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If you believe a story or statement deserves a fact check, or an error has been made with a published fact check Contact Us: checkthis@newschecker.in Fact checks done FOLLOW USFact Check सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें एक शव जमीन पर रखा हुआ है। शव के आस-पास पुलिस वाले खड़े हैं। साथ ही वहां पर कुछ लोग चिल्लाते हुए नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो उत्तर प्रदेश के जालौन स्थित उरई का है। जहां पर सरकारी अस्पताल वालों ने एक जिंदा आदमी को कोरोना बताकर भर्ती कर लिया। फिर डॉक्टरों ने उसकी आंखें और किडनी निकाल ली। मरने के बाद मौके पर मौजूद पीड़ित परिजनों को उसकी लाश नहीं दी गई। इसके बाद जब परिजनों ने हंगामा किया तो मृत व्यक्ति की लाश प्लास्टिक के बैग में पैक करके परिजनों को सौंपी गई। जब परिजनों ने आखिरी बार शख्स का मुंह देखने की जिद की और जबरदस्ती प्लास्टिक का बैग हटाया तो खुलासा हुआ की मृत शख्स की आंखें और किडनी गायब है। जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल के बाहर जमकर हंगामा किया। पोस्ट से जुड़े आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है। हमारे द्वारा Crowdtangle टूल पर वायरल दावे को लेकर किए गए विश्लेषण से पता चला कि यूपी के डॉक्टरों द्वारा कोरोना मरीज की आंखें और किडनी निकालने के इस दावे को सैकड़ों यूज़र्स ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है। वायरल वीडियो का सच जानने के लिए हमने वीडियो को InVID टूल की मदद से कीफ्रेम्स में बदला। फिर एक कीफ्रेम की सहायता से हमने गूगल सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल वीडियो से जुड़ी एक रिपोर्ट Dainik Bhasker की वेबसाइट पर मिली। जिसे 8 मई 2021 को प्रकाशित किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक युवक ने पुलिस प्रताड़ना की वजह से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। युवक का नाम विनय रायकवार है, युवक को 21 अप्रैल को उरई कोतवाली के मंडी चौकी प्रभारी अभिषेक कुमार ने 3/25 आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था। जिसके बाद युवक की मां ने उसे जमानत पर छुड़वाया था। परिजनों का आरोप है कि जमानत के बाद लगातार थाना प्रभारी अभिषेक द्वारा युवक को प्रताड़ित किया जा रहा था। उसे फिर से केस में फंसाकर जेल में डालने की धमकी दी जा रही थी। जिसके बाद उसने परेशान होकर फांसी लगा ली। जब उसे अस्पताल लाया गया तो अस्पताल वालों ने आंखें निकाल ली। रिपोर्ट में मौजूद वीडियो में मृत युवक की बहन के बयान को सुना जा सकता है। वो कहती हुई नजर आ रही हैं कि मेरे भाई की आँखें अस्पताल वालों ने निकाल ली। पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने जालौन की जिलाधिकारी श्रीमती प्रियंका निरंजन से बातचीत की। उन्होंने हमें बताया, “इस पूरे मामले पर कार्रवाई की जा रही है। शुरुआती जांच में मिली जानकारी के मुताबिक युवक कोरोना संक्रमित नहीं था, उसने फांसी लगाई थी। जिसके बाद उसके शव को अस्पताल ले जाया गया था। अस्पताल के कर्मचारियों ने लापरवाही की और शव को फ्रीजर में न रखकर उसे जमीन पर रखा। आस-पास के इलाके में झाड़ियां है। जिसके कारण कोई जानवर घुस आया और शव के साथ छेड़छाड़ की। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आंखें और किडनी मौजूद हैं। कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया है। इस पूरी घटना पर सिटी मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में जांच टीम गठित की गए है।” पूरे मामले को गहराई से समझने के लिए हमने जालौन पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह से बातचीत की। उन्होंने हमें बताया, “ये दावा गलत है। मृतक कोरोना संक्रमित नहीं था। मृतक का नाम विनय रायकवार था, उसे 21 अप्रैल 2021 को आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। मृतक के पास एक तमंचा और तीन कारतूस बरामद हुए थे। जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया था। हमने परिजनों के सभी आरोप सुने हैं। इस पूरे मामले पर कार्रवाई चल रही है।” पड़ताल के दौरान हमें जालौन पुलिस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर इस मामले से जुड़ा एक ट्वीट मिला। जिसमें वायरल दावे को गलत बताया गया है। जालौन पुलिस ने ट्वीट करते हुए लिखा है, “मृतक विनय कोरोना संक्रमित नही था, मृतक ने घर पर आत्महत्या कर ली थी। पंचायतनामा के उपरांत शव को मोर्चरी में रखे जाने पर जानवरों द्वारा शव को क्षति पहुंचाई गई। जिस पर कार्रवाई की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आंखें मौजूद हैं। डॉक्टर्स द्वारा आँखें और किडनी निकालने की बात अफवाह है।” हमने इस पूरे मामले पर जालौन के एक स्थानीय संवाददाता सिद्धार्थ त्रिपाठी से बातचीत की। उन्होंने हमें बताया कि, “वायरल दावा सिर्फ एक अफवाह है। युवक जिंदा आस्पताल नहीं गया था। मृतक ने पुलिस प्रताड़ना से तंग आकर फांसी लगा ली थी। फिर पुलिस मृतक के शव को अस्पताल लेकर चली गई। उस समय तक शव बिल्कुल ठीक था। सुबह जब परिजन शव लेने के लिए अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने देखा की मृतक की आंखें क्षतिग्रस्त हैं। इसके बाद उन्होंने शव को अस्पताल के बाहर रखकर हंगामा करना शुरू कर दिया। फिर पुलिस ने आकर पूरे मामले को शांत किया।” उन्होंने हमें आगे बताया कि परिजनों ने मृतक के कोरोना संक्रमित होने जैसी कोई बात नहीं कहीं है। पुलिस और अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल के कर्मचारी छोटे लाल द्वारा रात को शव को फ्रीजर में ना रखकर जमीन पर रखा गया। जिसके कारण नेवलों या चूहों ने शव को क्षतिग्रस्त कर दिया। हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक वायरल दावा भ्रामक है। जिंदा युवक को कोरोना मरीज बताकर उसकी आंखे और किडनी नहीं निकाली गई हैं। युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या की थी, जिसके बाद उसके शव को अस्पताल ले जाया गया था। अस्पताल में मृतक के शरीर को जानवरों द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया। जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल के बाहर हंगामा किया था। उसी वीडियो को गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। Read More : क्या हालिया दिनों की है गंगा में बहते शवों की यह वायरल तस्वीर? Claim Review: यूपी में जिंदा युवक को कोरोना संक्रमित बताकर उसकी आंखें और किडनी निकाल ली गई।Claimed By: Viral Social Media Post Fact Check: Misleading | Twitter –https://twitter.com/jalaunpolice/status/1392379891660648450 Danik Bhasker –https://www.bhaskar.com/local/uttar-pradesh/news/eyes-stolen-from-dead-body-in-up-jalaun-hospital-mortuary-128474695.html Police – https://www.uppolice.gov.in/frmOfficials.aspx?jalaun किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044 या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in Komal Singh February 11, 2025 Vasudha Beri December 13, 2024 Komal Singh November 11, 2024
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