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Fact Check
सोशल मीडिया पर एक अखबार की कटिंग शेयर कर दावा किया गया है कि कोयला संकट का बहाना बनाकर चंडीगढ़ बिजली विभाग का निजीकरण किया जा रहा है। अखबार की कटिंग में लिखा है, ‘बिजली विभाग को खरीदने टाटा अडानी समेत 9 कंपनियां आगे आईं।’
फेसबुक पर Ali Ahmed नामक एक यूजर ने इस कटिंग को शेयर करते हुए लिखा, ‘कोयला खत्म नही हुआ, किया गया है, बिजली विभाग को बेचने के लिए.’
इसके अलावा फेसबुक पर Golu Qazi नामक यूजर ने भी कोयला संकट का बताकर इस कटिंग को शेयर किया है।
ट्विटर पर भी कई यूजर्स ने अखबार की कटिंग को शेयर किया है।
बीते कुछ सप्ताह से देश भर में कोयला संकट गहराने से बिजली आपूर्ति पर काफी प्रभाव पड़ा है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोयले के उत्पादन और उसके उपभोक्ता के तौर पर भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है, लेकिन इसके बावजूद हरियाणा, राजस्थान सहित कुल नौ राज्य लंबे समय से बिजली संकट का सामना कर रहे हैं। बतौर रिपोर्ट, बिजली की इतनी कम आपूर्ति का मुख्य कारण कोयले की कमी है। लाइव हिंदुस्तान ने पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि भारत में बीते छह वर्षों में पहली बार इस तरह का बिजली संकट खड़ा हुआ है। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते दिनों हरियाणा में आम आदमी पार्टी ने बिजली संकट को लेकर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों की दलील थी कि सरकार बिजली विभाग का निजीकरण कर रही और इस कारण बिजली कंपनियां मनमाना रवैया अपना रही हैं, जिसके चलते बिजली का संकट बना हुआ है।
इसी बीच सोशल मीडिया पर एक अखबार की कटिंग शेयर कर दावा किया गया कि कोयला संकट का बहाना बनाकर चंडीगढ़ बिजली विभाग का निजीकरण किया जा रहा है।
क्या कोयला संकट का बहाना बनाकर चंडीगढ़ बिजली विभाग का निजीकरण किया जा रहा है? दावे का सच पता करने के लिए ‘चंडीगढ़ बिजली विभाग अडानी’ कीवर्ड को गूगल पर सर्च करने के दौरान ट्विटर पर अमर उजाला के पत्रकार रिशु राज सिंह द्वारा 19 नवंबर, 2020 को किया गया एक ट्वीट प्राप्त हुआ। पत्रकार रिशु ने अपने ट्वीट के कैप्शन में लिखा है, “चंडीगढ़ के बिजली विभाग को खरीदने के लिए अडानी, टाटा समेत 9 कंपनियों ने अपनी इच्छा जताई है। प्रशासन ने बीते दिनों बिजली विभाग की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर जारी किया है।”
पत्रकार रिशु ने अपने ट्वीट के साथ अखबार की कटिंग भी संलग्न किया है। सोशल मीडिया पर अभी वायरल अखबार की कटिंग और पत्रकार रिशु द्वारा नवंबर 2020 में शेयर की गई अखबार की कटिंग दोनों एक ही हैं।
Newschecker ने पत्रकार रिशु राज से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, “अखबार की जो कटिंग मेरे ट्वीट के साथ संलग्न है, उसमें प्रकाशित खबर मैंने लिखी थी। उस वक्त चंडीगढ़ शहर के बिजली विभाग को खरीदने के लिए 9 कंपनियों ने इच्छा जताई थी।”
इससे यह स्पष्ट है कि सोशल मीडिया पर वायरल अखबार की कटिंग लगभग दो साल पुरानी है और इसका हालिया कोयला संकट से संबंध नहीं है।
इस संबंध में हमें Times of India द्वारा 02 अप्रैल, 2022 की एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के अनुसार, चंडीगढ़ के बिजली विभाग के निजीकरण से जुड़े मामले में यूटी पॉवर यूनियन द्वारा कोर्ट में निजीकरण के विरोध में याचिका दायर की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, जब तक ये याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन है तब तक यूटी प्रशासन (चंडीगढ़ प्रशासन) निजी एजेंसी को लाइसेंस (एलओआई) जारी नहीं कर सकती। बतौर रिपोर्ट, चंडीगढ़ बिजली विभाग की बिडिंग में संजीव गोयनका समूह की ‘एमीनेंट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड’ ने 871 करोड़ की बोली लगाकर खरीद लिया था। इसके बाद सात जनवरी 2022 को केंद्र सरकार ने ‘एमीनेंट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड’ को चंडीगढ़ के बिजली आपूर्ति विभाग को अपने हाथ में लेने की मंजूरी दे दी थी। जिसको लेकर 22-24 फरवरी तक शहर में काफी विरोध प्रदर्शन हुए थे। बिजली विभाग के कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया था, जिससे चंडीगढ़ में बिजली समस्या उत्पन्न हो गई थी। इसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कर्मचारियों के प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी।
पड़ताल के दौरान हमें दैनिक जागरण द्वारा 28 मार्च, 2022 को प्रकाशित एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण मामले में यूटी पावरमैन यूनियन की ओर से निजीकरण के विरोध में एक याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने यूटी प्रशासन से जवाब तलब किया। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी है और साफ शब्दों में कहा कि याचिका लंबित रहने तक निजीकरण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।
Newchecker ने वायरल दावे की सत्यता जानने के लिए यूटी प्रशासन के चीफ इंजीनियर सीबी ओझा से भी संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, “वायरल अखबार की कटिंग में मौजूद खबर पुरानी है। चंडीगढ़ बिजली विभाग की बिडिंग प्रक्रिया पूरी हो गई है। लेकिन इस मामले पर कोर्ट में याचिका दायर किए जाने के कारण ये मैटर अभी कोर्ट में विचाराधीन है।”
बता दें, कि यूटी प्रशासन ने साल 2019 में बिजली विभाग को निजी हाथों में देने की प्रक्रिया शुरू की थी। अमर उजाला द्वारा 4 अगस्त 2021 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में बिजली विभाग को निजी हाथों में देने को लेकर शुरू हुई प्रक्रिया, 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप के कारण धीमी हो गई। फिर 9 नवंबर, 2020 को यूटी प्रशासन के इंजीनियरिंग विभाग ने बिडिंग की इच्छुक कंपनियों से आवेदन मांगे थे। इसका कुछ संगठनों द्वारा विरोध करने के बाद मामला पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक गया। बतौर रिपोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलते ही प्रशासन ने बिडिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, चंडीगढ़ का अपना कोई बिजली उत्पादन नहीं है और यहां के लिए बिजली खरीदने में हर साल 640 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। चंडीगढ़ के बिजली विभाग को खरीदने की दौड़ में कई बड़ी कंपनियां शामिल थीं, जिसमें ‘एमीनेंट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड’ ने सबसे अधिक 871 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।
इस तरह हमारी पड़ताल में स्पष्ट है कि कोयला संकट का बहाना बनाकर चंडीगढ़ बिजली विभाग का निजीकरण किया जा रहा है, दावे के साथ वायरल अखबार की कटिंग लगभग दो साल पुरानी है। इसका हालिया कोयला संकट से संबंध नहीं है।
Our Sources
Tweet of Amar Ujala Journalist Rishu Raj Singh on 17 November 2020
Telephonic Conversation with Amar Journalist Journalist Rishu Raj Singh
Telephonic Conversation with UT administration chief engineer CB Ojha
Report Published by Times of India on 02 April 2022
Report Published by Dainik Jagran on 28 March 2022
Report Published by Amar Ujala on 04 Aug 2021
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