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  • 4 मई को अर्थजगत की ख़बरों से जुड़ी वेबसाइट ‘मनीकंट्रोल’ ने नोबल प्राइज़ विजेता अभिजीत बनर्जी के हवाले से एक बयान शेयर हुए लिखा, “असल में दिक्कत ये है कि इस नाज़ुक वक़्त में हालिया सरकार ने कमज़ोर यूपीए पॉलिसीज़ को अपनाया हैं.” मनीकंट्रोल के मुताबिक़ ये बयान राहुल गांधी और अभिजीत बनर्जी के हालिया इंटरव्यू से लिया गया था. ये इंटरव्यू कोरोना वायरस के कारण देश के आर्थिक हालात को ध्यान में रखते हुए किया गया था. पिछले सप्ताह राहुल गांधी ने अभिजीत बनर्जी और RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के साथ बातचीत की थी. दोनों ने कांग्रेस की न्याय योजना के बारे में सोचने की बात की थी जो कि कांग्रेस सरकार की पिछले लोकसभा चुनाव की रणनीति का हिस्सा थी. Just In | Congress MP Rahul Gandhi talks to Nobel laureate Professor Abhijit Banerjee about the #economic impact of #COVID19. The real problem in the short run is that the weak UPA policies were embraced by the current govt: Professor Abhijit Banerjee. https://t.co/uzYkuKnFHs pic.twitter.com/XOBeNkOL0a — moneycontrol (@moneycontrolcom) May 5, 2020 ‘CNN News18’ ने भी अभिजीत के हवाले से बयान देते हुए कहा कि हालिया भाजपा सरकार ने ‘कमज़ोर यूपीए पॉलिसीज़’ को अपनाया है. #NewsAlert – The real problem in the short run is that the weak UPA policies were embraced by the current govt: Nobel Laureate Abhijit Banerjee. pic.twitter.com/6lTBWdqoNq — CNNNews18 (@CNNnews18) May 5, 2020 इसके बाद से कई सोशल मीडिया यूज़र्स ‘मनीकंट्रोल’ के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए राहुल गांधी का मज़ाक बना रहे हैं. फ़ैक्ट-चेक ट्वीट करने के कुछ ही घंटों में ‘मनीकंट्रोल’ ने सफ़ाई देते हुए बनर्जी के नज़रिये को ग़लत तरीके से दिखाने की बात साफ़ की. हालांकि उन्होने अपने पहले ट्वीट को डिलीट नहीं किया है. Just In | Congress MP Rahul Gandhi talks to Nobel laureate Professor Abhijit Banerjee about the #economic impact of #COVID19. The real problem in the short run is that the weak UPA policies were embraced by the current govt: Professor Abhijit Banerjee. https://t.co/uzYkuKnFHs pic.twitter.com/XOBeNkOL0a — moneycontrol (@moneycontrolcom) May 5, 2020 इंटरव्यू में 2 मिनट 14 सेकंड पर राहुल गांधी लॉकडाउन के असर और गरीबों पर आर्थिक तबाही की मार के बारे में पूछते हैं: “मैं आपके साथ हमारे गरीब लोगों पर कोरोना वायरस संकट, लॉकडाउन और आर्थिक तबाही के प्रभाव के बारे में बात करना चाहता था. हमें इसके बारे में कैसे सोचना चाहिए. भारत में कुछ समय के लिए नीतिगत ढांचा था, खासकर यूपीए शासन में, जब गरीब लोगों के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म था. उदाहरण के लिए मनरेगा, भोजन का अधिकार आदि और अब उसका कुछ बहुत कुछ उलट होने वाला है, क्योंकि हमारे सामने ये महामारी है और लाखों-करोड़ों लोग वापस गरीबी में जाने वाले हैं. इस बारे में कैसे सोचना चाहिए?” इसका जवाब देते हुए बनर्जी कहते हैं, “मेरे विचार में दोनों को अलग कर सकते हैं. वास्तविक समस्या ये है कि वर्तमान समय में यूपीए द्वारा लागू की गई, ये अच्छी नीतियां भी अपर्याप्त साबित हो रही हैं और सरकार ने उन्हें वैसा ही लागू किया है. इसमें कोई किन्तु-परंतु नहीं था. ये बहुत स्पष्ट था कि यूपीए की नीतियों का आगे उपयोग किया जाएगा. ये सोचना होगा कि जो इसमें शामिल नहीं है उनके लिए हम क्या कर सकते हैं. ऐसे बहुत लोग हैं – विशेष रूप से प्रवासी श्रमिक.” अभिजीत बनर्जी का ‘अपर्याप्त’ पॉलिसीज़ से उनका मतलब क्या था. “यूपीए के अंतिम वर्षों में विचार था – आधार योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करना, जिसे इस सरकार ने भी स्वीकारा, ताकि उसका उपयोग पीडीएस और अन्य चीज़ों के लिए किया जा सके. लोग जहां भी होंगे, आधार कार्ड के ज़रिए पीडीएस के पात्र होंगे. ये बेहतर होता. इससे बहुत सारी मुसीबतों से बचा जा सकता था. आधार दिखाकर लोग स्थानीय राशन की दुकान पर पीडीएस का लाभ उठा पाते. वो मुंबई में इसका लाभ उठा सकते हैं. चाहे उनका परिवार मालदा, दरभंगा या कहीं भी रहता हो. ये मेरा दावा है, ऐसा नहीं हुआ. इसका मतलब है – एक बहुत बड़े वर्ग के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. मुंबई में मनरेगा नहीं है, इसलिए वो इसके पात्र नहीं हैं. पीडीएस के पात्र नहीं हैं, क्योंकि वो वहां के निवासी नहीं हैं. समस्या का हिस्सा ये है कि नीतिगत ढांचे की संरचना इस विचार पर आधारित थी कि कोई भी व्यक्ति जो वास्तव में जहां काम कर रहा है वहां उसकी नीति नहीं है और इसीलिए आमदनी कमाने के कारण आपको उनके बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है और ये विचार विफल हो गया.” आसान भाषा में कहें तो बनर्जी ने बताया कि यूपीए की पॉलिसीज़ अच्छी थीं मगर हालिया वक़्त में ज़्यादातर गरीब, मज़दूर लोगों को कवर नहीं करती हैं. इसलिए वो अपर्याप्त हैं. उन्होंने बताया कि कैसे देश के अलग-अलग हिस्सों में मज़दूर फंसे हुए हैं और उन्हें देश के सभी हिस्सों में आधार कार्ड का इंफ़्रास्ट्रक्चर एक जैसा न होने की वजह से पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) के तहत राशन नहीं मिल रहा है. बनर्जी ने ये भी बताया कि उन राज्यों के रहनेवाले नहीं होने की वजह से मज़दूर राशन नहीं ले पा रहे हैं. इस तरह हमने देखा कि ‘मनीकंट्रोल’ और ‘न्यूज़18’ ने अभिजीत बनर्जी के बयान को गलत तरीके से पेश किया. हालांकि ‘मनीकंट्रोल’ ने इस मामले में सफ़ाई दी लेकिन ‘न्यूज़18’ ने अभी तक कोई सफ़ाई भी नहीं दी है. चैनल ने इस इंटरव्यू की क्लिप को सोशल मीडिया पर शेयर किया लेकिन अपनी गलती के बारे में उन्होंने कोई सफ़ाई नहीं दी. सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें. बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.
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