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| - Last Updated on मार्च 12, 2024 by Neelam Singh
सारांश
ट्विवटर पर जारी एक पोस्ट के जरिए दावा किया गया है कि लोकसभा चुनाव में भाग लेने के बाद भी पश्चिम बंगाल के निवासियों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा आधा सत्य है।
दावा
सोशल मीडिया पर जारी एक पोस्ट के जरिए दावा किया गया है कि लोकसभा चुनाव में भाग लेने के बाद भी पश्चिम बंगाल के निवासियों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
“हम (पश्चिम बंगाल) आयुष्मान भारत स्वास्थ्य सुविधाओं के लाभ से वंचित क्यों हैं। अगर हम प्रधानमंत्री चुनने के लिए लोकसभा चुनाव में भाग लेते हैं तो हम सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेने से क्यों वंचित हैं।”
तथ्य जाँच
आयुष्मान भारत योजना क्या है?
आयुष्मान भारत योजना को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत सरकार द्वारा माध्यमिक (secondary) और तृतीयक (tertiary) स्वास्थ्य देखभाल के लिए कम आय वाले परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए शुरू की गई एक स्वास्थ्य बीमा योजना है। सबसे अहम बात यह है कि इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक परिवार को 5 लाख तक का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान किया जाता है। इसके अलावा इस योजना के अंतर्गत निम्नलिखित स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान किए जाते हैं-
- लाभार्थी: सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011 (एसईसीसी 2011) के आधार पर भारत की आबादी का लगभग 50% तबका ऐसा है, जिसे इस योजना की जरुरत है। इसका अर्थ है कि 10 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवार इसके लाभार्थी हो सकते हैं।
- अस्पताल: पूरे भारत में सार्वजनिक और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है।
सरकार द्वारा जारी जानकारी के अनुसार यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए आयुष्मान भारत योजना को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की सिफारिश के अनुसार लॉन्च किया गया था। मूलरुप से लागू होने में इसे एक साल का वक्त लगा और साल 2018 के 23 सितंबर को रांची, झारखंड से प्रधानमंत्री ने इस पहल की शुरुआत की। यह पहल सतत विकास लक्ष्यों (SDG) और इसकी रेखांकित प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए लागू की गई है, जिसका ध्येय वाक्य “leave no one behind” है, यानी की कोई भी व्यक्ति पीछे ना छुटे।
क्या सभी राज्यों ने आयुष्मान भारत योजना को लागू किया है?
नहीं। सरकार द्वारा जारी जानकारी की माने तो दिल्ली, ओडिशा और पश्चिम बंगाल ने आयुष्मान भारत योजना को लागू नहीं किया है। वहीं आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अब तक इस योजना के अंतर्गत 12 करोड़ परिवारों के लगभग 55 करोड़ व्यक्ति शामिल हैं।
सरकार द्वारा जारी जानकारी के अनुसार इस योजना के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन एजेंसी (एबी-एनएचपीएमए) स्थापित की गई है। राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को राज्य स्वास्थ्य एजेंसी- State Health Agency (SHA) नामक एक समर्पित इकाई द्वारा योजना को लागू करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा वे या तो मौजूदा ट्रस्ट/सोसाइटी/नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनी/स्टेट नोडल एजेंसी (एसएनए) का उपयोग कर सकते हैं या योजना को लागू करने के लिए एक नई इकाई स्थापित कर सकते हैं।
क्या आयुष्मान भारत योजना को लागू नहीं करने के पीछे कोई मंशा है?
देखा जाए, तो ये राज्यों पर निर्भर करता है कि वे इस योजना को लागू करना चाहते हैं या नहीं क्योंकि भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के विभाजन से संबंधित है। यह भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियों का एक हिस्सा है। इसमें संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची शामिल है।
- संघ सूची (Union List): इस सूची में वे विषय शामिल हैं, जिनके तहत भारत की संसद कानून बना सकती है। जैसे- रक्षा, विदेशी मामले, रेलवे, मुद्रा आदि।
- राज्य सूची (State List): इस सूची में वे विषय शामिल हैं, जिनके तहत राज्य विधानमंडल कानून बना सकते हैं। जैसे- सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस, सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता, अस्पताल और औषधालय, कृषि।
- समवर्ती सूची (Concurrent List): इस सूची में वे विषय शामिल हैं, जिनके तहत संसद और राज्य विधानमंडल दोनों कानून बना सकते हैं। जैसे- शिक्षा, आपराधिक कानून, वन, वन्यजीवों की सुरक्षा, आदि।
वहीं स्वास्थ्य, विशेष रूप से “Public health and sanitation; hospitals and dispensaries” (सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता, अस्पताल और औषधालय) भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में सूचीबद्ध है। इन विषयों पर राज्य नियम, योजना आदि बनाने के लिए स्वतंत्र है। ऐसे में संविधान के अनुसार किसी राज्य के ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं है कि उन्हें इस योजना को लागू करना ही है।
वहीं अगर सोशल मीडिया पर किये गए दावे की बात करैं तो वह दावा आधा ही सत्य है क्योंकि चुनाव में किसी प्रत्याशी को वोट देना और प्रधानमंत्री को चुनने का मतलब यह नहीं है कि प्रधानमंत्री द्वारा लागू की गयी सब योजनाओं का लाभ पूर्ण रूप से सबको मिल सकेगा। प्रधानमंत्री केंद्रीय स्तर पर योजनाएं लागू करता है और राज्य संविधान की सूचियों के अनुसार उन्हें लागू करने या न करने के लिए स्वतंत्र हैं। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि आयुष्मान भारत योजना पश्चिम बंगाल राज्य में 23.09.2018 से 10.01.2019 तक लागू की गई थी। पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार 10.01.2019 को इस योजना से बाहर हो गई। यह जानकारी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग भारत सरकार द्वारा 10 फरवरी 2023 को दी गई है।
भले ही यह योजना पश्चिम बंगाल में लागू नहीं है लेकिन इसके पीछे केवल केंद्र या राज्य सरकार पर आम जनता द्वारा दोषारोपण करना गलत होगा क्योंकि जो भी है, वो संविधान के अनुरुप ही है।
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