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  • Last Updated on मार्च 13, 2023 by Neelam Singh सारांश सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो के अनुसार एक कंबल वाले बाबा का वीडियो खूब प्रचलन में है, जिसमें वे कंबल फेंक कर और हाथ-पांव मरोड़कर पोलियो जैसी बीमारियों को ठीक करने का दावा कर रहे हैं। जब हमने इस वीडियो का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा बिल्कुल गलत है। दावा सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो के अनुसार एक कंबल वाले बाबा का वीडियो खूब प्रचलन में है, जिसमें एक व्यक्ति पोलियो से ग्रसित मरीज पर कंबल फेंक कर और हाथ-पांव मरोड़कर पोलियो को ठीक करने का दावा कर रहा है। तथ्य जाँच पोलियो क्या है? पोलियो या पोलियोमाइलाइटिस. एक प्रकार का संक्रामक रोग है, जो वायरस के कारण होता है। यह रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है, जिससे पक्षाघात की स्थिति उतपन्न हो जाती है। वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल द्वारा साल 1988 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पोलियो को समाप्त करने की पहल की गई थी। पोलियो को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। - एबोर्टिव पोलियोमाइलाइटिस: इसमें फ्लू और आंतों की परेशानियों से संबंधित लक्षण पाए जाते हैं। हालांकि यह लंबे समय तक परेशानियों का कारण नहीं बनता है क्योंकि इसके लक्षण कुछ दिनों में समाप्त हो जाते हैं। - नॉनपेरालिटिक पोलियोमाइलाइटिस: इसमें मस्तिष्क के हिस्सों में सूजन होने की संभावना होती है। इसके अलावा यह मैनिंजाइटिस का कारण भी बन सकता है। - पैरालिटिक पोलियोमाइलाइटिस: यह पोलियो का सबसे गंभीर रुप है, जब वायरस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करने लगता है। यह सांस लेने, भोजन को निगलने, बोलने और चलने-फिरने की मांसपेशियों को बहुत बुरी तरह से प्रभावित करता है, जिससे पक्षाघात की स्थिति उतपन्न हो जाती है। - पोलियो इंसेफ्लाइटिसः यह दुर्लभ प्रकार का पोलियो है, जो अधिकांशतः शिशुओं को प्रभावित करता है और मस्तिष्क सूजन का कारण बनता है। - पोस्ट पोलियो सिंड्रोमः पोलियो के संक्रमण के सालों बाद जब पोलियो के लक्षण सामने आने लगते हैं, तो उसे ही पोस्ट पोलियो सिंड्रोम कहा जाता है। क्या पोलियो का इलाज संभव है? नहीं, पोलियो एक लाइलाज बीमारी है, इसे ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन इससे बचाव जरुर किया जा सकता है। पोलियो से बचाव का एकमात्र उपाय नियमित टीकाकरण है। भारत में पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान 2 अक्टूबर 1994 में शुरु किया गया था, जब वैश्विक पोलियो के मामलों में भारत का हिस्सा 60% था। वहींं 20 सालों के बाद ही 27 मार्च 2014 को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पोलियो-मुक्त प्रमाणपत्र मिल चुका है। हालांकि पोलियो मुक्त स्थिति को बनाए रखने के लिए भारत में हर साल पोलियो के लिए एक एनआईडी और दो उप-राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का आयोजन किया जाता। अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने अपने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में इंजेक्टेबल इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन की भी शुरुआत की है। कौन हैं कंबल वाले बाबा? गुगल पर सर्च करने पर कंबल वाले बाबा के कई चमत्कारी वीडियो मिलते हैं, जिसमें वे लोगों के हाथ-पांव को इस कदर मरोड़ते दिखाई पड़ते हैं, मानो किसी की चीख निकल जाए। वे पांव पर जोर से मारते हैं, कमर को पकड़ कर मरोड़ देते हैं, जिसे लोग कंबल वाले बाबा के इलाज का तरीका मानते हैं। एक न्यूज वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के अनुसार कंबल वाले बाबा स्वयं को मूल रूप से गुजरात राज्य के सुरेन्द्र नगर का निवासी बताता है। बाबा से इलाज कराने आने वाले मरीजों को कम से कम पांच दिनों तक बाबा के शिविर में रहना पड़ता है मगर शिविर में रहने और इलाज कराने तक बाबा की अपनी शर्ते होती हैं। अगर किसी भी मरीज ने उन शर्तों का पालन नहीं किया तब उस मरीज का ठीक होना असंभव है। अंधविश्वास की भेंट चढ़े लोग यातनाएं सह कर भी अपना इलाज करवा रहे हैं। इलाज के अलावा कंबल वाले बाबा के नाम से स्टॉल भी लगा रहता है, जहां से लोग बाबा की तस्वीर, यंत्र, नारियल आदि खरीद सकते हैं। साथ ही शिविर में ना केवल दानपात्र बल्कि ऑनलाइन पेमेंट के लिए जगह-जगह पर UPI कोड भी लगाए गए हैं। जहाँ एक तरफ कई शोधपत्र दावा करते हैं कि पोलियो का इलाज असंभव है। ऐसे में कंबल वाले बाबा द्वारा पोलियो के इलाज का दावा करना अत्यंत भ्रामक प्रतीत होता है। साथ ही यह चिकित्सा पद्धति के खिलाफ भी है क्योंकि जिस प्रकार यह व्यक्ति हाथ पैरों का मरोड़ता हुआ दिखाई दे रहा है, उसे इलाज का दर्जा बिल्कुल नहीं दिया जा सकता। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अगर पोलियो का टीकाकरण और बचाव लगातार करते रहा जाए, तो ही इस बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है लेकिन एक बार होने के बाद इसे ठीक नहीं किया जा सकता। अतः उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि कंबल वाले बाबा के इलाज का तरीका उतना ही गलत है, जितना उनके द्वारा फैलाया जा रहा भ्रामक वीडियो। THIP इस प्रकार के किसी भी अंधविश्वास का समर्थन नहीं करता है। ऐसे में लोगों का जागरुक होना बेहद जरुरी है।
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