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किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों ने हाल ही में ट्वीट किया था। जिनमें ग्रेटा थनबर्ग भी शामिल थीं। इसी बीच ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट करते समय एक गलती कर दी और एक टूलकिट शेयर कर दिया। जिसके बाद से ही भारत में इस टूलकिट को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। पुलिस इस टूलकिट की जांच कर रही है। इस मामले में देश के कई पर्यावरण कार्यकर्ता पुलिस की रडार पर हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है।
तस्वीर में ग्रेटा थनबर्ग एक खिड़की के पास बैठकर खाना खा रही हैं। खिड़की के बाहर कुछ गरीब बच्चे बैठे हुए हैं और ग्रेटा को खाना खाते हुए देख रहे हैं। तस्वीर को शेयर करते हुए सोशल मीडिया यूजर्स ग्रेटा थनबर्ग पर कई सवाल उठा रहे हैं। यूजर्स ग्रेटा की तुलना कर्नाटक के पर्यावरणविद् और पद्मश्री विजेता सालूमारदा थिमक्का से कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि एक सालूमारदा थिमक्का हैं जो अपनी रोटी भी किसी और को दे देती हैं और एक ग्रेटा थनबर्ग हैं, जो कि भूखे बच्चों को अनदेखा कर उनके सामने खाना खा रही हैं।
पोस्ट से जुड़ा आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।
वायरल तस्वीर का सच जानने के लिए हमने गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें ग्रेटा की असली तस्वीर मिली। जिसे उन्होंने 22 जनवरी 2019 को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शेयर किया था। तस्वीर के कैप्शन में ग्रेटा ने लिखा है, ‘डेनमार्क में लंच।’ असली तस्वीर में साफ तौर से देखा जा सकता है कि ग्रेटा एक ट्रेन में बैठी हैं। जिसके बैकग्राउंड में जंगल है, ना कि गरीब बच्चे।
पड़ताल के दौरान हमें पता चला कि वायरल तस्वीर साल 2019 से ही इंटरनेट पर वायरल है। वायरल तस्वीर को ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के बेटे Eduardo ने भी साल 2019 में शेयर किया था। जिसके बाद उनकी सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई थी।
ग्रेटा की इस तस्वीर पर साल 2019 से ही काफी बवाल मचा हुआ है। एक तरफ जहां इस वायरल तस्वीर की वजह से ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के बेटे को आलोचना झेलनी पड़ी तो वहीं असली तस्वीर की वजह से ग्रेटा को भी काफी आलोचना झेलनी पड़ी है। दरअसल ग्रेटा एक पर्यावरण एक्टिविस्ट हैं वो अक्सर प्लास्टिक के इस्तेमाल पर सवाल उठाती रहती हैं। ऐसे में इस तस्वीर में टेबल पर कुछ प्लास्टिक के पैकेट होने के कारण ग्रेट को आलोचना का सामना करना पड़ा था।
बैकग्राउंड में इस्तेमाल की गई इस तस्वीर का सच जानने के लिए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें Reuters द्वारा साल 2007 में प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट मिली। जिसमें इस तस्वीर को प्रकाशित किया गया था। रिपोर्ट में इस तस्वीर को प्राकशित करते हुए मध्य अफ्रीकी गणराज्य में हुए एक गृहयुद्ध के बारे में बताया गया है।
रॉयटर्स की इस रिपोर्ट के अनुसार, ये तस्वीर मध्य अफ्रीका के बोडोली गांव में साल 2006 में खींची गई थी। सरकारी सुरक्षाबलों और विद्रोहियों के बीच हुई एक लड़ाई के बाद इस तस्वीर को क्लिक किया गया था।
ग्रेटा थनबर्ग की वायरल तस्वीर फोटोशॉप्ड है। यह तस्वीर साल 2019 से ही इंटरनेट पर मौजूद है। असली तस्वीर में ग्रेटा एक ट्रेन में बैठी हैं और उनके बैकग्राउंड में गरीब बच्चे नहीं बल्कि जंगल दिख रहा है। फोटोशॉप्ड तस्वीर को गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। साल 2019 में ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो के बेटे ने भी इस फोटोशॉप्ड तस्वीर को शेयर किया था।
Twitter- https://twitter.com/GretaThunberg/status/1087688894706077697
Instgram – https://www.instagram.com/p/Bs78FqnBOyv/?hl=en
Reuters — https://www.reuters.com/article/us-centralafrica-refugees/bush-war-leaves-central-african-villages-deserted-idUSL3080284520070830
Twitter – https://twitter.com/BolsonaroSP/status/1177039211121303552
Extra –https://extra.ie/2019/09/27/news/world-news/huge-lashback-after-fake-image-of-greta-thunberg-eating-in-front-of-poor-children-is-circulated-online
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