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Fact Check
देहरादून रेलवे स्टेशन पर लगे बोर्ड में अब शहर का नाम लिखने के लिए अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत भाषा का प्रयोग किया गया है। जहां पहले हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा का प्रयोग किया जाता था।
ट्विटर पर बीजेपी नेता संबित पात्रा ने देहरादून रेलवे स्टेशन पर लगे शहर के नाम के बोर्ड की दो तस्वीरें शेयर की हैं। जहां एक तरफ देहरादून के नाम के पुराने बोर्ड की तस्वीर है। इस तस्वीर में देहरादून का नाम हिंदी अंग्रेजी और उर्दू भाषा में लिखा गया है। तो वहीं दूसरी तरफ नए बोर्ड की तस्वीर शेयर की गयी है। जहां शहर के नाम को लिखने के लिए अंग्रेजी, हिंदी,और संस्कृत भाषा का प्रयोग किया गया है। इन दोनों तस्वीरों को अपलोड कर संबित पात्रा ने कैप्शन में ‘संस्कृत’ लिखा है।
संबित द्वारा किये गए इस ट्वीट के बाद लोगों ने उर्दू को हटाकर संस्कृत भाषा को तवज्जो देने के लिए सरकार की प्रशंसा की है। ट्विटर पर उर्दू भाषा को हटाकर संस्कृत करने पर सोशल मीडिया यूजर्स ने ख़ुशी जाहिर की है।
उपरोक्त वायरल दावे को देखने के बाद हमने अपनी पड़ताल शुरू की। पड़ताल के दौरान हमने यह खोजने का प्रयास किया कि क्या रेलवे के बोर्ड से उर्दू भाषा को हटा दिया गया है। जहां हमने कुछ कीवर्ड्स के माध्यम से गूगल पर खोजा। इस दौरान हमें इंडिया टीवी की वेबसाइट पर एक लेख मिला। जहां उत्तराखंड के रेलवे स्टेशन के नाम बदलने वाली बात का जिक्र किया गया है।
लेख के मुताबिक जनवरी 2020 में बीजेपी ने रेलवे मिनिस्ट्री को एक पत्र लिखकर सवाल पूछा था कि शहर के रेलवे स्टेशन का नाम संस्कृत भाषा में क्यों नहीं लिखा जाता? उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए बीजेपी ने इस मुद्दे को उठाया था।
इसी पर रेल मंत्रालय ने राज्य के सभी रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने का फैसला लिया। लेख के मुताबिक अब से सभी रेलवे स्टेशनों के नाम हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में लिखें जायेंगे जो कि पहले हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में होते थे।
इस दौरान हमें Times of India की एक रिपोर्ट भी मिली। जहां यह जानकारी दी गयी कि उत्तराखंड के अब सभी रेलवे स्टेशनों के नाम बदले जाने हैं। जहां पहले स्टेशन का नाम लिखने के लिए हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा का इस्तेमाल किया जाता था वहीं अब हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा का इस्तेमाल होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक यह फैसला रेल मंत्रालय के मानकों के अनुरूप लिया गया है। जहां रेल मानकों के अनुसार रेलवे स्टेशनों पर शहर के नाम हिंदी अंग्रजी और राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा में लिखा जाना चाहिए।
इसके बाद हमने संस्कृत नाम से लिखे देहरादून के बोर्ड की वायरल तस्वीर को भी गूगल पर खोजा इस दौरान हमें हिंदुस्तान टाइम्स की वेबसाइट पर 18 फ़रवरी साल 2020 को छपे एक लेख में वायरल तस्वीर मिली।
उपरोक्त प्राप्त लेख में रेलवे के एक सीनियर कर्मचारी के बयान का जिक्र किया गया है। जहां उन्होंने जानकारी दी कि रेलवे मुख्यालय से बोर्ड में शहर का नाम संस्कृत भाषा में लिखने के लिए कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया है। लेकिन बोर्ड में देहरादून का नाम संस्कृत में वहां काम करने वाली एक कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा लिखवा दिया गया था। जिसे बाद में बदल दिया गया। लेख में आगे यह भी बताया गया है कि रेलवे मानकों के अनुसार शहर के नाम वाले बोर्ड में सिर्फ तीन भाषा का ही प्रयोग किया जा सकता है।
लेख के मुताबिक बोर्ड से संस्कृत भाषा हटाये जाने पर वहां की संस्कृत अध्यापक समिति ने इसे संस्कृत भाषा का अपमान बताया। जिसके चलते समिति के लोगों ने रेलवे को मेमोरेंडम देकर धरना प्रदर्शन भी किया।
इसके बाद खोज के दौरान हमें गूगल पर एक तस्वीर और प्राप्त हुई। तस्वीर में उर्दू का नाम दोबारा जोड़ा जा रहा है।
उपरोक्त तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज टूल के माध्यम से दोबारा खोजा। इस दौरान हमें आज तक की वेबसाइट पर 14 फरवरी को छपे एक लेख में यह तस्वीर प्राप्त हुई।
आज तक की वेबसाइट पर छपे लेख में बताया गया है कि पहले देहरादून का नाम संस्कृत भाषा में लिखा गया था। लेकिन बाद में उसे बदलकर उर्दू में लिख दिया गया है।
इसके साथ ही हमें ट्विटर पर DRM मुरादाबाद द्वारा मामले पर सफाई देता हुआ एक ट्वीट मिला। जहां उन्होंने उत्तराखंड के रेलवे स्टेशनों से उर्दू भाषा के नाम को हटाने पर सफाई दी है।
पड़ताल के दौरान कई टूल्स और कीवर्ड्स का उपयोग करते हुए हमने वायरल दावे का अध्ययन किया और अपनी पड़ताल में हमने पाया कि बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा द्वारा शेयर की गयी तस्वीर पुरानी है।
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Shubham Singh
October 19, 2022
Shubham Singh
May 1, 2023
Neha Verma
July 13, 2020
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