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| - सारांश
एक सोशल मीडिआ पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि भारतीय चुनावों में शौचालय सबसे बड़ा मुद्दा है। सरकार लोगों को शौचालय उपलब्ध नहीं कराती। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा ज्यादातर गलत है।
दावा
एक X (ट्विवटर) पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि भारतीय लोकसभा 2024 चुनावों में सरकार द्वारा लोगों को पर्याप्त शौचालय सुविधा न उपलब्ध करा पाना एक बड़ा चुनावी मुद्दा होगा।
तथ्य जाँच
स्वच्छ भारत मिशन क्या है?
स्वच्छ भारत मिशन, दुनिया की सबसे बड़ी स्वच्छता पहल है, जिसे महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के रूप में 2 अक्टूबर 2019 तक भारत के हर कस्बे को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए साल 2014 में भारत के प्रधान मंत्री द्वारा शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम के अंगर्गत 10 करोड़ से अधिक व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण हुआ, जिससे स्वच्छता कवरेज 2014 में 39% से बढ़कर 2019 में 100% हो गया, जब लगभग 6 लाख गांवों ने खुद को खुले में शौच मुक्त (ODF- Open Defecation Free) घोषित कर दिया।
वहीं खुले में शौच मुक्त बनाने की पहल पर ध्यान केंद्रित करने और गांवों को ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (Solid and Liquid Waste Management-SLWM) से कवर करने के लिए 1,40,881 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जो 2024-25 तक गांवों को ओडीएफ से ओडीएफ प्लस में बदल देगा। ओडीएफ प्लस गांवों के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छूटे हुए और नए उभरते परिवारों को Individual Household Latrine (IHHL) तक पहुंच प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
अक्टूबर 2023 में DDWS- Department of Drinking and Water Sanitation के IMIS के अनुसार, 78 प्रतिशत से अधिक गांवों ने खुद को ओडीएफ प्लस घोषित कर दिया है। DDWS इस ओर गति बढ़ाने के लिए विभिन्न नवोन्वेषी अभियानों को क्रियान्वित कर रहा है, जिससे ओडीएफ प्लस लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ-साथ एक स्वच्छ, हरित और स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण होगा। हमेशा की तरह सामुदायिक भागीदारी अभियान की सफलता के लिए अभिन्न अंग रही है। ‘स्वच्छता ही सेवा’ 2023 में 109 करोड़ से अधिक व्यक्तियों और भारत सरकार के 71 मंत्रालयों और विभागों ने 18 दिनों की अवधि में राष्ट्रव्यापी अभियान में भाग लिया। वहीं देश भर में प्रति दिन औसतन लगभग 6 करोड़ लोगों की भागीदारी हुई।
भारत में अब तक कितने शौचालय बन चुके हैं?
PIB (प्रेस सूचना ब्यूरो) द्वारा जारी जानकारी के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 11 करोड़ से अधिक शौचालय और 2.23 लाख सामुदायिक स्वच्छता परिसर बनाए गए हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) मुख्य रूप से स्वास्थ्य पर केंद्रित है और इसमें लगभग 131 संकेतक शामिल हैं। स्वच्छता इसका एक बहुत छोटा सा हिस्सा है, जिसे घरेलू संपत्ति (Household assets) के हिस्से के रूप में शामिल किया गया है। यह जानकारी जल शक्ति राज्य मंत्री श्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने लोकसभा में 16 मार्च, 2023 में एक लिखित उत्तर में दी थी।
वर्तमान समय (साल 2024) की बात करें, तो सरकार द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में बसे 5.19 लाख से अधिक गांवों ने स्वयं को ODF Plus घोषित कर दिया है। इसके अलावा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग जल शक्ति मंत्रालय द्वारा स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) 2.0 के अंगर्गत दिए आंकड़ों के अनुसार भारत के 25 से ज्यादा राज्य खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। ग्राफिक्स देखें-
भारत में स्वच्छ भारत मिशन की चुनौतियां क्या हैं?
भारत एक वृहद् देश है और जनसँख्या कि दृष्टि से भी एक विशाल देश है। देखा जाए, तो सरकार ने अपनी तरफ से भारत के हर एक गांव, कस्बों और शहर को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया है। कहीं सामुदायिक शौचालयों का निर्माण हुआ है, तो कहीं व्यक्तिगत तौर पर शौचालय निर्माण के लिए फंड मुहैया कराए गए हैं।
शोध बताते हैं कि राष्ट्रीय सर्वेक्षणों से संकेत मिलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 95.7% महिलाएं और 94.7% पुरुष नियमित रूप से शौचालय का उपयोग करते हैं, एवं इनके पास शौचालय की सुविधा है। वहीं चार उत्तर भारतीय राज्यों में किए गए एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि ग्रामीण घरों में शौचालय का उपयोग 56% की सीमा तक बढ़ रहा है। इसके अलावा, ग्रामीण भारत में शोध और क्षेत्रीय अनुभव बताते हैं कि लोगों में धीरे-धीरे शौचालय का उपयोग करने की आदत विकसित हो रही है। आंकड़े बताते हैं कि 2015 से 2019 तक खुले में शौच में 12% की कमी आई है। हालांकि अभी भी लोग हैं, जो शौचालय होने के बावजूद खुले में शौच को प्राथमिकता देते हैं।
हालांकि शौचालय का इस्तेमाल करना एक व्यक्तिगत मुद्दा हो सकता है क्योंकि आज भी कई लोग शौचालय का इस्तेमाल करना पसंद नहीं करते और खुले में ही शौच करते हैं। ऐसे में सरकार को इंगित करते हुए ये कहना कि भारतीय चुनावों में शौचालय सबसे बड़ा मुद्दा है क्योंकि सरकार लोगों को शौचालय उपलब्ध नहीं कराती, काफी हद तक गलत है।
क्या बीबीसी का video शौचालय ना होने की समस्या को दर्शाता है?
नहीं। बीबीसी का असल वीडियो ये है, जिसमें पूर्वी मुंबई, गोवंडी इलाका महाराष्ट्र का जिक्र है। इसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि सामुदायिक शौचालय की क्या चुनौतियां हैं, जैसे- शौचालय का गंदा रहना, हर महीने 800 रुपये केवल सामुदायिक शौचालय में ही खर्च हो जाना। वीडियो में दिखाया गया इलाका किसी चॉल का है, जहां लोग व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण नहीं करते हैं। इस वीडियो को ही ट्विवटर पर साझा किया गया है और कहा गया है कि सरकार लोगों को शौचालय उपल्ब्ध कराने में असमर्थ रही है।
क्या पर्याप्त शौचालय न होना मुख्य चुनावी मुद्दा है?
अधिकतर ऐसा नहीं है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में वर्तमान सरकार द्वारा लोगों को सामुदायिक शौचालय बनाने के लिए आर्थिक मदद की है। ऊपर दिए गए प्रमाण दर्शाते हैं कि सरकार द्वारा लक्ष्य कि प्राप्ति भी बहुत हद तक कि गयी है। ऐसे में शौचालय का इस्तेमाल करना या ना करना, ये लोगों के ऊपर है।
कई राज्य ऐसे भी हैं, जो 99% खुले में शौच मुक्त हैं, जैसे- राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं तमिलनाडू इत्यादि। अतः उपरोक्त आधिकारिक दावों एवं शोध पत्रों के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा ज्यादातर गलत है क्योंकि कुछ राज्य हैं, जो अभी भी चरणबद्ध तरीके से खुले में शौच मुक्त होने की दिशा में है। ऐसे में उन हिस्सों के लिए यह एक चुनावी मुद्दा हो सकता है लेकिन ये कहना गलत है कि सरकार ने प्रयास नहीं किए या सरकार ने शौचालय मुहैया नहीं कराए।
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