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  • पुलिस पर भीड़ द्वारा पथराव की घटना दिल्ली की नहीं, अहमदाबाद की है बूम ने पाया कि वायरल वीडियो दिसंबर 2019 का है जिसे गुजरात के अहमदाबाद में सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान फिल्माया गया था। अहमदाबाद में फिल्माया एक तीन महीने पुराना वीडियो दिल्ली का बता कर सोशल मीडिया पर फ़िर से वायरल किया जा रहा है। पिछले दिनों हुए सांप्रदायिक दंगों के कारण दिल्ली चर्चा का विषय बना हुआ है। वीडियो में पुलिस की गाड़ी को दिखाया गया है जो सायरन बजाते हुए हिंसक भीड़ के बीच से निकलने की कोशिश कर रही है। भीड़ को पुलिस की गाड़ी पर पथराव करते हुए दिखाया गया है। 45 सेकंड की इस क्लिप को पूर्व सैनिक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य मेजर सुरेंद्र पूनिया ने शेयर किया और इसे ग़लत तरीके से दिल्ली में चल रहे दंगों से जोड़ा। यह भी पढ़ें: पत्थर के साथ पुलिसकर्मी की पुरानी तस्वीर दिल्ली में पुलिस हिंसा के रूप में वायरल पुनिया ने हिंदी में ट्वीट करते हुए लिखा, "वे कश्मीर को दिल्ली लाए हैं। वे पत्थर नहीं फेक रहे हैं, वे भाारत को तोड़ रहे हैं..." ये कश्मीर को दिल्ली ले आये हैं— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) February 26, 2020 पत्थर नहीं फेंक रहे हैं ये बल्कि भारत को तोड़ रहे हैं ..यह सब बरखा,रविश,डिसूज़ा, राजदीप, Wire,Quint,BBC,Scroll,राणा अयूब,अरफ़ा, NDTV नहीं दिखायेंगे ! यह Anti-CAA आंदोलन नहीं है बल्कि आतंकवाद है और इसका कंट्रोल रूम रावलपिंडी में है !#DelhiBurns pic.twitter.com/011mmDphHS अर्काइव वर्शन के लिए यहां देखें। बूम ने पहले भी पुनिया द्वारा फैलाई गई ग़लत जानकारियों को ख़ारिज किया है। ( यहां और पढ़ें। ) वीडियो को अशोक पंडित ने भी झूठे दावे के साथ शेयर किया था। बूम द्वारा ख़ारिज ख़ारिज ग़लत जानकारियां जो अशोक पंडित ने फैलाई थीं, यहां और यहां पढ़ें| This visual proves my point that it's not a riot in Delhi but a war waged by Pak agnst @narendramodi 's India.— Ashoke Pandit (@ashokepandit) February 27, 2020 If the GOI doesn't treat ds Situation like a war dn it will spread al over d cntry. Pak & Urban Naxals have a common agenda & dt is #DivideIndia. #TerrorattackinDel. pic.twitter.com/bNy7a40jq5 अर्काइव के लिए यहां देखें। फेसबुक पर वायरल यही वीडियो फेसबुक पर भी समान कैप्शन के साथ वायरल है। अर्काइव के लिए यहां क्लिक करें। फ़ैक्ट चेक वीडियो पर बारीकी से नज़र डालने पर पता चलता है कि दुकानों पर गुजराती में लिखा हुआ है। इससे पता चलता है कि वायरल वीडियो गुजरात से है, ना कि दिल्ली से है, जैसा कि दावा किया गया है। 11 सेकंड के टाइम-स्टैम्प पर गुजराती लिपि में "चिराग टेलर्स" लिखा हुआ देखा जा सकता है। यह भी पढ़ें: दिल्ली के अशोक नगर कि मस्जिद में तोड़फोड़ और आगजनी कि घटना सच है गूगल पर दुकान का नाम, "चिराग टेलर्स" और "अहमदाबाद" खोजने पर हमने पाया कि यह गुजरात के अहमदाबाद में शाह आलम रोड पर स्थित है। गूगल मैप्स पर दुकान का स्थान अन्य प्रसिद्ध दुकान जैसे 'फेमस चिकन सप्लायर' से भी मेल खाता है जिसे वायरल वीडियो में देखा जा सकता है। इसके अलावा, ट्वीटर पर, 'अहमदाबाद', 'पत्थर', 'पुलिस' कीवर्ड्स के साथ खोज करने पर हमें यही वीडियो मिला, जिसे 19 दिसंबर, 2019 को देशगुजरात के हैंडल से ट्वीट किया गया था। वीडियो के साथ दिए कैप्शन में लिखा है, "कैब के विरोध के दौरान अहमदाबाद के शाह-ए-आलम इलाके में भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया। महिला पुलिसकर्मी सहित कम से कम दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस की गाड़ी पर भी हमला हुआ।" A mob pelt stones over police in Shah-E-Alam area of Ahmedabad during CAB protest; at least two cops including a woman cop injured. Police vehicle also attacked. pic.twitter.com/Ogba53G9DV— DeshGujarat (@DeshGujarat) December 19, 2019 हमने समाचार रिपोर्टों की खोज की और पाया कि यह घटना अहमदाबाद के शाह-ए-आलम में 19 दिसंबर, 2019 को एक एंटी-सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई थी| यह प्रदर्शन तब हिंसक हो गया था जब प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने कुछ पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया था। इस घटना के कई अन्य वीडियो वायरल हुए थे, जहां एक पुलिस अधिकारी पर पथराव कर रहे लोगों की भीड़ को देखा जा सकता है। इस घटना के वीडियो से ऑनलाइन व्यापक रुप से बहस छिड़ गई थी। उस समय पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस कर्मियों पर हमले के लिए एक कांग्रेस पार्षद और 48 अन्य को गिरफ़्तार किया गया था। इसी सीक्वेंस में देखा जा सकता है कि यह वीडियो टीवी 9 गुजराती के कवरेज में दिखाया गया है। वीडियो को दिसंबर 2019 में यूट्यूब पर अपलोड किया गया था।
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