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Fact Check
क्या शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे? केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘आगरा में ताजमहल का निर्माण हुआ और जिन कारीगरों ने उसका निर्माण किया था उनके हाथ काट दिए गए थे। लेकिन विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण करने वाले कारीगरों और बेलदारों का फूल वर्षा कर, स्वागत करके, एक नए आयाम को नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में कायम किया गया।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसम्बर 2021 को वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। इस विस्तारीकरण के अंतर्गत काशी विश्वनाथ धाम को कॉरिडोर की मदद से सीधा गंगाधार से जोड़ा गया है। मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा पथ का भी निर्माण किया गया है।
13 दिसम्बर 2021 को indiatimes.com द्वारा प्रकाशित एक लेख के मुताबिक विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन होने के बाद इसमें काम करने वाले कारीगरों और श्रमिकों पर पुष्प वर्षा की गई और इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कारीगरों के साथ खाना खाया।
इसी बीच केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में बोला कि आगरा में ताजमहल का निर्माण हुआ और जिन कारीगरों ने उसका निर्माण किया था उनके हाथ काट दिए गए थे। लेकिन विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण करने वाले कारीगरों और बेलदारों का फूल बरसा कर स्वागत किया गया।
क्या शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे? इस दावे का सच जानने के लिए हमने कुछ कीवर्ड्स का प्रयोग करते हुए गूगल पर खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें 22 दिसम्बर 2017 को timesofindia.com द्वारा प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ। उपरोक्त लेख के मुताबिक इतिहास में इसके साक्ष्य नहीं मिलते हैं कि शाहजहां ने ताजमल बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे। उपरोक्त लेख में यह भी उल्लेख किया गया था कि ताजमहल का निर्माण पूरा हो जाने के बाद उन्हीं कारीगरों ने दिल्ली में शजहाँनाबाद का निर्मण किया था और बिना हाथ के यह निर्माण कर पाना नामुमकिन था।
इसके बाद हमें 12 अप्रैल 2018 को livehindustan.com द्वारा प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ। लेख के मुताबिक शाहजहां ने कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे इसके कोई सबूत नहीं है।
इस दावे की अधिक जानकारी के लिए हमने जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर हिस्टॉरिकल स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर नजफ़ हैदर से संपर्क किया। नजफ़ हैदर ने इस बात को सिरे से नकार दिया कि शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे।
उन्होंने बताया कि “शाहजहां को कारीगरों से बहुत प्यार और लगाव था। शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवाए, इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई भी साक्ष्य और तर्क मौजूद नहीं हैं। नजफ़ हैदर ने हमें आगे बताया कि ताजमहल शाहजहां के लिए बहुत पवित्र स्थान था, जहाँ वो मरने के बाद दफ़न होना चाहते थे, वहां कारीगरों के हाथों को कटवा कर, वह उस स्थान को अपवित्र नहीं करते। नजफ़ आगे कहते हैं कि इतिहास में ऐसे कोई भी साक्ष्य मौजूद नहीं हैं जो इस दावे का समर्थन करें, यहां तक कि शाहजहां की मौत के बाद भी ऐसे कोई भी लिखित दस्तावेज नहीं हैं जो इस दावे का समर्थन करते हों।’
इसके बाद हमने पत्रकार और लेखक मनिमुग्धा शर्मा से संपर्क किया, इन्होंने Allahu Akbar: Understanding the Great Mughal in Today’s India किताब भी लिखी है। उन्होंने दावे के संदर्भ में बोला कि ‘कल्पना कीजिये कि एक ऐसे सम्राट पर ऐसे अपमान भरे आरोप लग रहे हैं जो खुद की सल्तनत को तुर्क और सफविद समकालीन सल्तनतों से बड़ा दिखाना चाहता था।
मध्य एशिया, ईरान, तुर्क साम्राज्य और यहां तक कि यूरोप के सर्वश्रेष्ठ राजमिस्त्री, सुलेखक, जौहरी, कलाकार मुगल दरबार में रोजगार की तलाश में आये थे, जो अलग अलग कला और वास्तुकला परियोजना में शामिल हुए।
वह आगे कहते हैं कि अब एक नई कहानी जोड़ी जा रही है कि शाहजहां ने अपने यहाँ काम करने वालों पर नैतिक संहिता थोप दी थी कि उनको फिर किसी दूसरों के लिए काम नहीं करना है। यह सरासर झूठ है। मुगल साम्राज्य के समान धन और संसाधन किसी भी अन्य राज्य के पास नहीं थे, ना ही किसी अन्य राज्य के पास इतने अधिक निर्माण परियोजनाएं थीं, तो आपको क्या लगता है कारीगरों के पास सबसे अधिक काम कहाँ होंगे।’
शशांक शेखर सिन्हा जो कि एक स्वतंत्र शोधकर्ता और प्रशिक्षित इतिहासकार हैं, अपनी किताब Agra Fatehpur Sikri: Monuments, Cities and Connected Histories में लिखते हैं कि एक और लोकप्रिय अफवाह यह है कि शाहजहां ने ताजमहल निर्माण करने वाले कारीगरों को मार दिया था, कई अन्य संस्करण में उल्लेख किया गया है कि सम्राट ने कारीगरों के हाथ काट दिए थे, आँखें निकाल लीं थीं या उन्हें आगरा के किले की कोठरियों में डाल दिया था। ताकि वो इस तरह का कोई और स्मारक न बना सकें।
कुछ संस्करण यह भी बताते हैं कि सम्राट ने कारीगरों को बहुत धन देकर उनसे एक करार कर लिया था कि वो उस तरह का स्मारक फिर कभी नहीं बनाएंगे। सामान्य बोल चाल की भाषा में किसी से काम करने की क्षमता को छीन लेने का मतलब हाथ काटना भी है। इस तरह से कुछ टूरिस्ट गाइड इस कहानी को समझाते हैं। इस कहानी का कोई ऐतिहासिक आधार नहीं है। इस तरह की कहानियां इंग्लैंड, आयरलैंड, रूस और एशिया के कुछ हिस्सों की लोक कथाओं का हिस्सा हैं।
इस तरह हमारी पड़ताल से यह साफ़ हो गया कि शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवाए, इस बात के कोई साक्ष्य मौजूद नहीं हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा दिया गया बयान महज़ एक अफवाह पर आधारित है।
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Historian, Najaf Haider
Author, Shashank Shekhar Sinha
Author, Manimugdha Sharma
इस लेख का अनुवाद अंकित शुक्ला द्वारा किया गया है।
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