About: http://data.cimple.eu/claim-review/589a4af7db67e79850374d533c65f66b64bd2a16592a77e2e9685003     Goto   Sponge   NotDistinct   Permalink

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  • ये तस्वीरें दिल्ली दंगा पीड़ितों के शवों की नहीं बल्कि एंटी-सीएए विरोध की हैं बूम ने पाया कि तस्वीरें औरंगाबाद की हैं, जहां प्रदर्शनकारियों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ प्रदर्शन करने के लिए कफ़न ओढ़ा था। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में कफ़न ओढ़ कर लेटे हुए प्रदर्शनकारियों की दो तस्वीरों को दिल्ली के दंगों से ग़लत तरीके से जोड़ा जा रहा है। दिल्ली में हुए दंगों में अब तक 42 लोगों की जान जा चुकी है। तस्वीरों में लोगों को एक कपड़ा ओढ़ कर लेटा हुआ दिखाया गया है जो आम तौर पर मृत को ओढ़ाया जाता है। इन कफ़न पर एंटी सीएए और नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन (एनआरसी) का उल्लेख देखा जा सकता है। दो तस्वीरें पिछले सप्ताह दिल्ली के दंगों में जान गंवाने वाले मुसलमानों के शव होने का दावा करते हुए वायरल हो रही हैं। यह भी पढ़ें: दिल्ली के अशोक नगर कि मस्जिद में तोड़फोड़ और आगजनी कि घटना सच है उत्तर पूर्वी दिल्ली के कुछ हिस्सों में सीएए समर्थक और विरोधी समूहों के बीच हिंसा भड़की। हिंसा में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। पोस्ट के साथ बंगाली में कैप्शन दिया गया है, जिसका हिंदी अनुवाद कुछ इस प्रकार है, "मेरा दिल टूट गया है। हे ऊपर वाले! वे हिंदू जिन्होंने दिल्ली के मस्जिदों में मेरे मुस्लिम भाइयों को जलाया और शहीद किया है ... उनके जीवन के बदले, भारत पर मुसलमानों को शासन करना चाहिए। अब आप फिरौन की तरह मोदी सरकार को उखाड़ फेंक सकते हैं। कृपया प्रार्थना स्वीकार कर, इच्छाओं को पूरा करें। " (बंगला में मूल टेक्स्ट : ''কলিজা ফেটে চৌচির হয়ে যাচ্ছে। হে মালিক দিল্লির মসজিদে যেসব হিন্দুরা আগুন দিয়ে পুড়িয়ে আমার ভাইদের শহীদ করেছে, তুমি শহীদি ভাইদের রক্তের বিনিময়ে ভারতের শাসন ক্ষমতা মুসলমানদের হাতে কবুল করে মোদী সরকারকে ফেরাউনের মতো পতন ঘটিয়ে দাও। আমিন সুম্মা আমিন।'') पोस्ट देखने के लिए यहां और अर्काइव लिंक के लिए यहां क्लिक करें। यह भी पढ़ें: क्या इस वीडियो में अमानतुल्ला खान का गुस्सा केजरीवाल के ख़िलाफ है? फ़ैक्ट चेक फ़ैक्ट चेक बूम ने एक रिवर्स इमेज सर्च चलाया और पाया कि यह तस्वीर 24 फ़रवरी को सीएए, एनआरसी और एनपीआर के ख़िलाफ महाराष्ट्र में हुए एक विरोध प्रदर्शन का हिस्सा हैं। कई स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों में भी यह बताया गया था। एक स्थानीय समाचार पोर्टल ने बताया कि शाहीन बाग़ में हो रहे धरना-प्रदर्शनों का समर्थन दिखाते हुए औरंगाबाद में भी विरोध प्रदर्शन किए गए। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए और पुरुषों ने विरोध के निशान के रूप में कफ़न पहने। तस्वीरों को पहले कई सोशल मीडिया यूज़रों द्वारा शेयर किया गया था जिसमें नए नागरिकता कानून के ख़िलाफ असंतोष जताने के लिए लोगों ने कफ़न पहन पर विरोध प्रदर्शन किया था। यह भी पढ़ें: नहीं इस तस्वीर में कांग्रेस नेताओं के साथ जस्टिस मुरलीधर नहीं हैं नीचे एक ऐसा ट्वीट है, जिसमें कहा गया है कि विरोध प्रदर्शन औरंगाबाद में हुआ था। #औरंगाबाद— Sabir Saifi (@saifisabir155) February 24, 2020 काले कानून के खिलाफ कफ़न पहन कर, इतिहास में पहली बार इस तरीके के आंदोलन देखने को मिल रहा है..! सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू -ए- कातिल में है !!#REJECT_CAA_NRC_NPR #TrumpInIndia#GoBackTrump #Ahmedabad #an pic.twitter.com/XQjnFJfG8j 24 फ़रवरी, 2020 को यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड किया गया था, जहां इन प्रदर्शनकारियों को देखा जा सकता है।
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