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  • सीएए विरोध के लिए बुर्का या हिजाब ड्रेस कोड वाला पोस्टर फ़ोटोशॉप्ड है बूम ने कार्यक्रम के आयोजकों से बात की जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि वायरल तस्वीर में ड्रेस कोड का उल्लेख फ़ोटोशॉप्ड है। शुक्रवार को मुंबई में नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोध रैली के लिए 'हिजाब या बुर्का' ड्रेस कोड का आह्वान करते हुए दिखाया गया फ्लायर फ़ोटोशॉप्ड है। बूम ने कार्यक्रम के आयोजकों से बात की और सप्ताह के शुरुआत में पोस्ट किए गए इसी पोस्टर के सोशल मीडिया पोस्ट पाए। पोस्ट में किसी ड्रेस कोड का उल्लेख नहीं किया गयाहै, जिससे साबित होता है कि वायरल तस्वीर को एडिट किया गया है। इससे पहले शुक्रवार को, कई दक्षिणपंथी ट्विटर हैंडल ने सीएए विरोधी रैली के लिए पोस्टर की एक तस्वीर को ट्वीट करना शुरू कर दिया| इसमें दावा किया गया कि मुंबई में 'मैसिव वुमन्स प्रोटेस्ट' के आयोजकों ने हिजाब या बुर्का को ड्रेस कोड बताया है। यह भी पढ़ें: विवेक अग्निहोत्री ने एंटी-सीएए प्रदर्शनकारी की फ़र्ज़ी तस्वीर की वायरल नकली तस्वीर ने हिंदुत्व दक्षिणपंथियों का ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने इसकी कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि भारत में अधिनियम के ख़िलाफ मुसलमान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत उमराव पटेल ने कैप्शन के साथ फ़ोटोशॉप्ड पोस्टर ट्वीट किया था, जिसमें लिखा था, "प्रोटेस्ट CAA के विरुद्ध है लेकिन ड्रेस कोड हिजाब और बुरका है। पितृसत्ता और मनुवाद से आजादी हिजाब और बुरका पहनकर मिलेगी। सीधे शब्दों में, यह देश भर में आंदोलन नहीं हो रहा, बल्कि शक्ति प्रदर्शन है और देश के हिंदुओं के धैर्य की परीक्षा ली जा रही है।" प्रोटेस्ट CAA के विरुद्ध है लेकिन ड्रेस कोड हिजाब और बुरका है।— प्रशान्त पटेल उमराव (@ippatel) January 17, 2020 पितृसत्ता और मनुवाद से आजादी हिजाब और बुरका पहनकर मिलेगी। सीधे शब्दों में, यह देश भर में आंदोलन नहीं हो रहा, बल्कि शक्ति प्रदर्शन है और देश के हिंदुओं के धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। pic.twitter.com/eS7ogYCEGW अर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें। यह भी पढ़ें: क्या अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी ने सी.ए.ए पर की सरकार की आलोचना? वायरल पोस्टर में लिखा है, "सीएए,एनआरसी और एनपीआर के ख़िलाफ बड़े पैमाने प महिलाओं का विरोध,, वाईएमसी ग्राउंड अग्रीपाडा, शुक्रवार 17 जनवरी, शाम छह बजे के बाद" महिलाओं के लिए ड्रेस कोड: "हिजाब या बुर्का।" यह पहली बार नहीं है जब पटेल ने ऐसे दावे किए हैं जो बाद में ग़लत या भ्रामक पाए गए हैं। यहां, यहां और यहां क्लिक करें। भ्रामक पोस्टर को फ़ेसबुक पर भी शेयर किया जा रहा है। अर्काइव के लिए यहां क्लिक करें। Event: Massive women's protest against CAA.— Vivekk | विवेक | বিবেক | விவேக் | (@oyevivekk) January 17, 2020 Dress Code: Hijab or Burkha Motive: So the dalal journalists and anti hindu left leaning sites can milk pictures of women carrying kids in Burkha/Hijab and used it against the PM Modi how is "oppressing" the muslim minorities. pic.twitter.com/C4wSXuSNlF अर्काइव के लिए यहां क्लिक करें। Hello @_sabanaqvi as you claimed that this was not a #Muslim protest but " interfaith " . So women of all faiths have to dress in burkha or hijab?— #IndiaFirst 🇮🇳 (@savitha_rao) January 17, 2020 In addition to Rs 500 and biryani will there be a clothing Allowance too ?#ShaheenBaghTruth #Mumbai @naqvimukhtar @HMOIndia pic.twitter.com/o3OCz3dlcA अर्काइव के लिए यहां क्लिक करें। फ़ैक्ट चेक बूम ने मुंबई सिटीजन फोरम द्वारा आयोजित विरोध रैली के आयोजकों में से एक से बात की, जिसने हमें बताया कि प्रदर्शनकारियों के लिए कोई ड्रेस कोड नहीं था और वायरल पोस्टर नकली था। एडवोकेट जुबैर आज़मी ने बूम को बताया, "कोई ड्रेस कोड नहीं है। शेयर किया गया फ्लायर सही नहीं है।" यह भी पढ़ें: लोगों को कांग्रेस ने सी.ए.ए के ख़िलाफ प्रदर्शन के पैसे दिए? फ़ैक्ट चेक आज़मी ने हमें मूल फ्लायर भेजा, जो पुष्टि करता है कि वायरल फ्लायर फ़ोटोशॉप्ड है। मूल फ्लायर में यह स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है कि, "महिलाओं के लिए ड्रेस कोड: हिजाब या बुर्का" मौजूद नहीं है। फ़ोटोशॉप्ड फ्लायर पर जोड़ा गया टेक्स्ट अपर केस में है, जबकि मूल फ्लायर लोअर केस में और वाक्य में पीले रंग का शेड मेल नहीं खाता है। इसके अलावा, हमने विरोध के एक दिन पहले के मूल फ़्लायर के साथ सोशल मीडिया पोस्ट पाए जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि मूल पोस्टर में ड्रेस कोड के बारे में कोई निर्देश शामिल नहीं था। आयोजकों में से एक आमिर एड्रेसी के इस फ़ेसबुक पोस्ट से पता चलता है कि इसमें किसी तरह के ड्रेस कोड का उल्लेख नहीं किया गया है। यह भी पढ़ें: क्या कांग्रेस कार्यकर्ता ने पकड़ा 'मुस्लिम राष्ट्र' का पोस्टर? मूल फ़्लायर को 16 जनवरी, 2020 को पोस्ट किए गए इस ट्वीट में भी देखा जा सकता है, जो देश में होने वाले एंटी-सीएए विरोध पर किए गए ट्वीट थ्रेड पर है। #Mumbai Massive Women's Protest against CAA / NRC / NPR— CAA / NRC Protest Info. (@NrcProtest) January 16, 2020 17th January @ 6 pm pic.twitter.com/ofL9pt2M2h बूम ने शुक्रवार शाम को विरोध प्रदर्शन से तस्वीरें भी पाई, जहां हमने पाया कि ऐसी महिलाएं थीं जिन्होंने हिजाब या बुर्का नहीं पहना था।
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