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Fact Check
Claim
रतन टाटा ने भारतीय सेना को बुलेट प्रूफ और बम प्रूफ बसें उपलब्ध कराई हैं।
Fact
यह दावा गलत है। साझा तस्वीर में दिख रही बसें 2017 में मिधानी (MIDHANI) की तरफ से CRPF को दी गई थीं।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर में यह दावा किया जा रहा है कि रतन टाटा ने भारतीय सेना को बुलेट प्रूफ और बम प्रूफ बसें उपलब्ध कराई हैं। एक आसमानी रंग की बख्तरबंद बस (जिस पर टाटा लिखा है) के साथ रतन टाटा की एक तस्वीर जोड़कर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है। इस तस्वीर के साथ लिखा है कि रतन टाटा ने भारतीय सेना को बुलेटप्रूफ और बमप्रूफ बसें मुहैया कराई हैं। ऐसी कई पोस्ट यहाँ, यहां और यहाँ देखी जा सकता हैं।
यह दावा हमें अपनी WhatsApp Tip Line (9999499044) पर भी प्राप्त हुआ है।
हालाँकि अपनी जांच में हमने पाया कि यह दावा गलत है। रतन टाटा ने भारतीय सेना को बुलेट प्रूफ और बम प्रूफ बसें उपलब्ध नहीं कराई हैं। तस्वीर में दिख रही बसें 2017 में मिधानी (मिश्र धातु निगम लिमिटेड) ग्रुप की तरफ से CRPF को दी गईं थीं।
Fact Check/Verification
जांच की शुरुआत में हमने वायरल दावे को गूगल कीवर्ड्स से खोजा लेकिन इससे जुड़ी कोई रिपोर्ट हमें नहीं मिली। जिसके बाद हमने दावे के साथ साझा की जा रही तस्वीर को Google Reverse Image Search किया, हमें यह तस्वीर केंद्रीय सशस्त्र बल (CRPF) द्वारा 7 सितम्बर 2017 को उनके आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट से शेयर की गई एक पोस्ट में दिखाई दी। पोस्ट के कैप्शन में लिखा गया है कि ‘MIDHANI द्वारा #MakeInIndia के तहत निर्मित बख्तरबंद बस और भाभा कवच, हल्के वजन वाले BP जैकेट को आज सीआरपीएफ महानिदेशक को सौंप दिया गया।‘
वायरल दावे के साथ साझा की जा रही बस की तस्वीर का मिलान जब हमने केंद्रीय सशस्त्र बल (CRPF) के आधिकारिक अकाउंट से पोस्ट की गयी तस्वीर से किया तो पाया कि दोनों एक ही तस्वीर हैं।
साथ ही हमने पाया कि ऑल इंडिया न्यूज़ ने भी 7 सितम्बर 2017 को अपने आधिकारिक X अकाउंट से इस जानकारी को साझा किया था कि तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल को बख्तरबंद बस और ARGO एवेंजर टेरेन वाहन सौंपा, उस दौरान तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी वहां मौजूद थे। साझा की गयी तस्वीर में भी बस के साथ MIDHANI का होर्डिंग लगा दिख रहा है जो इस बात की पुष्टि करता है कि ये बसें रतन टाटा द्वारा नहीं बल्कि मिधानी (मिश्र धातु निगम लिमिटेड) ग्रुप की तरफ से सीआरपीएफ को दी गईं थीं।
साथ ही हमने पाया कि इस सन्दर्भ में रतन टाटा के आधिकारिक अकाउंट से भारतीय सेना को बुलेट प्रूफ और बम प्रूफ बसें उपलब्ध कराई जाने से जुड़ीं कोई जानकारी नहीं दी गयी है।
Conclusion
अपनी जांच से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि वायरल दावा झूठा है। हमने पाया कि पोस्ट में साझा की जा रही तस्वीर 2017 की है। जांच में यह स्पष्ट होता है कि ये बसें रतन टाटा द्वारा नहीं बल्कि मिधानी (मिश्र धातु निगम लिमिटेड) ग्रुप की तरफ से CRPF को दी गईं थीं।
Result: False
Our Sources
X post by CRPF on September 7, 2017
X post by All India Radio on September 7,2017
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