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| - Last Updated on दिसम्बर 28, 2023 by Neelam Singh
सारांश
एक वेबसाइट द्वारा प्रकाशित आलेख में दावा किया जा रहा है कि अखरोट का सेवन करने से शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार होता है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा ज्यादातर गलत है।
दावा
एक वेबसाइट द्वारा प्रकाशित आलेख में दावा किया जा रहा है कि अखरोट का सेवन करने से शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार होता है।
तथ्य जाँच
क्या अखरोट शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार करता है?
इस दावे की पुष्टि के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है। हालांकि कुछ शोध पत्र बताते हैं कि अखरोट का सेवन शुक्राणु की गतिशीलता, जीवनकाल और आकृति में सुधार करके उसकी गुणवत्ता को बढ़ा सकता है मगर इस दावे की पुष्टि करने के लिए यह सबूत पर्याप्त नहीं है कि अखरोट का सेवन शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार करता है या नहीं।
अखरोट में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो कोशिकाओं के ऑक्सीकरण (oxidation) की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं और उम्र बढ़ने की प्रवृत्ति को रोकने का काम करते हैं, जिससे हो सकता है कि शुक्राणु की गुणवत्ता में संभावित रूप से सुधार हो। यह प्रक्रिया पुरुषों के प्रजनन क्षमता के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वीर्य की गुणवत्ता बढ़ती है। मानव शरीर में कई एंटीऑक्सीडेंट प्रणालियां होती हैं इसलिए फलों और सब्जियों से भरपूर आहार का सेवन भी लाभकारी होता है।
साथ ही इस विषय पर उपलब्ध शोध पत्रों इसलिए भी अपर्याप्त हैं क्योंकि अखरोट और बेहतर शुक्राणु गुणवत्ता के बीच एक निश्चित संबंध स्थापित करना जरूरी है, जो वर्तमान शोध पत्रों द्वारा पूर्ण नहीं हो रहे।
डॉ. अनीता गुप्ता, स्त्री रोग विशेषज्ञ और एसोसिएट डायरेक्टर, फोर्टिस ला फेम, GK, नई दिल्ली, बताती हैं, “समग्र स्वस्थ जीवन शैली का पालन किए बिना केवल अखरोट के सेवन पर निर्भर रहने से शुक्राणु की गुणवत्ता बढ़ने की संभावना नहीं है। हालांकि नियमित व्यायाम, धूम्रपान न करना, संतुलित आहार, तनाव ना लेने, वजन कम करने, शराब का सेवन ना करने और पर्याप्त नींद शुक्राणु की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं। केवल अखरोट से चमत्कारिक बदलाव असंभव है।”
अगर अखरोट का सेवन शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार करते तो इनमें कौन से रासायनिक घटक मौजूद हो सकते हैं?
अखरोट में मौजूद विशिष्ट रसायन या यौगिक जो शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं, उनके बारे में पूरी जानकारी अब तक सामने नहीं आई है। हालांकि अखरोट को कई पोषक तत्वों और बायोएक्टिव यौगिकों का एक समृद्ध स्रोत माना जाता है, जिसका पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर लाभकारी प्रभाव पड़ सकता है।
अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड उच्च मात्रा में होता है, जो स्वस्थ शुक्राणु कोशिकाओं के विकास और कार्य में सुधार कर सकता है। साथ ही अखरोट में विटामिन-ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो शुक्राणुओं को ऑक्सीडेटिव क्षति से बचा सकते हैं। इसके अलावा जिंक जैसे खनिज शुक्राणुओं के बनने की गति और परिपक्वता में सुधार कर सकते हैं।
इसके अलावा अखरोट में आर्जिनिन भी होता है। यह एक एमिनो एसिड है, जिसे नाइट्रिक ऑक्साइड का अग्रगामी (precursor) कहा जाता है। यह प्रजनन अंगों में रक्त प्रवाह को नियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और बेहतर रक्त प्रवाह वृषण (testes) में पोषक तत्वों और ऑक्सीजन को पहुंचाते हैं, जिससे पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है, जहां शुक्राणुओं का निर्माण होता है।
कुल मिलाकर यह संभावना है कि अखरोट में इन पोषक तत्वों और बायोएक्टिव यौगिकों का संयोजन शुक्राणुओं की गुणवत्ता पर संभावित सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
घरेलु औषधियों से शुक्राणुओं की गुणवत्ता सुधारने की कोशिश करने और चिकित्सकीय सलाह न लेने के क्या खतरे हो सकते हैं?
चिकित्सकीय सलाह के बिना घरेलु औषधियों से शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार करने का प्रयास खतरनाक हो सकता है और इससे उचित चिकित्सा उपचार प्राप्त करने में भी देरी हो सकती है। चिकित्सा उपचार में देरी करने से संक्रमण एवं हार्मोनल असंतुलन हो सकता है और इससे उपचार अधिक जटिल या कम प्रभावी हो सकता है।
साथ ही बहुत अधिक अखरोट खाने से संभावित प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकते हैं। जैसे- वजन बढ़ना, संक्रमण, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल यानी पाचन संबंधित गड़बड़ी या विषाक्तता होने की संभावना होती है। शोध यह भी बताते हैं कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को अखरोट खाने से दम घुटने का खतरा अधिक होता है।
अतः उपरोक्त शोध पत्रों एवं चिकित्सक के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि अखरोट का सेवन करके शुक्राणुओं की गुणवत्ता बढ़ाने का दावा ज्यादातर गलत है। साथ ही चिकित्सीय सलाह के बिना घर पर शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार करने का प्रयास करने से अवास्तविक उम्मीदें पैदा हो सकती हैं। यह बांझपन से जूझ रहे जोड़ों के लिए भावनात्मक रूप से परेशान करने वाला भी हो सकता है।
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