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  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक ग्राफिक वायरल हो रहा है. इसमें यूजर्स दावा कर रहे हैं कि कोरोना काल में कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) के जरिए बीजेपी को करीब 52 करोड़ रुपये का चंदा दिया है. यूजर्स ने क्या कहा?: इस ग्राफिक को शेयर करते हुए एक X (पूर्व में ट्विटर) यूजर ने लिखा कि, "बड़ा खुलासा: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने चुनावी बांड के रूप में बीजेपी को एक ही दिन में 52 करोड़ रुपये का दान दिया. अब आप समझ सकते हैं भारत में किसी अन्य वैक्सीन को अनुमति क्यों नहीं दी गई.” हमें हमारी व्हाट्सएप टिपलाइन पर भी इस वायरल दावे के बारे में एक प्रश्न प्राप्त हुआ था. इसी तरह के दावों के अन्य अर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं. क्या ये दावे सच हैं?: नहीं, यह वायरल ग्राफिक Prudent Electoral Trust के डोनेशन का है, ना की चुनावी बांड का. ये दावा भी सच नहीं है कि भारत में सिर्फ कोविशील्ड वैक्सीन के इस्तेमाल की ही अनुमति दी गई थी. हमनें सच का पता कैसे लगाया?: हमने देखा कि ग्राफिक में यह लिखा था कि, "कंपनियों ने Prudent Electoral Trust को जो पैसा दिया है, वह लगभग तुरंत ही बीजेपी को दे दिया गया था." यह ग्राफिक न्यूज एजेंसी Reuters का बताया गया है. यहां से अंदाजा लेते हुए हमनें गूगल पर इससे मिलते-जुलते कीवर्ड ढूंढे. जिसमें हमें रॉयटर्स पर छपी एक रिपोर्ट मिली, इसका टाइटल था, "Obscure trust links India's top businesses with Modi's election war chest" (अस्पष्ट ट्रस्ट भारत के शीर्ष व्यवसायों को मोदी के चुनाव से जोड़ता है.") इस रिपोर्ट में कहा गया है कि Prudent Electoral Trust ने साल 2013 से लगभग 272 मिलियन डॉलर जुटाए हैं. इस ट्रस्ट ने उस राशि का लगभग 75 प्रतिशत BJP को डोनेट किया है. इसमें कहा गया कि ट्रस्ट ने यह खुलासा नहीं किया है कि डोनेशन कैसे जाता है. Reuters ने इसे ट्रैक करने के लिए 2018 से 2023 तक पब्लिक डोमेन में मौजूद डेटा का इस्तेमाल किया था. ArcelorMittal Design, इंजीनियरिंग सेंटर प्राइवेट लिमिटेड, ArcelorMittal Nippon Steel India और भारती एयरटेल ने प्रूडेंट को बड़ी रकम डोनेट की थी. बदले में इस ट्रस्ट ने बीजेपी को संबंधित राशि का चेक जारी किया था. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ASI, DLF लिमिटेड और Essar ग्रुप से डोनेशन प्रूडेंट को मिलने के तुरंत बाद, BJP को मिल गया था. चुनावी ट्रस्ट क्या करते हैं ?: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) पर मौजूद एक रिपोर्ट के मुताबिक, चुनावी ट्रस्ट राजनीतिक दलों को डोनेशन देने के मकसद से कंपनियों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं. 'इलेक्टोरल ट्रस्ट' योजना 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा शुरू की गई थी और इसमें चुनावी ट्रस्टों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया और पात्रता बताई गई थी. ट्रस्टों को अपनी कुल आय का 95 % राजनीतिक दलों को डोनेट करना जरुरी था. ट्रस्ट एक लिस्ट भी रखता है, जिसमें यह दिखाया जाता है कि ट्रस्ट को किन लोगों ने डोनेट किया है और इसे कैसे बांटा गया है. यह डेटा भारतीय चुनाव आयोग (ECI) की वेबसाइट पर मौजूद है. यह एक तरह से चुनावी बांड से बिल्कुल अलग है, क्योंकि इसमें डोनेशन देने वालों के नाम पूरी तरह से गुमनाम रखे जाते हैं. ECI पर मौजूद डेटा: टीम वेबकूफ ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान Prudent Electoral Trust को मिली डोनेशन के बारे में ECI की वेबसाइट पर शेयर किए गए डेटा को चेक किया. डेटा से पता चला कि SII ने वास्तव में अगस्त 2022 में तीन किश्तों में ट्रस्ट को 50 करोड़ और 25 लाख रुपये डोनेट किए थे. बीजेपी को इतनी ही रकम का चेक 18 अगस्त 2022 को जारी किया गया था. वैक्सीन के बारे में दावे: 2021 में लोकसभा में दिए गए एक जवाब के मुताबिक, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने आपातकालीन स्थिति में लिमिटेड इस्तेमाल के लिए कई COVID-19 वैक्सीन के इस्तेमाल की इजाजत दी थी. सवाल में क्रोनोलॉजिकल डिटेल्स के साथ-साथ भारत में स्वीकृत कोविड वैक्सीन के बारे में पूछा गया था. यह देखा जा सकता है कि उस वक्त SII द्वारा निर्मित वैक्सीन के अलावा कई अन्य वैक्सीन भी मौजूद थीं. निष्कर्ष: एक ग्राफिक को चुनावी बांड के माध्यम से SII की तरफ से बीजेपी को दिए गए डोनेशन का बताकर गलत दावे से शेयर किया जा रहा है. (अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9540511818 ,या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं.) (At The Quint, we question everything. Play an active role in shaping our journalism by becoming a member today.)
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