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  • राजस्थान: भाजपा शासनकाल में गिराए गए मंदिर की तस्वीर फ़र्ज़ी दावे से वायरल बूम ने पाया कि वायरल तस्वीर असल में क़रीब 7 साल पुरानी है. जयपुर में मेट्रो रेल परियोजना के लिए रास्ता बनाने के लिए इस मंदिर को 2015 में तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा गिराया गया था. राजस्थान के अलवर ज़िले में मंदिर गिराए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. 300 साल पुराने मंदिर को बुलडोजर से तोड़े जाने को लेकर प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गई है. इस सबके बीच एक मंदिर को गिराए जाने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के शासनकाल में हिन्दुओं के देश में देवी-देवताओं के मंदिर खंडित किये जा रहे हैं. बूम ने पाया कि वायरल तस्वीर असल में क़रीब 7 साल पुरानी है. जयपुर में मेट्रो रेल परियोजना के लिए रास्ता बनाने के लिए इस मंदिर को 2015 में तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा गिराया गया था. चेन्नई में छात्रों के झगड़े के वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया गया सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म फ़ेसबुक पर इस तस्वीर को बड़े पैमाने पर शेयर किया जा रहा है. फ़ेसबुक यूज़र विनीत चतुर्वेदी ने अशोक गहलोत पर मंदिर गिराने का आरोप लगाते हुए कैप्शन लिखा "खंडित हैं देव प्रतिमाएं, हिंदुओं के देश में ! वापस आ गया गजनवी, गहलोत के वेश में." पोस्ट यहां देखें. पोस्ट यहां देखें. अन्य पोस्ट यहां और यहां देखें. अमेरिकी शो में रामायण का टाइटल ट्रैक गाने का वीडियो फ़र्जी है फ़ैक्ट चेक बूम ने पाया कि वायरल तस्वीर असल में क़रीब 7 साल पुरानी है. जयपुर में मेट्रो रेल परियोजना के लिए रास्ता बनाने के लिए इस मंदिर को 2015 में तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा ढहाया गया था. हमें अपनी जांच के दौरान यह तस्वीर 14 जून 2015 को प्रकाशित आज तक की रिपोर्ट में मिली, जिसका शीर्षक है - "जयपुर मेट्रो के विस्तार की खातिर ढहा दिए 200 साल पुराने मंदिर". रिपोर्ट में बताया गया है कि जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने शहर के 200 साल पुराने दो मंदिरों को मेट्रो कॉरिडॉर के लिए गिरा दिया. ये मंदिर क्रमशः जयपुर के रोजगारेश्वर महादेव और कष्टहरण महादेव मंदिर हैं. 12 जून 2015 को प्रकाशित जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, मेट्रो ट्रेन संचालन में बाधक बने जयपुर के दो प्राचीन मंदिरों को गुरुवार सुबह 4 बजे क्रेन एवं अतिक्रमण हटाने में काम ली जाने वाली अन्य मशीनरी के माध्यम से हटाया गया. इन मंदिरों की स्थापना जयपुर शहर बसाए जाने के साथ ही हुई थी. इंडिया टुडे की जुलाई 2015 की रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व हिंदू परिषद और हिंदू जागरण मंच सहित संघ और उसके सहयोगी सामाजिक-सांस्कृतिक निकायों के राज्य नेताओं ने भारती भवन में मुलाकात की और मंदिर गिराने के विरोध में 9 जुलाई को सुबह 9 बजे से 11 बजे तक दो घंटे के 'चक्का जाम' का आह्वान किया. अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, रोजगारेश्वर महादेव मंदिर जयपुर मेट्रो कॉरिडोर में बाधा बनने के कारण गिरा दिया गया. भीमकाय क्रेन द्वारा तोड़े जा रहे मंदिर की तस्वीर सोशल मीडिया मीडिया पर छाई रही. जुलाई 2015 की बीबीसी रिपोर्ट में भी इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है. बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'जयपुर में मंदिरों को तोड़े जाने के बढ़ते विरोध और चक्का जाम के बाद अब राजस्थान सरकार कुछ अति प्राचीन मंदिरों को उनके मूल स्थान पर फिर से बनवाने के लिए राजी हो गई है'. इंडियन एक्सप्रेस अप्रैल 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक जयपुर में मेट्रो रेल कॉरिडोर में चल रहे कार्य के तहत छ: मंदिरों को छोटी चौपर से पुराना आतिश बाजार शिफ्ट किया गया था. इन मंदिरों के नाम हैं - रामेश्वर महादेव मंदिर, कँवल साहेब हनुमान मंदिर, बारह लिंग महादेव मंदिर, श्री बाद के बालाजी मंदिर, रोजगारेश्वर महादेव मंदिर और कष्टहरण महादेव मंदिर. वायरल तस्वीर में दिख रहा मंदिर रोजगारेश्वर महादेव मंदिर है. हमारी अब तक की जांच से स्पष्ट हो गया कि वायरल तस्वीर का संबंध 2015 में जयपुर मेट्रो कॉरिडोर के रास्ते में आने के कारण गिराई गई मंदिर से है. बूम ने वायरल तस्वीर और न्यूज़ रिपोर्ट्स में छपी तस्वीर के बीच तुलना की और पाया कि दोनों एक ही हैं. नीचे देखें. हमें फ़ेसबुक पर जून 2015 के पोस्ट्स भी मिलें जिनमें इसी तस्वीर को शेयर किया गया है. आपको बता दे कि उस दौरान (वर्ष 2015) राजस्थान में भाजपा की सरकार थी और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं. राजस्थान में दिसंबर 2013 से दिसंबर 2018 तक वसुंधरा राजे की अगुवाई वाली भाजपा सरकार थी. आज़ाद भारत की पहली इफ़्तार पार्टी के दावे के साथ ग़लत तस्वीर वायरल
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