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Fact Check
कृषि कानूनों के खिलाफ कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों पर विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की तुलना ‘मवालियों’ से की थी। मीनाक्षी लेखी ने यह भी कहा कि इस तरह का प्रदर्शन करना आपराधिक है। उनके द्वारा दिए गए इस बयान से विवाद शुरू हो गया था, जिसके बाद उन्होंने माफी मांगी थी। ऐसे में सोशल मीडिया पर मीनाक्षी लेखी के ससुर प्राणनाथ लेखी को लेकर एक दावा वायरल हो रहा है। दावे के मुताबिक, ‘गद्दार प्राणनाथ लेखी की बहू मीनाक्षी लेखी है, प्राणनाथ वही है, जिसने गांधी जी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को कोर्ट में सजा से बचाने के लिए भरसक प्रयास किया था। ये मीनीक्षी लेखी वही है, जिसने अन्नदाता को ‘मवाली’ कहा था।’
आर्टिकल लिखे जाने तक उपरोक्ट पोस्ट को 7700 लोग देख और 233 लोग इसे शेयर चुके हैं।
देखा जा सकता है कि मीनाक्षी लेखी के ससुर प्राणनाथ लेखी को लेकर किया जा रहा दावा फेसबुक पर बहुत वायरल हो रहा है।
बता दें कि मीनाक्षी लेखी के ससुर को लेकर किया जा रहा दावा ट्विटर पर भी वायरल हो रहा है।
वायरल पोस्ट के आर्काइव वर्ज़न को यहां, यहां और यहां देखा जा सकता है।
हमारे आधिकारिक WhatsApp नंबर (9999499044) पर भी वायरल दावे की सत्यता जानने की अपील की गई थी।
मीनाक्षी लेखी के ससुर प्राणनाथ लेखी को लेकर किए जा रहे दावे का सच जानने के लिए, हमने पड़ताल शुरू की। कुछ अलग-अलग कीवर्ड्स की मदद से खोजने पर हमें सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर एक जजमेंट मिली। इसके मुताबिक, 30 जनवरी 1948 को जब महात्मा गांधी दिल्ली में अपनी नियमित प्रार्थना के लिए जा रहे थे, तब नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या की दी थी। महात्मा गांधी की हत्या और साजिश के मामले में 9 आरोपियों पर मुकदमा चलाया गया था। महात्मा गांधी की हत्या के मामले की सुनवाई 1948 में शुरू हुई थी।
पड़ताल के दौरान हमने जानना चाहा कि क्या नाथूराम गोडसे के मुकदमे और वकील प्राणनाथ लेखी के बीच कोई संबंध था? खोज के दौरान हमें नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे की लिखी हुई किताब ‘May it Please your Honor Nathuram Godse’ का आर्काइव वर्ज़न मिला। इस किताब के आर्काइव वर्ज़न को यहां देखा जा सकता है। किताब के पेज नंबर 20 पर कहा गया है, ‘नाथूराम गोडसे ने कोर्ट में अपने मामले पर खुद बहस करना पसंद किया था। उन्होंने हत्या के मामले में अपनी दोष सिद्धि (Conviction) को चुनौती दिए बिना दो दिनों तक बहस की थी। इस किताब में मिली जानकारी से यह स्पष्ट होता है कि महात्मा गांधी की हत्या के मुकदमे में नाथूराम गोडसे का बचाव किसी वकील ने नहीं किया था।’
अधिक खोजने पर हमें पंजाब के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (Former Chief Justice of Punjab) जीडी खोसला (GD Khosla) द्वारा लिखी गई ‘द मर्डर ऑफ द महात्मा’ (The Murder of the Mahatma) नामक किताब मिली। इस किताब में मिली जानकारी के मुताबिक, जीडी खोसला ने नाथूराम गोडसे और अन्य की अपीलों को सुना था, जिसके बाद उन्होंने हत्या का फैसला सुनाया था। इस किताब के पेज नंबर 19 पर लिखा है, ‘नाथूराम गोडसे ने कोर्ट में अपना वकील करने से मना कर दिया था। उन्होंने अपील की थी कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने और बहस करने की अनुमति दी जानी चाहिए। नाथूराम गोडसे की यह अपील स्वीकार कर ली गई थी। 8 नवंबर 1949 को गोडसे को मौत की सजा सुनाई गई थी और 15 नवंबर 1949 को उन्हें फांसी दे दी गई थी।
3 मार्च 2010 को Indian Express द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, प्राणनाथ लेखी एक जाने माने वकील थे, उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। 1945 और 1946 में ‘फ्री आईएनए कैदियों’ (Free INA Prisoners) आंदोलन में हिस्सा लेने पर वे जेल भी गए थे। आपातकाल (During the Emergency) के दौरान, उन्हें आंतरिक सुरक्षा के अधिनियम (MISA) के तहत हिरासत में लिया गया था।
पड़ताल के दौरान हमें 25 जनवरी 2018 को मीनाक्षी लेखी का एक ट्वीट मिला। तीन साल पहले मीनाक्षी लेखी ने वायरल दावे का खंडन करते हुए कहा था कि वो इस मामले को पुलिस के पास ले जाएंगी।
3 मार्च 2010 को Hindustan Times और The Hindu द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2010 में 85 वर्ष की आयु में प्राणनाथ लेखी (पीएन लेखी) का निधन हो गया था।
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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे दावे की बारीकी से अध्ययन करने पर हमने पाया कि विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी के ससुर प्राणनाथ लेखी को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। कोर्ट में प्राणनाथ लेखी द्वारा नाथूराम गोडसे का बचाव नहीं किया गया था, जबकि नाथूराम गोडसे ने अपना केस खुद लड़ा था।
May it Please your Honor Nathuram Godse
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Komal Singh
February 10, 2025
Runjay Kumar
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