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| - Last Updated on फ़रवरी 7, 2024 by Aditi Gangal
सारांश
एक वेबसाइट के जरिए दावा किया जा रहा है कि पानी में भिगोए हुए किशमिश खाने से हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा ज्यादातर गलत है।
दावा
एक वेबसाइट पर ‘एनीमिया के मरीजों के लिए रामबाण है किशमिश, कुछ ही दिनों में बढ़ा देगी हीमोग्लोबिन, लेकिन जान लें खाने का सही तरीका’ शीर्षक के अंतर्गत जारी आलेख द्वारा दावा किया जा रहा है कि “शरीर में खून की कमी को किशमिश बहुत तेजी से दूर करती है। इसके लिए आप रोजाना किशमिश को रात को धोने के बाद पानी में भिगो दें। सुबह खाली पेट उठकर उस पानी को पी लें और किशमिश को खा लें। इसे खाने से आपके शरीर में खून की रिकवरी बहुत तेजी से होगी। कुछ ही दिनों में आपको असर दिखना शुरू हो जाएगा।”
पोस्ट का स्क्रीनशॉट नीचे मौजूद है।
तथ्य जाँच
हीमोग्लोबिन की कमी क्या है?
देखा जाए, तो हीमोग्लोबिन की कमी तब उत्पन्न होती है, जब लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर अपर्याप्त होता है। हीमोग्लोबिन फेफड़ों से शरीर के ऊतकों और अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण होती है। हालांकि, आयरन की कमी हीमोग्लोबिन कम होने का एक प्रचलित कारण है, जो हीमोग्लोबिन उत्पादन को प्रभावित करता है।
एनीमिया के सामान्य लक्षणों में थकान, कमजोरी, त्वचा की रंगत का पीला पड़ जाना, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना और हाथ-पैर ठंडे होना शामिल है। इसका उपचार अंतर्निहित कारणों के आधार पर भिन्न होता है। इसमें संतुलित आहार का सेवन करना एवं प्राथमिक चिकित्सा स्थिति का समाधान शामिल हो सकता है।
क्या हीमोग्लोबिन की कमी का मतलब हमेशा एनीमिया होता है?
बिल्कुल नहीं। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में एक प्रोटीन है, जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है। आयरन की कमी से हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो सकता है, जिससे एनीमिया हो सकता है। जबकि हीमोग्लोबिन की कमी एनीमिया का एक सामान्य कारण है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कम हीमोग्लोबिन के स्तर के हर मामले का कारण एनीमिया ही होगा।
हीमोग्लोबिन की कमी विभिन्न कारणों से हो सकती है, जिसमें पोषण संबंधी कमी (जैसे आयरन, विटामिन बी 12 या फोलिक एसिड), पुरानी बीमारियां, हीमोग्लोबिन संरचना या उत्पादन को प्रभावित करने वाली आनुवंशिक स्थितियां और रक्त की हानि शामिल है। कुछ मामलों में कम हीमोग्लोबिन का स्तर एनीमिया का कारण नहीं बन सकता है। यदि शरीर पर्याप्त रूप से क्षतिपूर्ति करता है या यदि कमी इतनी गंभीर नहीं है कि ऑक्सीजन परिवहन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सके, तो एनीमिया को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि सजग रहना जरुरी है।
यही कारण है कि हीमोग्लोबिन की कमी एनीमिया का एक आम कारण है लेकिन विशिष्ट संदर्भ, अंतर्निहित कारणों और लाल रक्त कोशिका कार्य पर समग्र प्रभाव पर विचार करना महत्वपूर्ण है। इससे यह निर्धारित करने में मदद मिल सकती है कि कोई व्यक्ति एनीमिया या किसी अन्य संबंधित स्थिति का अनुभव कर रहा है या नहीं। एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर सटीक निदान प्रदान करने के लिए रक्त परीक्षण और नैदानिक मूल्यांकन के माध्यम से स्थिति का आकलन कर सकते हैं।
क्या पानी में भिगोई हुई किशमिश ज्यादा फायदेमंद होती है?
इस बारे में अभी पर्याप्त सबूत नहीं हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हो कि पानी में डूबोकर रखी हुई किशमिश खाने के ज्यादा फायदे होते हैं। देखा जाए, तो किशमिश सूखे अंगूर हैं और वे अपने मीठे स्वाद के लिए जाने जाते हैं। किशमिश एंटीऑक्सिडेंट का एक अच्छा स्रोत है और आयरन की कमी से बचा सकता है।
साथ ही किशमिश को खाने से पहले भिगोने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। कच्चे सूखे मेवे खाना भी स्वास्थ्यवर्धक होता है। वे आवश्यक विटामिन, खनिज और फाइबर प्रदान करते हैं। वे ऊर्जा से भरपूर हैं और उनकी प्राकृतिक शर्करा मूल्यवान पोषक तत्वों के साथ आती है।
देखा जाए, तो भिगोने से किशमिश फिर से हाइड्रेट हो सकत हैं, यानी की उसमें नमी की मात्रा बढ़ सकती है।
क्या भिगोई हुई किशमिश खाने से हीमोग्लोबिन की कमी दूर किया जा सकता है?
नहीं। किशमिश आयरन का एक स्रोत है, जो हीमोग्लोबिन उत्पादन के लिए आवश्यक है। लेकिन उनका सेवन हीमोग्लोबिन की कमी को ठीक करने के लिए अपने आप में पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा, कोई भी सबूत इस बात की पुष्टि नहीं करता है कि भीगी हुई किशमिश सामान्य किशमिश की तुलना में अधिक स्वास्थ्यवर्धक होती है। साक्ष्य केवल यह बताते हैं कि किशमिश को रात भर भिगोकर खाने से उन्हें पचाने में आसानी हो सकती है। भिगोने से कुछ पोषक तत्व आसानी से निकल सकते हैं, जिससे वे शरीर द्वारा अवशोषण के लिए अधिक उपलब्ध हो जाते हैं। भीगी हुई किशमिश हीमोग्लोबिन के बेहतर स्तर के लिए आयरन का सेवन बढ़ाने में योगदान कर सकती है।
संतुलित आहार लेना आवश्यक है जिसमें आयरन के विभिन्न स्रोतों के साथ-साथ विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल हों। ऐसी आहार आयरन के अवशोषण को बढ़ा सकते हैं। यदि किसी को हीमोग्लोबिन या आयरन की कमी से एनीमिया है, तो उचित मूल्यांकन और सलाह के लिए अनुभवी डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। डॉक्टर रोगी को आवश्यकता के अनुसार आयरन की खुराक या आहार में परिवर्तन की सलाह दे सकते हैं।
इस विषय में जनरल फिजिशियन डॉ. कश्यप दक्षिणी बताते हैं, “हीमोग्लोबिन की कमी के कारण का पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण है। हीमोग्लोबिन की कमी के कुछ सामान्य कारणों में खून की कमी, पोषण संबंधी अपर्याप्तता, दोषपूर्ण लाल रक्त कोशिकाएं, बीमारियां, कोई पुराना संक्रमण, गुर्दे या ऑटोइम्यून रोग और थैलेसीमिया शामिल है। इसलिए उपचार के लिए मुख्य कारण का पता लगाना जरुरी है। पोषण की कमी के कारण होने वाले एनीमिया के इलाज के लिए आयरन, विटामिन बी12 या फोलिक एसिड का उपयोग किया जाता है। गंभीर आयरन की कमी वाले मरीजों को कम हीमोग्लोबिन के स्तर को ठीक करने के लिए blood transfusion की आवश्यकता हो सकती है।”
हीमोग्लोबिन की कमी का इलाज क्या है?
हीमोग्लोबिन की कमी को ठीक करने के लिए आहार में बदलाव करना जरुरी है। हीमोग्लोबिन की कमी, जो अक्सर एनीमिया का कारण बनती है, इसके कारण और गंभीरता के आधार पर उपचार की आवश्यकता होती है। इस स्थिति को संबोधित करने में कई दृष्टिकोण शामिल हैं। आयरन, विटामिन और खनिजों से भरपूर संपूर्ण आहार एनीमिया को रोक सकता है। आयरन की कमी या अवशोषण संबंधी समस्याओं का सामना करने वाले व्यक्तियों के लिए डॉक्टर आयरन की खुराक लिख सकते हैं।
दूसरे ओर विटामिन की खुराक, विशेष रूप से बी12 और फोलेट, लाल रक्त कोशिका उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन विटामिनों की कमी एनीमिया में योगदान कर सकती है, जिसके लिए पूरकता की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा एनीमिया में योगदान देने वाली अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों का इलाज करना भी महत्वपूर्ण है। क्रोनिक किडनी रोग या आंतरिक रक्तस्राव जैसी स्थितियों में हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार के लिए लक्षित उपचार की आवश्यकता होती है। अंत में लाल रक्त कोशिका उत्पादन को बढ़ाने के लिए दुर्लभ एवं गंभीर मामलों में अस्थि मज्जा उत्तेजक या प्रत्यारोपण पर विचार किया जा सकता है।
अतः चिकित्सक के बयान एवं शोध पत्रों के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा ज्यादातर गलत है। रक्त संबंधी किसी भी समस्या से बचने के लिए या हीमोग्लोबिन स्तर को संतुलित करने के लिए अपने खान-पान पर विशेष ध्यान रखें और चिकित्सक से संपर्क करें। हमने पहले भी हीमोग्लोबिन और हल्दी संबंधी तथ्य जाँच किए हैं, जिसे आप पढ़ सकते हैं।
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