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  • क्या ए.वी.बी.पी असम ने सी.ए.ए के ख़िलाफ प्रदर्शन किया था? बूम ने पाया की वास्तविक तस्वीर अहमदाबाद में ली गयी थी जो नागरिकता संशोधन अधिनियम के समर्थन में थी| वायरल तस्वीर जिसमें भारतीय जनता पार्टी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् को नागरिकता संशोधन अधिनियम और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स के ख़िलाफ प्रदर्शन करते हुए दिखाया गया है, झूठ है | यह फ़र्ज़ी तस्वीर फ़ोटोशॉप्ड है| फ़र्ज़ी तस्वीर में बैनर को फ़ोटोशॉप कर बदला गया है| इसपर लिखा है: "वी डोंट सपोर्ट NRC, CAB, CAA. वापिस जाओ मोदी. टकला अमित गो बैक." इसमें फ़र्ज़ी तरह से हैशटैग #ABVPAssam भी जोड़ा गया है| यह तस्वीर फ़ेसबुक और ट्विटर पर तरह तरह के कैप्शंस के साथ वायरल है| यह भी पढ़ें: बांग्लादेश की घटना असम में पुलिस की बर्बरता के रूप में वायरल पोस्ट नीचे देखें| ABVP members in Assam protesting against NRC, CAB and CAA. The nation is changing. 2020. #getwellsoonSudhir pic.twitter.com/nLxZIdfL5t— Hum dekhenge (@hum_dekh) January 1, 2020 फ़ैक्ट चेक फ़र्ज़ी तस्वीर पर वेस्ट बोंग नामक फ़ेसबुक पेज का एक वॉटरमार्क है, यह तस्वीर इसी पेज से उत्पन्न हुई प्रतीत होती है| वेस्ट बोंग ने पोस्ट को एडिट कर इस तस्वीर को अब मीम कहा है| इसका आर्काइव्ड वर्शन यहाँ देखें| बूम ने इसके बाद तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च पर डाला और पाया की वास्तविक तस्वीर अहमदाबाद मिरर अखबार में प्रकाशित हुई थी| इसे एन्सेला जमींदार नामक फ़ोटो जर्नलिस्ट ने कैमरे में क़ैद किया था| लेख के अनुसार, "ए.बी.वी.पी के करीब 500 कार्यकर्ता साबरमती आश्रम में सी.ए.ए के समर्थन में इकठ्ठा हुए थे| " यह लेख 19 दिसंबर, 2019 को प्रकाशित हुआ था| इसके बाद बूम ने एन्सेला से संपर्क किया जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि यह तस्वीर उनके द्वारा ही ली गयी थी और वायरल तस्वीर फ़र्ज़ी तरह से बदली गयी है| उन्होंने एक दूसरी तस्वीर बूम के साथ साझा की जो एक दूसरे कोण से समान प्रदर्शन को दर्शाती है| दूसरी तस्वीर नीचे देखें| हमें वास्तविक और फ़र्ज़ी तस्वीर में तुलना की है, नीचे देखें| यह भी पढ़ें: क्या वीडियो से पता चलती है असम डिटेंशन सेंटर की क्रूरता? इसके अलावा, समान तस्वीर को अन्य मुख्य धारा के मीडिया जैसे द हिन्दू बिज़नेसलाइन ने भी प्रकाशित की थी|
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