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| - सोशल मीडिया पर लोगों की भारी भीड़ का एक वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो को शेयर कर यह दावा किया जा रहा है कि ये भीड़ और गाड़ियां AIMIM नेता इम्तियाज जलील की बुलाई गई 'मुंबई चलो' रैली में आई हैं.
इस वायरल वीडियो को India TV, Free Press Journal , Asianet जैसे न्यूज चैनल्स और AIMIM गुजरात के आधिकारिक फेसबुक पेज पर भी इम्तियाज जलील की रैली का बताकर अपलोड किया गया है.
क्या यह दावा सही है ? नहीं, यह दावा सही नहीं है. यह वीडियो इम्तियाज जलील की रैली का नहीं है.
इम्तियाज जलील ने 'चलो मुंबई रैली' 23 सितम्बर 2024 को निकाली थी, जबकि वायरल वीडियो इंटरनेट पर उससे पहले से 12 सितंबर 2024 से मौजूद है.
हमने सच का पता कैसे लगाया ? हमने इस वायरल वीडियो पर Google Lens की मदद से इमेज सर्च ऑप्शन का इस्तेमाल किया, हमारी सर्च में हमें यही वीडियो एक वेरिफाइड फेसबुक यूजर की पोस्ट पर मिला जिसमें इस वीडियो को 10 सितंबर 2024 का बताया गया था.
इस वीडियो के कैप्शन में लिखा था कि, "10 सितंबर, 2024 की दोपहर को तिमोर-लेस्ते के तासी टोलू में पोप फ्रांसिस की अध्यक्षता में आयोजित सामूहिक प्रार्थना सभा में 600,000 से अधिक लोग शामिल हुए. " (वियतनामी से अंग्रेजी, अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद)
इसके सिवा एक अन्य फेसबुक पेज पर हमे यही वीडियो मिला जिसे 12 सितंबर को अपलोड किया गया था और इसके टाइटल में लिखा था पोप फ्रांसिस का 100% कैथोलिक मूल वाले देश तिमोर-लेस्ते की ऐतिहासिक यात्रा पर स्वागत किया गया. (अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद)
फेसबुक पर मौजूद 12 सितम्बर के वीडियो और 23 सितंबर को इम्तियाज जलील की रैली की बताई जा रहे वीडियो में कई समानताएं देखी जा सकती हैं. जैसे कि क्लिप में नजर आ रहा जूता और गाड़ियां एक सी नजर आ रही हैं.
इम्तियाज जलील की रैली: AIMIM के पूर्व सांसद इम्तियाज जलील के नेतृत्व में 23 सितंबर को एक बड़े विरोध प्रदर्शन में मुस्लिम समुदाय के 12,000 से ज्यादा लोग जमा हुए थे. यह लोग बीजेपी विधायक नितेश राणे और धर्म गुरु रामगिरी के खिलाफ उनके कथित नफरत भरे भाषणों के लिए कार्रवाई की मांग के लिए जुटे थे. हालांकि देर रात भारी भीड़ को मुंबई में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें मुलुंड चेक नाका से वापस लौटना पड़ा.
हम वायरल वीडियो की लोकेशन की पुष्टि नहीं करते. पर चूंकि ये वीडियो इम्तियाज जलील की रैली के पहले से ही इंटरनेट पर उपलब्ध है. इसलिए ये स्पष्ट है कि सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा सच नहीं है.
निष्कर्ष: इंटरनेट पर पहले से मौजूद एक पुराने वीडियो को AIMIM नेता इम्तियाज जलील की रैली का बताकर शेयर किया जा रहा है. यह दावा भ्रामक है.
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