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  • Fact Check: अफगानिस्तान में बामियान के बुद्ध के नाम से वायरल तस्वीर मुंबई की कन्हेरी गुफाओं की है अफगानिस्तान में तालिबान सरकार द्वारा बहाल किए जा रहे बामियान के बुद्ध के नाम से वायरल हो रही तस्वीर मुंबई, महाराष्ट्र में कन्हेरी गुफाओं की है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार द्वारा बामियान के बुद्ध का पुनर्निर्माण नहीं किया गया है। - By: Ankita Deshkar - Published: Aug 29, 2022 at 11:30 AM Vishvas News (नई दिल्ली): सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें एक बड़ी-सी बुद्ध भगवान की मूर्ति देखी जा सकती है। पोस्ट में कहा जा रहा है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने एक साल में बामियान के बुद्ध को वापस बना दिया और यह वहीं की तस्वीर है। बामियान बुद्धों को छठी शताब्दी ईस्वी में मध्य अफगानिस्तान की बामियान घाटी में एक चट्टान से उकेरा गया था और 1400 वर्षों तक लगभग 180 फीट लंबा खड़ा था। तालिबान ने 2001 में भारी विस्फोटकों का इस्तेमाल करके इसे उड़ा दिया। पोस्ट में दावा किया गया है कि तालिबान की सरकार ने अब इस प्रतिमा को फिर से बना दिया है। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि पोस्ट में बुद्ध की वायरल तस्वीर मुंबई की कन्हेरी गुफाओं की है, न कि अफगानिस्तान की बामियान घाटी की। क्या है वायरल पोस्ट में? ट्विटर यूजर मौइयाना फैयाज उफ कानी (Archive) ने दो तस्वीरें साझा कीं और लिखा, “अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने बामियान के बुद्ध को एक साल के भीतर बहाल कर दिया है। नरेंद्र मोदी सरकार बाबरी मस्जिद का जीर्णोद्धार कब करने जा रही है?” यहां पोस्ट और आर्काइव वर्जन देखें। पड़ताल: विश्वास न्यूज ने गूगल रिवर्स इमेज सर्च के साथ जांच शुरू की। पहली तस्वीर वास्तव में बामियान के बुद्ध की थी। हमें अफगानिस्तान के बामियान बुद्धों के इतिहास पर एक आर्टिकल मिला। आर्टिकल में कहा गया है: दो विशाल बामियान बुद्ध एक हजार से अधिक वर्षों तक अफगानिस्तान में यकीनन सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल के रूप में खड़े रहे। वे दुनिया के सबसे बड़े खड़े हुए बुद्ध थे। फिर, 2001 के वसंत में कुछ ही दिनों में इसे नष्ट कर दिया। तालिबान के इस विनाश पर संयुक्त राष्ट्र ने भी टिप्पणी की थी। हमें गेट्टी इमेजेज वेबसाइट पर भी तस्वीरें मिलीं। इसके बाद हमने दूसरी तस्वीर पर गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया। हमें यह तस्वीर एक वेबसाइट पर मिली, जिसमें कन्हेरी गुफाओं और संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान की तस्वीरें थीं। आर्टिकल 10 अप्रैल 2015 को पोस्ट किया गया था। हमें संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के विकिपीडिया पेज पर भी यह तस्वीर मिली, जिसमें कहा गया था कि 7 मीटर ऊंची यह बुद्ध प्रतिमा कन्हेरी गुफा के प्रवेश द्वार पर है। हमें यह तस्वीर शटरस्टॉक डॉट कॉम पर भी मिली। इसलिए यह स्पष्ट था कि दूसरी तस्वीर मुंबई में कन्हेरी गुफाओं की है। हमने इसके बाद जाँच की कि क्या अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने बामियान के बुद्ध की प्रतिमा का पुनर्निर्माण किया है? हमें ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली। फिर हमने इंस्टाग्राम पर लोकेशन टैग के जरिए चेक किया कि क्या लोगों ने बुद्ध की इस मूर्ति को कन्हेरी की गुफाओं के नाम से पोस्ट किया है। हमें इंस्टाग्राम यूजर्स की बुद्ध प्रतिमा के सामने पोज देते हुए तस्वीरें मिलीं, जहाँ इसे कन्हेरी की गुफाओं का बताया गया था। जांच के अगले चरण में हम मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार मयूर पारिख से जुड़े, जो कान्हेरी गुफाओं के बारे में अक्सर लिखते रहते हैं। उन्होंने पुष्टि की कि तस्वीर मुंबई की कन्हेरी गुफाओं की है। मुंबई के एक अन्य दृश्य कला छात्र नागेश कानडे ने भी पुष्टि की कि वायरल तस्वीर मुंबई की कन्हेरी गुफाओं की ही है। जांच के आखिरी चरण में विश्वास न्यूज ने वायरल तस्वीर पोस्ट करने वाले ट्विटर यूजर का सोशल बैकग्राउंड चेक किया। हमें पता चला कि मौलाना फैयाज उफ कानी नवंबर 2020 में ट्विटर से जुड़े थे और उन्हें 5,022 लोग फॉलो करते हैं, जबकि वह किसी को फॉलो नहीं करते हैं। निष्कर्ष: अफगानिस्तान में तालिबान सरकार द्वारा बहाल किए जा रहे बामियान के बुद्ध के नाम से वायरल हो रही तस्वीर मुंबई, महाराष्ट्र में कन्हेरी गुफाओं की है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार द्वारा बामियान के बुद्ध का पुनर्निर्माण नहीं किया गया है। - Claim Review : अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने बामियान के बुद्ध को एक साल के भीतर बहाल कर दिया है। नरेंद्र मोदी सरकार बाबरी मस्जिद का जीर्णोद्धार कब करने जा रही है - Claimed By : Twitter User MauIana Fayaz Uf kani - Fact Check : झूठ पूरा सच जानें... किसी सूचना या अफवाह पर संदेह हो तो हमें बताएं सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी मैसेज या अफवाह पर संदेह है जिसका असर समाज, देश और आप पर हो सकता है तो हमें बताएं। आप हमें नीचे दिए गए किसी भी माध्यम के जरिए जानकारी भेज सकते हैं...
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