक दवा ” स्कोरगार्ड -4 के ” की फोटो भी लगाई गयी है | यह पोस्ट एक फेसबुक यूजर हम्माद चौधरी द्वारा पोस्ट की गयी है |
पहले ही बता दे की , पोस्ट के कमैंट्स सेक्शन में जब दोस्तों ने इस पे सवाल किया तोह पोस्ट करने वाला ब्यक्ति ने लिखा कि यह पोस्ट एक मीम है जिसका उद्देश्य केवल मनोरंजन | इसी से पता चल जाता है की यह ढाबा बेबुनियाद है | लेकिन हमलोगों ने फिर भी इसके बारें में थोड़ा और जांच किया |
क्या सच में कोई स्कोरगार्ड-4के नाम की दवा है? इस दवा का क्या काम है?
जी हाँ| एक कंपनी Zoetis Inc., जो कि पशुओं के लिए दवा बनाती है ने इस नाम से एक दवा उत्पादित की है| इस कंपनी ने इस दवा को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया है| हालांकि कंपनी ने स्पष्ट रूप से दवा पर यह लिखा है कि इसका उपयोग केवल पशुओं के लिए ही किया जाना चाहिए| यह विवरण दवा पर लिखी जानकारी की पुष्टि करता है| कंपनी ने यह भी कहा है कि स्कोरगार्ड-4के टीके में उपस्थित दवा का उपयोग केवल स्वस्थ गायों और बछियों में बोवाइन रोटा वायरस (सेरोटाइप जी 6 और जी 10), बोवाइन कोरोना वायरस और के 99 पिलाई वाले एस्केरिशिया कोलाई के एन्टेरो टॉक्सी जनिक स्ट्रेन से होने वाले दस्त से रक्षा करने के लिए किया जाता है |
क्या स्कोर गार्ड -4के दवा सही में कोरोना वायरस के विरुद्ध काम कर सकती है?
यह वही सम्भ्रान्ति है जैसी हमने डेटोल के बारे में कही गयी झूठी खबर के बारे में कही थी| तब भी उपभोक्ताओं ने कोरोना वायरस शब्द लेकर उसकी तुलना विश्व में अभी हो रही महामारी से की थी|
एक बार फिर से स्पष्टीकरण पढ़िए| कोरोना वायरस शब्द का प्रयोग एक वायरस के समूह को दर्शाने के लिए किया जाता है| यह केवल एक वायरस नहीं बल्कि अनेकों वायरस का एक समूह है | अलग अलग प्रकार के कोरोना वायरस पाए गए हैं जैसे कि मर्स तथा सार्स कोरोना वायरस| विश्व स्वास्थय संगठन ने पहले ही इसे आधिकारिक तौर पर ‘अति तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोना वायरस-2’ – SARS-COV-2 का नाम दे दिया है|
स्कोर गार्ड -4के बोवाइन रोटावायरस नमक एक प्रकार कोरोना वायरस के विरुद्ध काम करने में सक्षम है |
क्या मानव को बीमार करने वाले कोरोना वायरस का टीका उपलब्ध है?
3 अप्रैल, 2020 को जारी की गयी जानकारी के अनुसार, मानवघाती कोरोना वायरस की अभी तक कोई दवा या टीका उपलब्ध नहीं है|
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