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| - Last Updated on जुलाई 1, 2024 by Neelam Singh
सारांश
इंस्टाग्राम पर जारी एक वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि लगातार पैर हिलाने से मधुमेह की समस्या ठीक हो जाती है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा बिल्कुल गलत है।
दावा
इंस्टाग्राम पर जारी एक वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि लगातार पैर हिलाने से मधुमेह की समस्या ठीक हो जाती है।
तथ्य जाँच
मधुमेह क्या है और आजकल ये समस्या क्यों बढ़ रही है?
मधुमेह आजीवन रहने वाली बीमारी है, जो दो प्रकार की होती है। शोध के अनुसार टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह। टाइप- 1 में मरीज के शरीर की रोग-प्रतिरोधक प्रणाली पेनक्रियाज की कोशिकाओं पर आक्रमण कर देती है, जिस कारण शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है।
वहीं टाइप 2 में पेनक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण नहीं कर पाती या इंसुलिन का सही मात्रा में उपयोग नहीं कर पाती। सही मात्रा में इंसुलिन का उपयोग ना हो पाने से वे रक्त कोशिकाओं में ही रह जाते हैं और शरीर की जरुरतें पूरी नहीं हो पाती।
साथ ही मधुमेह के अन्य कारणों में मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता भी शामिल है, जिससे आंत की चर्बी में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा उच्च कैलोरी/उच्च वसा एवं उच्च चीनी वाले आहार का सेवन प्रमुख योगदान कारक है। इस बात के भी पुख्ता सबूत हैं कि भारतीयों में इंसुलिन प्रतिरोध की अधिक मात्रा और मधुमेह के लिए एक मजबूत आनुवंशिक प्रवृत्ति है।
वहीं, मधुमेह एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिससे वर्ष 2025 तक दुनिया के 300 मिलियन वयस्कों में से तीन-चौथाई लोगों को प्रभावित कर सकती है। यह समस्या गैर-औद्योगिक देशों में ज्यादा देखने को मिल सकती है, जिसमें से लगभग एक तिहाई अकेले भारत और चीन में हो सकती है। कई अध्ययनों से इस बात के प्रमाण मिले हैं कि प्रवासी भारतीयों में टाइप 2 मधुमेह का प्रचलन बढ़ रहा है। आज भारत के शहरी महानगरों में मधुमेह का प्रचलन समृद्ध प्रवासी भारतीयों में बताए गए आंकड़ों के करीब पहुंच रहा है। औद्योगीकरण और ग्रामीण परिवेश से शहरी परिवेश में प्रवास के परिणामस्वरूप पर्यावरण और जीवनशैली में आए बदलाव भारतीयों में टाइप 2 मधुमेह के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हो सकते हैं।
Leg fidgeting क्या है?
पैरों को हिलाना-डुलाना Leg fidgeting एक सरल, हल्की-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि है, जो अंगों में रक्त प्रवाह को बढ़ाती है। इसे मोटापे से ग्रसित लोगों में भोजन के बाद ग्लाइसेमिक नियंत्रण को बेहतर बनाने के लिए लंबे समय तक बैठे रहने के दौरान इसे शामिल किया जा सकता है।
लंबे समय तक बैठे रहने से चयापचय (metabolism) की प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिससे निचले अंगों में रक्त प्रवाह में उल्लेखनीय कमी आती है इसलिए पैरों की हिलाने से गतिविधि हो सकती है, जो रक्त प्रवाह को सामान्य बनाए रख सकती है। पैरों को हिलाने से चयापचय की मांग बढ़ती है और गतिशील अंगों में रक्त का प्रवाह बढ़ता है इसलिए बैठे हुए पैरों को हिलाने से मोटापे से ग्रस्त लोगों में भोजन के बाद ग्लाइसेमिक प्रतिक्रियाओं में सुधार हो सकता है।
क्या पैर हिलाने से मधुमेह की समस्या ठीक हो सकती है?
पैरों को हिलाने से रक्त शर्करा को कम करने या मधुमेह को ठीक करने के लिए सीधे तौर पर सिद्ध नहीं किया गया है। हालांकि कुछ शोध बताते हैं कि पैरों को हिलाने जैसी हल्की हरकतें रक्त प्रवाह में सुधार कर सकती हैं और संभावित रूप से रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने में मदद कर सकती हैं। खासकर मोटापे से ग्रस्त लोगों के लिए भोजन के बाद ऐसा करना लाभप्रद हो सकता है। शोध में पैरों को हिलाने की प्रक्रिया को Leg fidgeting कहा गया है।
अध्ययनों से पता चला है कि हल्की गतिविधि रक्त प्रवाह को बढ़ा सकती है, जो बेहतर रक्त शर्करा नियंत्रण से जुड़ी हो सकती है लेकिन ऐसा केवल मोटापे की समस्या से ग्रसित लोगों पर किए शोध से ही पता चला है। ऐसा कोई शोध या प्रमाण नहीं है, जो बताता हो कि पैरों को हिलाने से किसी भी उम्र में गंभीर मधुमेह स्तर को ठीक किया जा सकता है।
डॉ. आयुष चंद्रा (Consultant Diabetologist and Founder of Nivaran Health, Delhi NCR) इस बारे में विस्तार से बताते हैं कि मधुमेह को ठीक नहीं किया जा सकता है। यदि आवश्यक हो, तो मधुमेह प्रबंधन में उचित दवाएं और इंसुलिन थेरेपी शामिल होनी चाहिए, जिसके लिए चिकित्सक का मार्गदर्शन अनिवार्य है। इसके लिए मैक्रो और सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ संतुलित आहार, दैनिक शारीरिक व्यायाम, पर्याप्त पानी पीना, मानसिक स्वास्थ्य और नियमित रक्त शर्करा की निगरानी की भी आवश्यकता होती है।
वे आगे बताते हैं कि वर्कआउट के साथ-साथ रोजाना 2-3 लीटर पानी का सेवन फायदेमंद होता है। यह चयापचय, रोग-प्रतिरक्षा, बीमारियों के रोकथाम और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। मधुमेह में पानी पीने से मूत्र के माध्यम से अतिरिक्त शर्करा को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
इस वायरल दावे के बारे में दिल्ली स्थित सरोज डायबिटीज एंड रिसर्च सेंटर के संस्थापक और वरिष्ठ सलाहकार मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. रितेश बंसल बताते हैं, “मधुमेह मेटाबॉलिज्म से संबंधित विकार है, जिसके लिए कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा की सही मात्रा के साथ संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। अधिकांश मधुमेह रोगी लगातार वैकल्पिक चिकित्सा उपचारों की खोज करते हैं, जो सहायक हो सकते हैं लेकिन सभी मधुमेह रोगियों को आहार, जीवनशैली में बदलाव और एलोपैथिक दवाओं के माध्यम से एक विशिष्ट रक्त शर्करा स्तर बनाए रखने का निर्देश दिया जाता है। किसी भी तरह के प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करते समय रोगी पर कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता होती है और उसे अपने डॉक्टरों द्वारा सुझाए गए चिकित्सा उपचार का पालन करने की सलाह दी जाती है।”
अतः उपरोक्त शोध पत्रों एवं चिकित्सक के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि पैरों को हिलाने से मधुमेह ठीक होने का दावा बिल्कुल गलत है।
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