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| - Last Updated on फ़रवरी 22, 2024 by Neelam Singh
सारांश
सोशल मीडिया पोस्ट द्वारा दावा किया जा रहा है कि गर्भावस्था के दौरान विशेष आहार लेने से गर्भ में पल रहे शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास को प्रभावित होता है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा ज्यादातर गलत है।
दावा
एक इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए इस शीर्षक ‘गर्भवती महिला ऐसा करें बच्चा हीरा पैदा होगा’ के अंतर्गत दावा किया जा रहा है कि जिनके गर्भ में बच्चा पल रहा है वह दोपहर को 11 से 2 बजे तक दही जरुर खाएं। बच्चे का दिमाग बहुत तेज होगा और बुद्धिमान होगा। अगर संतरा खाओगे तो बच्चे का रंग गोरा होगा। अगर कच्चा नारियल खाओगे तो डिलिवरी आसान होगी।
तथ्य जाँच
क्या पोषण भ्रूण के विकास को प्रभावित करता है?
हाँ। शोध पत्र के अनुसार भ्रूण के विकास की अवधि के दौरान पोषण अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान मां द्वारा लिया गया पोषण बच्चे के विकास को प्रभावित करता है और कई जोखिमों को कम भी करता है। वहीं एक अन्य शोधपत्र के अनुसार गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी भ्रूण के विकास को प्रभावित करती है। जैसे- भ्रूण का वजन कम होना।
अन्य शोध बताते हैं कि गर्भावस्था से पहले और उसके दौरान स्वस्थ आहार लेने से Gestational Diabetes Mellitus, समय से पहले बच्चे का जन्म (preterm birth), मोटापे से संबंधित जटिलताओं, गर्भावधि के दौरान उच्च रक्तचाप जैसी जटिलताओं के जोखिमों को कम किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित आलेख के अनुसार गर्भाधान से लेकर स्तनपान तक महिलाओं को अपने पोषण पर विशेण रुप से ध्यान देना चाहिए।
क्या गर्भावस्था के दौरान दही का सेवन बच्चे की मानसिक क्षमता को बढ़ाता है?
कुछ हद तक। UCLA के अनुसार बिना मिठास वाला दही मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि दही में Zinc, Choline और Iodine प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। Iodine बच्चों के मस्तिष्क और neurological विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि Iodine ही Thyroid Hormone बनाने में मदद करता है। Iodine की थोड़ी भी कमी बच्चे के मस्तिष्क विकास जैसे- बौद्धिक एवं तार्किक शक्ति को प्रभावित करती है।
हालांकि ऐसा कोई ‘सुपरफूड’ नहीं है, जो पूर्ण रुप से हर प्रकार के विकास को गति दे लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ विशेष एवं आवश्यक पोषक तत्वों से भरे होते हैं, मगर किसी भी तरह के आहार को लेकर चिकित्सीय सलाह आवश्यक है क्योंकि संक्रमण की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता है।
क्या संतरा बच्चे की त्वचा की रंगत को निखारता है?
नहीं। इस तरह का कोई भी प्रमाण या शोध मौजूद नहीं है, जो यह दावा करता हो कि संतरा का सेवन बच्चे की रंगत को निखारता है। हालांकि शोध बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान संतरा खाना आमतौर पर सुरक्षित और स्वस्थ माना जाता है। संतरा कई आवश्यक पोषक तत्वों का एक बेहतर स्रोत है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
साथ ही संतरा फोलेट (विटामिन बी) का भी अच्छा स्रोत होता है, जो शिशुओं में न्यूरल ट्यूब दोष को रोकने में मदद करता है। न्यूरल ट्यूब दोष एक गंभीर जन्म दोष है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। लेकिन संतरा और बच्चे की रंगत को लेकर कोई ठोस प्रमाण या शोध मौजूद नहीं है।
क्या नारियल खाने से दर्द रहित प्रसव होता है?
नहीं। इस तरह का कोई भी प्रमाण या शोध मौजूद नहीं है, जो यह दावा करता हो कि गर्भावस्था के दौरान नारियल का सेवन करने से दर्द रहित प्रसव होता है। हालांकि कई शोध पत्र हैं, जो नारियल पानी को प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं। वहीं युनिसेफ द्वारा प्रकाशित आलेख में बताया गया है कि गर्भावस्था के सांतवे महीने में नारियल तेल का सेवन फायदेमंद होता है लेकिन संपूर्ण सफेद नारियल का सेवन को लेकर कोई प्रमाण मौजूद नहीं है।
इस दावे की जाँच को लेकर आहार विशेषज्ञ निधि सरीन बताती हैं, “गर्भावस्था से पहले और उसके दौरान पोषक तत्वों से भरपूर आहार मां और बच्चा दोनों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और विटामिन से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए। हालांकि ऐसा कोई दावा नहीं है, जिससे यह साबित होता हो कि दही, संतरा या नारियल गर्भावस्था के दौरान उक्त फायदा प्रदान करता है।”
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मीना सावंत बताती हैं, “गर्भावस्था के दौरान मां द्वारा लिए गए आहार ही बच्चे के विकास में भूमिका निभाते हैं इसलिए गर्भावस्था से लेकर बच्चे को स्तनपान कराने तक मां को सुरक्षित और स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिए। जैसे – फॉलिक एसिड एवं आयरन से भरपूर आहार, हरी पत्तेदार फल सब्जियां, आदि। हालांकि ऐसा कोई खास आहार नहीं है, जो केवल गर्भावस्था के दौरान ही लेना जरुरी है। कुल मिलाकर देखा जाए, तो मां का आहार संतुलित एवं पौष्टिक होना चाहिए।”
अतः उपरोक्त शोध पत्रों एवं चिकित्सकों के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा बिल्कुल गलत है। हमने पहले भी प्रसव से जुड़े भ्रामक दावों की पड़ताल की है। बेहतर है कि गर्भावस्था के दौरान अपने चिकित्सक द्वारा बताए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें एवं किसी भी तरह की गलत एवं भ्रामक दावों से सावधान रहें।
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