schema:text
| - सोशल मीडिया पर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) की पुरानी तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें उन्हें नदी के अंदर खड़े हुए देखा जा सकता है.
दावा: इस पोस्ट को शेयर कर यह दावा किया जा रहा है कि पंडित नेहरू के यह तस्वीर प्रयागराज कुम्भ में गंगा स्नान करते हुए समय की है.
क्या यह दावा सही है ? नहीं, यह दावा सही नहीं है. इस तस्वीर में पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रयागराज के कुंभ मेला में गंगा स्नान नहीं कर रहे हैं.
वायरल तस्वीर में नेहरू अपनी मां की अस्थियों का विसर्जन कर रहे हैं.
हमें मिली जानकारी के मुताबिक यह तस्वीर 1938 की है जिस साल नेहरू की मां का देहांत हो गया था.
जवाहरलाल नेहरू 1954 के कुंभ में भी तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे थे लेकिन उन्होंने कुंभ में डुबकी लगाई इसका कोई सबूत हमें नहीं मिला.
हमने सच का पता कैसे लगाया ? हमने इस वायरल तस्वीर पर Google Lens की मदद से इमेज सर्च ऑप्शन का इस्तेमाल किया.
हमारी सर्च में हमें India Today का यह आर्टिकल मिला जिसे 2006 में पब्लिश किया गया था और इसका टाइटल था - "Book review: 'The Nehrus: Personal Histories' by Mushirul Hasan & Priya Kapoor."
तस्वीर के कैप्शन में लिखा था कि इसमें नेहरू इलाहाबाद में अपनी मां की अस्थियों को विसर्जित करते हुए दिखाई दे रहे हैं.
सार्वजनिक रिकॉर्ड के मुताबिक नेहरू की मां स्वरूप रानी नेहरू का निधन 10 जनवरी, 1938 को हुआ था.
रिवर्स सर्च की मदद से हमें Open Magazine का एक आर्टिकल मिला, जिसमें दिखाया गया है कि यह तस्वीर 10 जनवरी 1938 को ली गई थी.
इसके मुताबिक यह तस्वीर दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री की मां की मृत्यु के बाद इलाहाबाद में गंगा में उनकी अस्थियों के विसर्जन के दौरान ली गई थी.
इसके कैप्शन में लिखा है: "10 जनवरी 1938 को इलाहाबाद में अपनी मां की अस्थियों को विसर्जित करने के बाद जवाहरलाल नेहरू."
क्या नेहरू ने लगाई कुंभ में डुबकी ? सिडनी में UNSW में दक्षिण एशियाई और विश्व इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर Kama Maclean ने अपनी किताब "Pilgrimage and Power: The Kumbh Mela in Allahabad from 1776-1954" में 1954 के कुंभ से नेहरू की एक तस्वीर छापी थी. 21 जनवरी 1954 को द लीडर में छपी इस तस्वीर में नेहरू पौष पूर्णिमा के दिन संगम पर हैं.
इस फोटो के बारे में लिखते हुए मैकलीन ने अपनी किताब में लिखा है: "पौष पूर्णिमा पर मेले में एक और यात्रा के दौरान, मीडिया फोटोग्राफरों की मौजूदगी में, वह संगम के पवित्र जल में अपना हाथ डुबाने के लिए रुक गए, जिसे मीडिया ने आचमन (दाहिने हाथ से किया जाने वाला शुद्धिकरण अनुष्ठान) के रूप में समझा. फोटो से यह स्पष्ट होता है कि पंडित नेहरू यह अनुष्ठान नहीं कर रहे थे, क्योंकि उस समय वे अपने जूते पहने हुए थे. "
इस बीच, बंगाली अखबार पत्रिका का हवाला देते हुए मैकलीन ने यह भी लिखा है कि जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने संगम में डुबकी लगाई थी, तो पूर्व प्रधानमंत्री ने अस्पष्ट रूप से उत्तर दिया था: "मैंने शारीरिक रूप से नहीं बल्कि अन्य जगहों पर डुबकी लगाई थी." उन्हें संगम बहुत पसंद था, लेकिन उन्होंने मजाक में ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उन्हें संयमित तरीके से व्यवहार करना था.
हमें 1954 कुंभ का यह वीडियो भी मिला जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जीबी पंथ ने साथ मिलकर कुंभ का दौरा किया था. इस वीडियो में भी कहीं नेहरू के कुंभ में डुबकी लगाने का जिक्र नहीं है सिर्फ उनके निरिक्षण करने का जिक्र है.
निष्कर्ष: नदी किनारे खड़े नेहरू की तस्वीर कुंभ मेले में डुबकी लगाने की नहीं है बल्कि उनकी मां की अस्थि विसर्जन के दौरान की है.
(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9540511818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं.)
(At The Quint, we question everything. Play an active role in shaping our journalism by becoming a member today.)
|